UPSC IAS (Mains) 2018 Hindi Literature  (Paper -2) Exam Question Paper in Hindi |  यूपीएससी आईएएस 2018 (मुख्य परीक्षा) हिंदी साहित्य पेपर -2   | Hindi Literature Previous Year Question Paper 2018

UPSC IAS (Mains) 2018 Hindi Literature (Paper – 2 ) Exam Question Paper

Hindi Literature Previous Year Question Paper 2018

 

UPSC IAS (Mains) 2018 Hindi Literature  (Paper -2) Exam Question Paper in Hindi

2018

‘ SECTION ‘A’

 

निम्नलिखित काव्यांशों की लगभग 150 शब्दों में ऐसी व्याख्या कीजिए कि इसमें निहित काव्य-मर्म भी उद्घाटित हो सके :

1.(a) प्रकृति जोई जाके अंग परी । स्वान- पूँछ कोटिक जो लागै सूधि न काहु करी । जैसे काग भच्छ नहिं छोड़े जनमत जौन घरी । धोये रंग जात कहु कैसे ज्यों कारी कमरी । ज्यों अहि डसत उदर नहिँ पूरत ऐसी धरनि धरी । सूर होउ सो होउ सोच नहिं, तैसे हैं एउ री ।।

 

1.(b) सुनु रावन ब्रह्मांड निकाया। पाइ जासु बल बिरचति माया ।

जाके बल बिरंचि हरि ईसा । पालत सृजत हरत दससीसा ।

धरइ जो बिबिध देह सुरत्राता । तुम्ह से सठन सिखावनु दाता ।

हर कोदंड कठिन जेहिं भंजा । तेहि समेत नृप दल मद गंजा ।.

जा  बल सीस धरत सहसासन । अंडकोस समेत गिरि कानन ।

1.(c) पावक सो नयननु लगे जावकु लाग्यो भाल । मुकुरु होहुगे नैंक मैं, मुकुरु बिलोको लाल ।। तखिन- – कनकु कपोल-दुति बिच ही बीच बिकान । लाल लाल चमकर्ति चुनीं चौका-चीन्ह-समान ॥

1.(d) उषा की पहिली लेखा कांत, माधुरी से भींगी भर मोद मदभरी जैसे उठे सलज्ज भोर की तारक द्युति की गोद ।

  1. (c) अवतरित हुआ संगीत स्वयंभू

जिसमें सोता है अखण्ड

ब्रह्मा का मौन

अशेष प्रभामय ।

  1. (a) नीरस निर्गुण मत में कबीर ने ‘ढाई आखर’ जोड़ने की पहल किससे प्रेरित हो कर की और क्यों ? अपने कथन की पुष्टि कीजिए

2.(b) जायसी की सौन्दर्य संचेतना में उनकी ऊहा शक्ति साधक रही है या बाधक ? सोदाहरण समझाइए ।

2(c) निराला कृत कुकुरमुत्ता में व्यंग्य विद्रूप के साथ भरतीय अस्मिता का जयघोष हैं। युक्तोयुक्त उत्तर दीजिये।

3.(a) “कुरुक्षेत्र में युग प्रबुद्ध उद्विग्न मानस का जो द्वन्द्व चित्रित हुआ है, उससे उसकी प्रबन्धात्मकता भी प्रभावित हुई है।” पक्षापक्ष विमर्श कीजिए।

3.(b) “मुक्तिबोध रचित ‘ब्रह्मराक्षस’ की उपलब्धि है भयानक अंगीरस, तिलिस्मी ‘वस्तु’ और आवेग कल्पना संवेदना का संगम ।” इस कथन की समीक्षा कीजिये

3.(c) ‘असाध्य वीणा’ के किरीटी तरु में जो ध्वनियाँ समाहित हुई और वीणा वादन के बीच जो ध्वनियाँ झंकृत हुईं उनके साम्य वैषम्य पर विचार प्रस्तुत कीजिए ।

4.(a) ‘सुन्दर’ शब्द पर विचार करते हुए ‘सुन्दरकांड’ के वस्तु-शिल्प-सौन्दर्य की विवेचना कीजिए ।

4.(b) हिन्दी भ्रमरगीत-परंपरा में सूरदास कृत भ्रमरगीत का वैशिष्ट्य निरूपित कीजिए ।

  1. (c) “कामायनी” को “चेतना का सुन्दर इतिहास’ और ‘अखिल मानव-भावों का सत्य’ – शोधक काव्य क्यों कहा गया है ? अपने विचार प्रस्तुत कीजिए ।

Section B

  1. निम्नलिखित गद्यांशों की सन्दर्भ सहित व्याख्या कीजिए और उसका भाव-सौंदर्य प्रतिपादित कीजिए : (प्रत्येक लगभग 150 शब्दों में)

5.(a) भगवान् सोम की मैं कन्या हूँ। प्रथम वेदों ने मधु नाम से मुझे आदर दिया। फिर देवताओं की प्रिया होने से मैं सुरा कहलाई और मेरे प्रचार के हेतु श्रौत्रामणि यज्ञ की सृष्टि हुई। स्मृति और पुराणों में भी प्रवृत्ति मेरी नित्य कही गई। तंत्र केवल मेरी ही हेतु बने । संसार में चार मत बहुत प्रबल हैं। इन चारों में मेरी चार पवित्र प्रेम मूर्ति विराजमान हैं ।

5.(b) श्रद्धा और प्रेम के योग का नाम भक्ति है। जब पूज्य भाव की वृद्धि के साथ श्रद्धा भाजन के सामीप्य लाभ की प्रवृत्ति हो, उसकी सत्ता के कई रूपों के साक्षात्कार की वासना हो, तब हृदय में भक्ति का प्रादुर्भाव समझना चाहिए ।

  1. (c) उस हिमालय के ऊपर प्रभात सूर्य की सुनहरी प्रभा से आलोकित प्रभा का, पीले पोखराज का सा, एक महल था । उसी से नवनीत की पुतली झाँक कर विश्व को देखती थी। वह हिम की शीतलता से सुसंगठित थी। सुनहरी किरणों को जलन हुई । तप्त हो कर महल को गला दिया । पुतली ! उसका मंगल हो, हमारे अश्रु की शीतलता उसे सुरक्षित रखे । कल्पना की भाषा के पंख गिर जाते हैं, मौन-नीड़ में निवास करने दो। छेड़ो मत मित्र

5.(d) संस्कृति में सदैव आदान-प्रदान होता आया है, लेकिन अंधी नकल तो मानसिक दुर्बलता का ही लक्षण है। पश्चिम की स्त्री आज गृह स्वामिनी नहीं रहना चाहती। भोग की विदग्ध लालसा ने उसे उच्छृंखल बना दिया है। लज्जा और गरिमा को, जो उसकी सबसे बड़ी विभूति थी, चंचलता और आमोद-प्रमोद पर वह होम कर रही है।

 

5.(e) सौन्दर्य का ऐसा साक्षात्कार मैंने कभी नहीं किया। जैसे वह सौन्दर्य अस्पृश्य होते हुए भी मांसल हो । तभी मुझे अनुभव हुआ कि वह क्या है, जो भावना को कविता का रूप देता है। मैं जीवन में पहलीबार समझ पायी कि क्यों कोई पर्वत-शिखरों को सहलाती हुई मेघ-मालाओं में खो जाता है, क्यों किसी को अपने तन-मन की अपेक्षा आकाश से बनते मिटते चित्रों का ईतना मोह हो रहता है।

  1. (a) “गोदान न केवल ग्रामीण जीवन का, बल्कि समूचे भारतीय जीवन की समस्याओं तथा यत्किंचित् सम्भावनाओं का आख्यान है।” इस स्थापना का वस्तुनिष्ठ विश्लेषण कीजिए ।
  2. (b) ‘मैला आँचल’ ‘ग्राम कथा’ की कलात्मक परिणति है या ‘आंचलिकता’ की स्वतंत्र संरचना ? भारतीय आंचलिक उपन्यासों के परिप्रेक्ष्य में स्पष्ट कीजिए ।
  3. (c) ‘महाभोज’ में समसामयिक अव्यवस्था का मात्र निदान है अथवा विधेयात्मक समाधान भी ? तर्क पूर्वक समझाइए ।

7.(a)”गुप्त कालीन प्रामाणिक इतिहास का अनुलेखन एवं कल्पनाधारित वस्तु-संयोजन ‘स्कंदगुप्त’ में परिलक्षित होते हैं।” इस कथन की सप्रमाण संपुष्टि कीजिए ।

7.(b) ‘नाट्यरासक’ या ‘लास्यरूपक’ की शिल्प-विधि की दृष्टि से ‘भारत दुर्दशा’ का तात्त्विक मूल्यांकन कीजिए ।

7.(c) ‘चीफ की दावत’ में नौकरशाही में व्याप्त स्वार्थ-लिप्सा के मनोविज्ञान का उद्घाटन कीजिए । 15

8.(a) आचार्य शुक्ल के निबन्धों की विभिन्न कोटियों का परिचय देते हुए मनोभावों से संबन्धित निबंधों का वैशिष्ट्य प्रतिपादित कीजिए ।

8.(b) ‘दिव्या’ में लेखक की यथार्थभेदी दृष्टि से भारत के स्वर्णकाल का इतिहास विरूपित हुआ है या अभिमण्डित ? युक्तियुक्त उत्तर दीजिए ।

  1. (c) उपन्यास की भाषा को कथ्य का अनुसरण करना क्या श्रेयस्कर माना जाएगा ? ‘मैला आंचल’ के संदर्भ में तर्क प्रस्तुत कीजिए ।

 

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