क्या अल्पज्ञान , मूर्खता से भी अधिक घातक होता हैं ??
Half knowledge is dangerous quotes in hindi
आमतौर पर समाज मे कहते सुना जाता हैं कि भैंस के आगे बीन बजाने से क्या फायदा या मूर्ख को समझाना मुश्किल होता हैं आदि ।
ऐसा ही एक श्लोक पढ़ने को भी मिलता हैं। जिसमें अल्पज्ञान की मूर्खता और ज्ञानता से भी तुलना की गयी हैं ।
अज्ञः सुखमाराध्यः
सुखतरमाराध्य्ते विशेषज्ञ: ।
ज्ञानलवदुर्विदग्धं
ब्रह्मापि नरं न रञ्जयति ।। ३ ।।
इस श्लोक में कहा गया है कि मूर्ख को समझाना सरल होता हैं और विद्धवान को समझाना उससे भी सरल होता हैं । परंतु एक अल्पज्ञानी को समझाना अत्यंत कठिन होता हैं और उसको खुद देवता भी संतुष्ट नहीं कर सकते हैं।
इस विषय पर चर्चा आगे बढ़ाते हुए और सही से स्पष्ट करने के लिए एक कहावत जो आमतौर पर समाज मे चलती हैं कि – “कुँए का मेंढक” ।
जो इंसान मूर्ख होता हैं उसे मालूम होता हैं कि उसे कुछ सही से मालूम नहीं है और वो ज्ञान के लिए अगले पर पुर्णतः निर्भर करता हैं । इसीप्रकार एक ज्ञानी व्यक्ति ज्ञान प्राप्त करके सरलता को धारण करता हैं और प्रत्येक बात को वो व्यर्थ के वाद-विवाद में न उलझे अपनी ज्ञान की कसौटी के आधार पर विश्लेषण करके समझता हैं। जिससे उसको समझाना ओर सरल हो जाता हैं। क्योंकि वो इतना ज्ञान रखता हैं कि किसी भी स्थिति का तुलनात्मक , विश्लेषणात्मक अध्ययन कर सकता हैं ।
Half knowledge is always dangerous
अब एक अल्पज्ञानी की स्थिति एक कुँए के मेंढक के समान ही होती हैं । उसे कुँए की दुनिया ही पूर्ण दिखाई देती हैं उसके लिए प्रत्येक तथ्य कुँए की सीमा से शुरू होकर कुँए की सीमा तक ही समाप्त हो जाता हैं। उसके लिए प्रकृति की सीमा भी कुँए की सीमा के समान ही संकुचित होती हैं। उसी प्रकार एक अल्पज्ञानी व्यक्ति अपने पास उपलब्ध ज्ञान को ही पर्याप्त ज्ञान समझता हैं और उसी के आधार पर प्रत्येक वस्तु , स्तिथि आदि का विश्लेषण भी करता हैं। वो अपनी मस्तिष्क को पहले ही संकेत दे चुका होता हैं या उसे पहले ही अभ्यस्त कर चुका होता कि अगर तुझे कुछ नया समझाने की कोशिस की जाए तो तुझे तुरंत उसे नकार देना हैं । क्योंकि वो अपने मस्तिष्क को पहले ही बता चुका है कि तेरे पास उपलब्ध ज्ञान ही उत्तम ज्ञान हैं। इसलिए ही अल्पज्ञानी को ज़्यादातर वाद विवाद में उलझते देखा होगा । अल्पज्ञानी के लिए वाद – विवाद – संवाद के चरण पूर्ण ही नही हो पाते हैं वो हमेशा विवाद तक ही रुका रह जाता हैं। वही एक ज्ञानी व्यक्ति वाद – विवाद – संवाद , तीनो चरणों को पूर्ण करता हैं।
इसलिए कहा भी जाता है कि जब दो ज्ञानी व्यक्ति वाद करते हैं तो अवश्य ही समाज के लिए कुछ लाभदायक निकल कर आता हैं। वही जब अल्पज्ञानी वाद करते है तो उससे फ़साद( झगड़ा या कुछ असामाजिक कार्य ) ही निकल कर आएगा।
क्योकि दोनो को अपने ज्ञान पर घमंड होता हैं ।
अतः यही कारण है कि अल्पज्ञानी को समझाना अत्यंत कठिन होता है क्योंकि वो अपने मस्तिष्क को पहले ही चेतावनी दे चुका होता हैं कि तू ही उत्तम हैं अन्यथा कोई नहीं।