गाँवो की महत्ता । Importance of villages in country development |
Importance of villages
आज भी अनेक फिल्मों और नाटकों में अगर गांव का कोई दृश्य दिखाना होता हैं। तो उसमे दिखाते हैं – कच्ची सड़के, मिट्ठी के मकान, छोटे स्कूल, दूर दूर तक सुनसान और पिछड़ापन आधारित वातावरण।
वर्तमान में अनेक गांव विकास की ओर बढ़ रहे हैं। जहाँ पक्की सड़कें, पक्के मकान, सही भवन और फर्नीचर के साथ स्कूल, लाईब्रेरी आदि सुविधाएं मौजूद होती हैं।
परंतु भारत के अनेक गाँव आज भी उसी प्रकार बने हुए है जैसे फिल्मों में दिखाए जाते थे। आज भी भारत के अनेक गाँव पिछड़ेपन का दंश झेल रहे है।
जहाँ आज भारत 21 वी सदी में विश्व गुरु बनने के सपने संजोए हैं। (विश्व गुरु बनने के लक्ष्य देखना भी जरूरी हैं) परंतु क्या बिना गांव के विकास के भारत विश्व गुरु बन पाएगा ?
शायद नहीं।
आज भारत की 68.8% जनसंख्या भारत में निवास करती हैं। हम कह सकते हैं कि भारत गाँवो में बसता हैं। गांव भारत के विकास रूपी वो पहिए है, जिनपर समय रहते ध्यान न दिया गया तो, ये पहिए वाहन की गति को भी प्रभावित कर सकते हैं।
हम इस लेख में गाँवो की महत्त्ता और हमारे महापुरषों के गांव को लेकर क्या सपने थे। उस विषय मे चर्चा करेंगे। Importance of villages
गांव के संबंध में गांधी जी का दर्शन
Importance of villages (In Gandhiji’s View)
महात्मा गांधी जी ने ग्राम-उत्थान की संकल्पना को जोर शोर से उठाया था। गांधी जी को गाँवो से विशेष लगाव था और वो ग्रामीण वासियों के बहुमुखी विकास के लिए अंत तक लगे रहे। महात्मा गांधी जी भारत आने पर गांव में ही बस गए थे। उन्होंने ग्रामीण स्तर पर ग्राम वासियों के बहुमुखी विकास जैसे कि सामाजिक विकास, आर्थिक विकास, राजनीतिक विकास और नैतिक विकास हेतु कुछ संस्थाओं का भी निर्माण किया था ।
प्राचीन काल और मध्य काल तक ग्रामीण अर्थव्यवस्था, आत्म-निर्भर अर्थव्यवस्था की श्रेणी में आती थी। परंतु अंग्रेजों की औपनिवेशिक नीतियों ने भारतीय ग्रामीण अर्थव्यवस्था को एक गहरा आघात दिया। अंग्रेजो की सभी नीतियां किसानों को कमजोर और मजदूर वर्ग में परिवर्तित करने वाली थी।
महात्मा गांधी जी ने जब गाँवो की दशा देखी तो उन्होंने गाँवो के उत्थान के लिए भरसक प्रयास किये।
गांधी जी को पूर्ण विश्वास था कि जब गाँवो को विकास के रास्ते पर आगे बढ़ाया जाएगा । तो देश भी विकास के रास्ते पर आगे बढ़ने लगेगा।
इसीलिए गांधी जी ने ग्राम उत्थान को सभी रोगों की दवा बताया था। Importance of villages
गांधी जी का मानना था कि गाँवो को प्राचीन गौरव को दुबारा प्राप्त करने में कुछ समय अवश्य लगेगा ।
गांधी जी की संकल्पना के आधार पर ही संविधान के नीति निदेशक तत्वों के आर्टिकल 40 में ग्राम पंचायतों के संगठन की व्यवस्था की गई हैं।
गांधी जी का मानना था कि शुरुआत में ग्रामों के अधिकार में दंडक़री अधिकार देना उचित नही होगा। उनके अनुसार अगर ऐसा किया जाता है कि ग्रामो को शुरुआत में ही दंडक़री अधिकार दे दिए जाएं तो इसका अनुकूल प्रभाव पड़ने के स्थान पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता हैं।
गांधी जी का इससे तात्पर्य पंचायतों को अधिकार विहीन बनाने से नही था। बल्कि जिस प्रकार उस समय जागरूकता और शिक्षा का अभाव था । उनका डर स्वाभाविक भी था। क्योंकि दण्ड अधिकारों का दुरुपयोग हो सकता था। Importance of villages
गांधी जी की संकल्पना थी कि पंचायतों को सदभाव लाने वाली रचनात्मक संस्था के रूप में विकसित किया जाएं, न कि अधिकार भोगने वाली संस्था के रूप में।
गांधी जी और कुछ अन्य महापुरषों को सपना था कि देश में विकेन्द्रीकृत शासन व्यवस्था लागू होनी चाहिए।
“सच्चा लोकतंत्र केंद्र में बैठकर राज्य चलाने वाला नहीं होता, अपितु यह तो गाँव के प्रत्येक व्यक्ति के सहयोग से चलता है।”
गाँधी जी के ये विचार गाँवो की महत्त्ता को प्रदर्शित करते हैं।
देश का विकास लोकतांत्रिक विकेन्द्रीकृत पर तो निर्भर करता ही है। साथ ही विकास के नीचे से ऊपर की ओर प्रवाह पर भी करता हैं।
Importance of villages
लोकतांत्रिक विकेन्द्रीकृत व्यव्यस्था का अर्थ –
लोकतांत्रिक विकेंद्रीकरण से मतलब हैं कि सत्ता शासन किसी एक जगह केंद्रित न होकर स्थानीय स्तरों पर भी विभाजित होना चाहिए।
लोकतांत्रिक विकेन्द्रीकृत व्यवस्था शासन में स्थानीय व्यक्तियों की भी भागीदारी सुनिश्चित करती हैं। जिससे आम आदमी भी शासन सत्ता में अपने हितों और आवश्यकताओं के अनुरूप योगदान दे सकें।
पंचायती राज व्यवस्था, हमारे महापुरुषों के सपनों के अनुरूप और विकेन्द्रीकृत शासन व्यवस्था को स्थापित करना लिए , लिए गए निर्णयों में से एक था।
अतः इस प्रकार पंचायती राज अधिनियम के द्वारा पंचायतो को संवैधानिक अधिकार तो प्राप्त हो गए थे। परंतु क्या उन अधिकारों का सही प्रयोग करके हम अपनी पंचायतो को सशक्त कर पाएं हैं।
या अभी भी ये अधिकार मात्र घोटालों का केंद्र बनकर ही रह गए हैं। ऐसे ही अनेक प्रश्न गाँवो की दशाओं को देखकर उठने जायज़ भी हैं।
Importance of villages
हमे समझना होगा कि जिस देश की इतनी बड़ी जनसंख्या गाँवो में निवास करती हो। वहाँ बिना गाँवो के विकास के देश का विकास संभव नहीं है । अतः प्रत्येक शिक्षित और जागरूक व्यक्ति को गाँवो के विकास में आगे आना होगा।
आज गाँवो में शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार आदि से संबंधित अनेक समस्याएं मौजूद हैं। जिनके समाधान के लिए केंद्र और राज्य सरकारों को सम्मिलित सहयोग से प्रयास करने की आवश्यकता हैं।
ग्रामीण अर्थव्यवस्था कृषि आधारित अर्थव्यवस्था हैं। देश की अर्थव्यवस्था में कृषि का विशेष योगदान हैं।
कृषि में अभी भी विकास की अनेक संभावनाएं मौजूद हैं। कृषि आधारित लघु उद्योग लगाकर गाँवो की अर्थव्यवस्था को गति प्रदान की जा सकती हैं।
ऐसे में पंचायती राज अधिनियम का सदुपयोग करते हुए गांव की अर्थव्यवस्था में बदलाव करके गाँवो को विकास के पथ पर अग्रसर करना होगा।
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