एक बड़े व्यापारी , सिविल ठेकेदार और एक महान योद्धा – बाबा लक्खीशाह बंजारा | BABA LAKHI SHAH BANJARA HISTORY IN HINDI
BABA LAKHI SHAH BANJARA
भारतीय इतिहास शूरवीरों और ऋषि मुनियों के बलिदान से भरा पड़ा हैं। जहाँ कुछ महान व्यक्तित्वों को इतिहास की पुस्तकों में जगह देकर उनके योगदान को जनता तक ले जाया गया हैं। वही अनेक ऐसे महान व्यक्तित्व भी हैं जिनके साथ इतिहास लिखने वाली कलमों ने भेदभाव करने का प्रयास किया हैं।
आज हम ऐसे ही एक महान व्यक्तित्व के विषय मे इस लेख में पढ़ेंगे। जो अपने व्यापारिक गुणों के कारण देश के शीर्ष अमीर व्यापारियों में गिने जाते थे। वो एक बड़े सिविल ठेकेदार भी थे। बहादुरी इतनी कि 95 साल की उम्र में भी मुगल सेना से भिड़ गए।
कुछ साक्ष्यों के आधार पर जानकारी मिलती हैं कि दिल्ली में आज जहाँ भारतीय संसद, राष्ट्रपति भवन और कनॉट प्लेस मौजूद है, वो क्षेत्र तो उनके अधिकार में था ही अन्य कई गाँव भी उनके अधिकार क्षेत्र में ही थे।
इन बहादुर , झुझारू , दृढ़ संकल्पित महान योद्धा का नाम हैं – बाबा लक्खी शाह बंजारा (BABA LAKHI SHAH BANJARA)
जन्म
बाबा लक्खी शाह बंजारा (BABA LAKHI SHAH BANJARA) जी का जन्म 1580 में मुज्जफरगढ़ , पंजाब ( आधुनिक पाकिस्तान ) में हुआ था। बाबा दिल्ली के एक बड़े व्यापारी , सिविल ठेकेदार और एक महान योद्धा थे।
एक व्यापारी के रूप में योगदान [बाबा लक्खी शाह बंजारा (BABA LAKHI SHAH BANJARA) ]-
बाबा ने दिल्ली में 4 गाँव को भी बसाया था जिनके नाम – मालचा, रायसीना, बारहखंबा और नरेला हैं। बाबा अनेक वस्तुओं का व्यापार करते थे। वे मुग़ल शासन के साथ एक बड़े स्तर पर व्यापार करते थे। बाबा के पास चार टांडा ( व्यापारी दल ) थे। प्रत्येक टांडा में 50000 गाड़ियां मौजूद थी। टांडा की सुरक्षा करने के लिए एक लाख(100000) सशस्त्र सैनिकों की सेना भी मौजूद थी।
इससे अनुमान लगाया जा सकता है कि बाबा लक्खी शाह बंजारा (BABA LAKHI SHAH BANJARA) का व्यापार कितने बड़े स्तर पर मौजूद था।
ये मध्य एशिया से भारत मे वस्तुओं का आयात – निर्यात किया करते थे। बाबा लक्खी शाह बंजारा (BABA LAKHI SHAH BANJARA) के दादा नायक ठाकुर भी अकबर के शासन काल मे मुगलों को वस्तुओं की आपूर्ति करने वाले शीर्ष आपूर्तिकर्ताओ में से एक मुख्य आपूर्तिकर्ता थे।
बाबा लक्खी शाह बंजारा (BABA LAKHI SHAH BANJARA) ने सिंध, हिमालय के क्षेत्र में भी व्यापारिक गतिविधियों में योगदान दिया।
साक्ष्यों के अनुसार उनके टांडा में चार लाख लोग शामिल थे। और प्रत्येक परिवार सामान ढोने के लिए 100 बैल रखता था। इसके अनुसार उनके टांडा में 9 लाख के आस पास बैल मौजूद थे।
इससे अनुमान लगाया जा सकता हैं कि बाबा लक्खी शाह बंजारा (BABA LAKHI SHAH BANJARA) कितने बड़े स्तर के व्यापारी हुआ करते थे। इतने बड़े स्तर पर व्यापार करने के कारण ही बाबा लक्खी शाह बंजारा (BABA LAKHI SHAH BANJARA) सबसे अमीर व्यापारियों में से एक थे।
इतने बड़े स्तर का व्यापार कैसे संभव किया –
उन्होंने टांडा की सुरक्षा के लिए एक सशस्त्र सेना भी रखी हुई थी। जो टांडा के साथ साथ चलती थी।
उन्होंने व्यापारिक मार्ग पर प्रत्येक 10 किलोमीटर के दायरे में कुओं और तालाबों का निर्माण कराया था। जिससे आसानी से जानवरो और टांडा के सदस्यों को पानी उपलब्ध हो सकें।
रात को विश्राम करने के लिए जगह जगह सराय ( विश्रामगृहों) का निर्माण भी किया गया था।
एक योद्धा के रूप में योगदान [बाबा लक्खी शाह बंजारा (BABA LAKHI SHAH BANJARA)]
जिस स्तर पर बाबा लक्खी शाह बंजारा (BABA LAKHI SHAH BANJARA) व्यापार किया करते थे । उनके व्यक्तित्व में अनेक विशेषताओं के मौजूद होने के कारण ही ये संभव हुआ था।
बाबा लखी शाह बंजारा का व्यक्तित्व अनेक गुणों से परिपूर्ण था।
इतने बड़े स्तर पर लोगो का नेतृत्व करने से ये अनुमान सरलता से लगाया जा सकता है कि उनमें एक बड़े स्तर की नेतृत्व क्षमता मौजूद थी।
इतने बड़े स्तर पर काफ़िले को इधर से उधर लेकर आगमन करना ये बताता है कि वो एक बहादुर , झुझारू , दृढ़ इच्छाशक्ति वाले व्यक्ति थे।
सिख धर्म के इतिहास में बाबा लक्खी शाह बंजारा (BABA LAKHI SHAH BANJARA) को विशेष स्थान प्राप्त हैं। जब 1675 ईस्वी में गुरु तेगबहादुर जी शहीद हो गए थे। तो उनके पार्थिव शरीर को वही रखे रहने दिया और मुगल सेना किसी को उठाने की अनुमति नहीं दे रही थी । तो कुछ शिष्यों ने इस विषय में बाबा लक्खी शाह बंजारा (BABA LAKHI SHAH BANJARA) को अवगत कराया । उस समय बाबा की उम्र 95 साल थी। परंतु जिस प्रकार उनमें बहादुरी कूट कूट कर भरी थी , उनके लिए उम्र महज एक नंबर ही था।
जब बाबा लक्खी शाह बंजारा (BABA LAKHI SHAH BANJARA) को इस विषय में बताया गया तो उन्होंने अपने पुत्रों के साथ और अपने सैनिकों के साथ मुगल सेना पर धावा बोलकर शहीद गुरु तेग बहादुर जी के पार्थिव शरीर को मुगलों से मुक्त कराया। दिल्ली के रायसीना गाँव मे गुरु के पार्थिव शरीर का अंतिम संस्कार किया गया था। ये एक ऐसा योगदान है, जिसे भारत का इतिहास कभी नज़र-अंदाज़ नहीं कर सकता हैं।
मुगलों के खिलाफ़ , बाबा लक्खी शाह बंजारा (BABA LAKHI SHAH BANJARA) के परिवार का योगदान –
बाबा लक्खीशाह बंजारा ने भारतवर्ष की अनेक तरह से सेवा की थी। उन्ही परंपराओं को आगे बढ़ाते हुए उनके परिवार ने समाज के उत्पीड़न के खिलाफ़ आवाज उठायी। मुगलो के उत्पीड़न के खिलाफ उनके पुत्रो और पौत्रों ने संघर्ष किया।
बाबा लक्खीशाह बंजारा और इनके भाई , भाई गुरदास , सिख गुरु ( गुरु तेगबहादुर और अन्य गुरुओं ) के करीबी थे। वही बाबा लक्खी शाह बंजारा के बाद उनके पुत्र , भाई हेमा, भाई नघैया , भाई हरिया और उनकी बेटी बीबी सीतो, दसवें सिख गुरु गोविंद सिंह के सहयोगी थे ।
आनंदपुर में भाई हेमा , भाई नघैया , भाई हरिया मुगलों के खिलाफ़ लड़ते हुए शहीद हुए थे।
उसके बाद आगे चलकर बाबा लक्खीशाह बंजारा के पोते अग्रराज सिंह और फराज सिंह बाबा बंदा सिंह बहादुर के सेना में प्रमुख सेनापति थे। ये दोनों भी मुगलों के खिलाफ़ लड़ते हुए शहीद हो गए थे।
अन्य योगदान
बाबा लक्खी शाह बंजारा (BABA LAKHI SHAH BANJARA) एक बड़े सिविल ठेकेदार भी थे । उन्होंने अनेक कुओं , तालाबो , सराय का निर्माण तो किया ही था। इसके अलावा उन्होंने अनेक किलो के निर्माण में भी अपना योगदान दिया था।
अनेक कुओं , तालाबों , सराय और किलों के निर्माण में सहयोग –
7000 एकड़ जमीन में फैला विशाल लोहगढ़ का किला , जिसका निर्माण बाबा बंदा सिंह बहादुर ने कराया था। इस किले के निर्माण में बाबा लक्खी शाह बंजारा ने विशेष योगदान दिया था। लोहगढ़ किले का क्षेत्र वर्तमान में हरियाणा के यमुनानगर जिले और हिमाचल प्रदेश के सिरमौर जिले में आता हैं। किले की परिधि लगभग 30 किलोमीटर के आस पास हैं।
लोहगढ़ किले के निर्माण समय में बाबा लक्खी शाह बंजारा ने निर्माण सामग्री , खाद्य सामग्री , हथियारों की सप्लाई जारी रखी थी। बाबा लक्खीशाह बंजारा मुगलों को ज्यादा कर (Tax) देते थे। जिससे मुगलों ने उन्हें कभी संदेह की दृष्टि से नही देखा। दूसरी और बाबा लक्खीशाह बंजारा लगातार अनेक किलों के निर्माण में सहायता देते रहे और हथियारों की सप्लाई जारी रखी।
अनेक साक्ष्यों के अनुसार लोहगढ़ के अलावा भी सिखों ने बाबा लक्खीशाह बंजारा के सहयोग से अनेक किलों का निर्माण किया था।
स्वर्गवास –
1680 में बाबा लक्खी शाह बंजारा ने दुनिया को अलविदा कह दिया।
इस प्रकार उनके कार्यो का सूर्य भारतीय इतिहास में कभी अस्त नहीं हो सकता हैं। उनका इतिहास इतना उच्च और गौरवशाली है कि उसे नज़र अंदाज किया भी नहीं जा सकता हैं।
हम देख सकते है कि बाबा लक्खी शाह बंजारा का अनेक क्षेत्र में योगदान रहा हैं। बाबा लक्खी शाह बंजारा का व्यक्तित्व बहुमुखी विशेषताओं से परिपूर्ण था। उसके बाद भी इतिहासकार और सरकार उन्हें वो सम्मान नहीं दे पाई हैं, जिसके वो हक़दार हैं।
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Akshay Banjara
जय बाबा लाखी शाह
अपने बहुत बढ़िया जानकारी साझा की हे ऐसी ही जानकारी बंजारा समाज के बारे में दिया करो l
धन्यवाद,
कैलाश जाधव, इंदौर (मप्र )
9752073086
धन्यवाद।
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Satnam Singh banjara
Please jyada se jyada January jutaye banjara Samaj ke bare me
Sabi ko baba lkhishah banjar ka etihash pta ho
Iohgarh Kila lakkhishah banjara ne banbaya tha
Banjara hone pe garav Karo Jai Banjara
Iohgarh Kila lakkhishah banjara ne banbaya tha
Lakhi saah Banjara rajasthan me bahut si jhil banai he