रूस और यूक्रेन में विवाद की ऐतिहासिक कारण। Russia and Ukraine Conflict UPSC in Hindi |
पुरे विश्व की नज़र जिस एक घटना पर है वो हैं यूक्रेन और रूस के बींच सैनिक कार्यवाही। इस लेख में हम यूक्रेन और रूस से संबंधित विवादों के इतिहास को जानने का प्रयास करेंगे और यह जानेंगे कि आखिर किस कारण ऐसी स्थिति उत्पन्न हुई, जिससे रूस को यूक्रेन पर सैनिक कार्यवाही करनी पड़ी। Russia and Ukraine Conflict UPSC in Hindi
1991 में सोवियत संघ 15 अलग-अलग देशों में विभक्त हो गया था। जिसमें से एक देश यूक्रेन भी है, यूक्रेन का स्थान रूस के बाद उन देशों में आता है, जो सोवियत संघ के विघटन के परिणाम स्वरुप बने देशो में महत्वपूर्ण स्थान रखता हैं।
यूक्रेन के नाटो अर्थात उत्तरी अटलांटिक संधि संगठन से अपने देश को सदस्यता प्रदान करने की प्रक्रिया में तेजी लाने के आग्रह पर रूस ने उग्रता अपनाते हुए यूक्रेन पर हमले की घोषणा कर दी है।
यूक्रेन की भौगोलिक स्थिति
यूक्रेन पूर्वी यूरोप में स्थित है। यूक्रेन की सीमा पूर्व में रूस , पश्चिम में हंगरी , दक्षिण पश्चिम में रोमानिया और माल्दोवा, दक्षिण में काला सागर और अजोव सागर, उत्तर में बेलारूस , पोलैंड , स्लोवाकिया से मिलती हैं।
यूक्रेन दुनिया का 46 वा सबसे बड़ा देश हैं। यूक्रेन पूर्णतः यूरोप की सीमा के अंदर आने वाला सबसे बड़ा देश है तथा यूक्रेन यूरोप का दूसरा सबसे बड़ा देश हैं।
यूक्रेन सोवियत संघ के विघटन से पहले रूस के साथ सोवियत संघ का ही एक हिस्सा था। इसके आधार पर यूक्रेन और रूस अनेक वर्षों से सांस्कृतिक और भाषाई संबंधों को साझा करते हैं।
यूक्रेन सोवियत संघ के हिस्से के रूप में रूस के बाद सोवियत संघ में दूसरा सबसे शक्तिशाली एक गणराज्य के रूप में मौजूद था। यूक्रेन सोवियत संघ के एक हिस्से के तौर पर रणनीतिक और आर्थिक रूप में भी महत्वपूर्ण था।
यूक्रेन और रूस के बीच विवाद के कारण :
- सोवियत संघ के विघटन के बाद शक्ति संतुलन का मुद्दा –
सोवियत संघ के विघटन के बाद, पश्चिम देशों और रूस के बीच, इस क्षेत्र में शक्ति संतुलन को अपने पक्ष में बनाए रखने के लिए समय-समय पर कुछ ऐसे कदम उठाए गए हैं। जिससे इस क्षेत्र में विवाद उत्पन्न हुआ है। रूस और पश्चिमी देश इस क्षेत्र में शक्ति संतुलन बनाने के लिए भरसक प्रयास करते हैं। जिससे लगातार संघर्ष की स्थिति उत्पन्न होती रहती है।
- काला सागर में रूस के हित-
यूक्रेन की दक्षिणी सीमा काला सागर से लगती हैं। इस क्षेत्र को खनिज संसाधनों से संपन्न क्षेत्र माना जाता है। रूस अपने हित के अनुसार इस क्षेत्र को अपने नियंत्रण में करना चाहता है। काला सागर से संबंधित यह क्षेत्र रूस को अनेक आर्थिक और राजनीतिक लाभ प्रदान करता है। काला सागर का क्षेत्र माल एवं ऊर्जा के लिए एक महत्वपूर्ण क्षेत्र माना जाता है। जिस कारण रूस पहले से ही इस क्षेत्र को अपने नियंत्रण में करने के प्रयास करता रहा है । 2014 में रूस के द्वारा क्रीमिया पर अपना अधिकार स्थापित करना भी इसी कड़ी का एक हिस्सा था।
- यूक्रेन की पश्चिमी देशों और रूस के बीच में अवस्तिथि –
यूक्रेन की अवस्थिति पश्चिमी देशों और रूस के बीच में स्थित है। जिस कारण पश्चिमी देश यूक्रेन को रूस के प्रति एक बफर जोन के आधार पर देखते हैं। जिस कारण अमेरिका और पश्चिमी देश यूक्रेन को रूसी नियंत्रण से दूर रखने के लिए निरंतर प्रयास करते रहे है।
- विवाद का तात्कालिक कारण –
यूक्रेन की नाटो सदस्यता के लिए आग्रह –
यूक्रेन ने नाटो यानी कि उत्तरी अटलांटिक संधि संगठन से अपने देश की सदस्यता प्रक्रिया में तेजी लाने का आग्रह किया है। जिस कारण रूस अत्यधिक उग्र हो चुका है।
यूक्रेन और रूस के बीच वर्षों से विवाद बना हुआ है, परंतु अभी यूक्रेन और रूस के बीच तात्कालिक कारण यूक्रेन का नाटो में शामिल होने के लिए नाटो देशों से प्रक्रिया को तेज करने के आग्रह से जोड़ा जा रहा है।
- रूस द्वारा क्रीमिया पर नियंत्रण स्थापित करना –
जैसे कि ऊपर चर्चा की गई है काला सागर से संबंधित क्षेत्र अनेक कारणों से एक महत्वपूर्ण क्षेत्र है। क्रीमिया क्षेत्र भी यूक्रेन का काला सागर में अवस्थित एक क्षेत्र है। जिस पर 2014 में रूस द्वारा अपना नियंत्रण स्थापित कर लिया गया था। क्रीमिया के रूस में विलय होने से रूस को अनेक तरह से लाभ प्रदान किया है।
- डोनबास पर रूस का दावा –
डोनबास दक्षिणी पूर्वी यूक्रेन में स्थित एक महत्वपूर्ण क्षेत्र हैं। यह क्षेत्र ऐतिहासिक, राजनीतिक और आर्थिक महत्व रखता है। रूस ने इस क्षेत्र पर अपना दावा स्थापित किया है। जिस कारण रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध प्रारंभ हो गया है।
- अमेरिका का रुख
रूस यह चाहता था कि यूक्रेन को नाटो में शामिल नहीं किया जाएं। जिस कारण रूस अमेरिका से यह आश्वासन चाहता था कि वह युक्रेन को नाटो मे शामिल नहीं करेगा परंतु अमेरिका रूस को ऐसा कोई आश्वासन नहीं दे रहा हैं। यहां तक कि अमेरिका ने कुछ समय पहले यह संकेत दिया था कि वह यूक्रेन को नाटो में शामिल करने की प्रक्रिया प्रारंभ कर सकता है।
अगर यूक्रेन को नाटो समूह में शामिल कर लिया जाता है। तो रूस इस क्षेत्र में जो अपने हित देख रहा है। उसको एक गहरा आघात लग सकता है, इसलिए रूस ने यूक्रेन के प्रति उग्रता अपनाते हुए सैनिक कार्यवाही करने के आदेश दिए हैं।
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