ममता बनर्जी : हारने के बाद भी कैसे बनी मुख्यमंत्री ?
अभी 2 मई को भारत के पूर्व में स्थित राज्य पश्चिम बंगाल के विधानसभा चुनावों के नतीजे आए हैं। जिसमें ममता बनर्जी की पार्टी तृणमूल कांग्रेस ने बहुमत प्राप्त किया हैं। परंतु पार्टी की अध्यक्ष ममता बनर्जी अपनी सीट हार गई हैं।
ममता बनर्जी ने तीसरी बार पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री के तौर पर शपथ भी ली हैं। तो बहुत से लोगो के मन मे ये सवाल उठ रहा है कि जब ममता बनर्जी अपनी सीट हार गई तो वो मुख्यमंत्री कैसे बनी। इसी सवाल का जवाब हम सरल तरीके से यहाँ देने का प्रयास करेंगे।
इसको समझने के लिए आपको पहले कुछ तथ्य समझने होंगे जैसे कि भारत एक संवैधानिक देश है अर्थात देश मे शासन व्यवस्था संविधान के अनुसार चलती हैं।
संविधान के छठे भाग में अनुच्छेद 168 से 212 तक राज्य विधान मंडल के कार्यकाल, संगठन, गठन, शक्तियों आदि के विषय मे उल्लेख किया गया हैं।
राज्यों के गठन की संरचना पूरे देश मे समान नहीं हैं। कुछ राज्यों में दो सदन है तो कुछ राज्यो में एक सदनीय व्यवस्था ।
ममता बनर्जी हारने के बाद भी कैसे मुख्यमंत्री बनी इस प्रश्न का जवाब संविधान के अनुच्छेद 164 में मिलता है।
अनुच्छेद 164(4) में प्रावधान हैं कि कोई व्यक्ति जो किसी भी सदन का सदस्य नहीं हैं। 6 महीने तक मंत्री पद पर रह सकता हैं। या कहे कि एक मंत्री जो विधानमंडल के किसी सदन का सदस्य नहीं हैं , उसे 6 माह के अंदर अनिवार्य रूप से किसी एक सदन का सदस्य बनना होगा।
कुछ का ये कहना होता है कि इसमें मुख्यमंत्री के विषय मे उल्लेख नहीं हैं। परंतु ऐसा नहीं है कि ये प्रावधान मुख्यमंत्री पद के लिए मान्य नहीं हैं। ये मुख्यमंत्री पद के लिए भी उसी प्रकार मान्य हैं । जिस प्रकार मंत्री पद के लिए हैं।
पश्चिम बंगाल के संदर्भ में देखे तो वहाँ एक सदनीय व्यवस्था मौजूद हैं। अतः 6 महीने के अंदर ममता बनर्जी को विधान सभा का सदस्य बनना होगा।
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