प्रयास करते रहने का महत्व | PRAYASH KARTE RAHE JAB TAK JEET NA MILE |
prayash karte rahe
दुबारा प्रयास करें; क्योंकि इस बार शुरुआत शून्य से नही अनुभव से होंगी।
जोख़िम लो सफल हुए तो नेतृत्व करोगें और अगर असफल हुए तो मार्गदर्शन करोगें।
स्वामी विवेकानंद जी की इन चंद पंक्तियों में जीवन संघर्ष का निचोड़ छिपा हुआ हैं। इन पंक्तियों में स्पष्ट रूप से प्रयास करने की महत्ता और जोख़िम लेने की प्राप्तता को दर्शाया गया हैं। समाज में अनेक ऐसे व्यक्ति मौजूद है जो कुछ बड़ा सपना लेकर चलते हैं परंतु एक या दो या कुछ बार ही असफल होने के कारण अपना प्रयास बीच मे ही छोड़कर वापिस पीछे हट जाते हैं। परंतु ये उन्हें भी नही पता होता कि क्या पता वो सफलता के करीब से ही लौटे हो; क्योंकि हर प्रयास में इंसान पहले से बेहतर बनता हैं और कुछ न कुछ अनुभव अपने व्यक्तित्व में शामिल करता हैं। PRAYASH KARTE RAHE
जिस प्रकार व्यक्ति पहली बार किसी नए स्थान पर जाता है तो अगर उसे वहाँ जाने का मार्ग ज्ञात नही हैं तो उसका मार्ग में ही काफ़ी समय व्यतीत हो जाता हैं। और जब वो उसी स्थान पर पुनः जाता हैं तो उसके पास मार्ग का ज्ञान तो होगा ही साथ ही मार्ग में आने वाली सभी समस्याओं से निकलने का अनुभव भी होगा ।
इसी प्रकार जब व्यक्ति प्रयास करता है तो उसको अनेक अनुभव जीवन मे प्राप्त होते हैं जो कभी भी व्यर्थ नही जाते । जब भी हम कुछ काम करते है तो उससे संबंधित अच्छी या बुरी शिक्षाएं या अनुभव हमारे चेतन , अवचेतन और अचेतन मस्तिष्क में शामिल होती जाती हैं।
जीवन मे कभी न कभी किसी न किसी रूप में समस्याओं के समाधान में इन अनुभवों का प्रयोग अवश्य होगा परंतु उस समय हमारा मस्तिष्क खुद पिछले अनुभव से हमे उचित समाधान के लिए प्रेरित करेगा। ऐसा नही हैं कि आपके पास समस्याओं का समाधान जन्म से ही ज्ञात था बल्कि आपने इन्हें जीवन मे लिए अपने निर्णयों , अपने कार्यो से प्राप्त अनुभवों से ही संचित किया होता हैं।
इसी प्रकार चाहे वो कोई विधार्थी हो जो किसी परीक्षा को पास करने के लिए प्रयत्नशील हो , चाहे कोई खिलाड़ी हो जो अपने देश के लिए मैडल लाने का सपना देख रहा हो , चाहे कोई वैज्ञानिक हो जो समाजहित के लिए किसी अविष्कार में लगा हो, चाहे कोई संगीतकार हो जो किसी नए तराने के निर्माण में लगा हो , जो भी हो सभी पर प्रयास करने के नियम समान रूप से लागू होते हैं।
प्रयास करते रहने ( PRAYASH KARTE RAHE ) का महत्व
जब एक विद्यार्थी किसी प्रतियोगी परीक्षा में असफल हो जाता हैं तो वो चाहे परीक्षा में असफल हुआ हो परन्तु वो उन विद्यार्थियों से ज्यादा सफ़ल कहलाएगा जिन्होंने प्रयास करने की कोशिश ही नही की हैं क्योंकि वो एक तो सफलता से वंचित रहेंगे ही साथ ही किसी नए अनुभव को प्राप्त करने से भी वंचित ही रहेंगे।
इसी प्रकार हम बल्ब की खोज करने वाले वैज्ञानिक थॉमस एल्वा एडिसन के बारे में जानते ही होंगें जिन्होंने अनेक बार असफल होने के बाद भी बल्ब की खोज की। क्या आपको लगता है कि वो हर प्रयास में उसी पायदान पर खड़े होंगे जिस पर सबसे पहले प्रयास में खड़े थे ; शायद नहीं।
उन्होंने हर प्रयास में कुछ न कुछ नया सीखा होगा और उसे अवश्य ही अगले प्रयास में शामिल किया होगा। तभी उन्होंने कहा था कि
“मैं असफल नहीं हुआ हूं बस कुछ हजार ऐसे तरीके खोज लिए हैं जो काम नही करते हैं।”
इन पंक्तियों में स्वामी विवेकानंद जी की वो शिक्षा सिद्ध होती है जिनकी ऊपर बात की गई हैं; या तो नेतृत्व करोगे या मार्गदर्शन करोगे। इसलिय कभी भी दुबारा प्रयास करने से नही डरना चाहिए और सफलता मिलने तक प्रयत्नशील रहना चाहिए।
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