वैज्ञानिक नंबी नारायणन जी का जीवन परिचय | Nambi Narayanan Biography in Hindi
Nambi Narayanan Biography in Hindi
भारत के एक मशहूर स्पेस रॉकेट वैज्ञानिक एस. नंबी नारायणन जी, जिन्होने अपने पूरे जीवन को देशभक्ति में समर्पित कर दिया। नंबी नारायणन जी के जीवन का इतिहास भी काफी रोचक रहा है। उनके बारे में कहा जाता है की उन्होंने मिशन मंगल को आज से 20 साल पहले ही पूरा कर दिया होता अगर उनके साथ वो एक हादसा न हुआ होता, जिसमें उन पर जासूसी के आरोप लगे थे और उन्हें देशद्रोही तक कह दिया गया था।
नंबी नारायणन जी का जन्म केरल राज्य के एक गांव नागारोकोइल में हुआ था। नंबी नारायणन जी इसरो मे क्रायोजेनिक डिवीजन अधिकारी के पद पर कार्यरत थे। साल 1997 में उन पर भारत की जासूसी करने के आरोप लगे थे, परन्तु कोर्ट ने 1998 में उन पर लगे सभी आरोपों को निराधार बता कर खारिज कर दिया था। नंबी नारायणन जी का जन्म केरल राज्य के एक गांव नागारोकोइल में हुआ था। भारत में ये एक सैटेलाइट वैज्ञानिक के रूप में जाने जाते है।
हाल ही में रिलीज़ हुई फिल्म, रॉकेटरी: द नांबी इफेक्ट इंडियन स्पेस रिसर्च ऑर्गनाइजेशन (इसरो) के वैज्ञानिक नंबी नारायणन की असल जिंदगी पर आधारित है। नंबी नारायणन जी इसरो के वो वैज्ञानिक हैं जिन पर जासूसी का झूठा आरोप लगा था। कई वर्षों तक उन्होंने अपने लिए इंसाफ की लड़ाई लड़ी थी। नंबी नारायणन जी पर आरोप लगाया गया था कि उन्होंने कई करोड़ रुपयों की लालच में दुश्मन देश पाकिस्तान को देश के राज बेच डाले थे। नंबी नारायणन जी पर जासूसी के तमाम आरोप झूठे और बेबुनियाद साबित हुए थे।
Nambi Narayanan Biography in Hindi
इस पूरे जासूसी कांड की शुरुआत अक्टूबर 1994 से हुई थी। उस समय मालदीव की मरियम नाशिदा को तिरुवंतपुरम से गिरफ्तार किया गया था। मरियम पर आरोप थे कि उनके पास इसरो के रॉकेट इंजन के कुछ चित्र है जिसे वह पाकिस्तान को बेचने जा रही थी। इस पूरे केस में जब इसरो के क्रायोजेनिक इंजन प्रोजेक्ट पर काम कर रहे वैज्ञानिक नंबी नारायणन जी को नवंबर में गिरफ्तार किया गया तो खलबली मच गई। नारायणन के साथ इसरो के डिप्टी डायरेक्टर डी शशिकुमारन को भी गिरफ्तार किया गया था। इन दोनों के अलावा रूस की स्पेस एजेंसी में भारतीय प्रतिनिधि के चंद्रशेखर, लेबर कॉन्ट्रैक्टर एसके शर्मा और नाशिदा की दोस्त फौसिया हसन को भी गिरफ्तार किया गया था।
जनवरी 1995 में इसरो वैज्ञानिकों और सभी बिजनेसमेन को जमानत मिल गई। लेकिन मालदीव की दोनों नागरिकों को जेल में ही रखा गया। साल 1996 में सीबीआई ने केरल की कोर्ट में रिपोर्ट फाइल करके इस जासूसी केस का झूठा करार दिया और फिर सभी आरोपी रिहा हो गए। लेकिन इसी वर्ष जून में केरल की सरकार ने फैसला किया कि वह केस की जांच दोबारा करेगी। इंटेलीजेंस ब्यूरो के तत्कालीन डायरेक्टर और बाकी अधिकारी जब-जब नारायणन से पूछताछ करते, वह हर बार इस बात से इनकार कर देते कि उन्होंने कोई जानकारी पाकिस्तान को उपलब्ध कराई है।
नारायणन जिस प्रोजेक्ट पर काम कर रहे थे वह काफी अहम था। साल 1994 में भारत सरकार की ओर से क्राइयोजेनिक अपर स्टेज (सीयूएस) प्रोजेक्ट को लॉन्च किया था। इस प्रोजेक्ट का बजट 300 करोड़ था। नारायणन पर आरोप लगा कि वह नाशिदा से मिले थे और उसके जरिए उन्होंने रॉकेट के लिए काफी अहम इस तकनीक को पाकिस्तान को बेचा था।
नारायणन बार-बार इस बात से इनकार करते रहे। उन्होंने पूछताछ करने वाले अधिकारियों को बताया भी कि जिस तकनीक को बेचने के आरोप वह उन पर लगा रहे हैं, वह तो अभी भारत में ही डेवलप नहीं हुई है।अगर पाकिस्तान या दूसरे देशों को यह टेक्निक हासिल हो भी गई तो भी बिना भारत की मदद के इसे ऑपरेट नहीं किया जा सकेगा। लेकिन किसी ने उनकी एक नहीं सुनी।
नंबी नारायणन जी पूरी तरह से बेकसूर थे तभी सुप्रीम कोर्ट ने नवंबर 1995 में केस की दोबारा जांच की मांग को ठुकरा दिया था। मई 1998 में सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार से नारायणन और बाकी आरोपियों को एक लाख रुपए मुआवजा अदा करने को कहा। इसके बाद साल 1999 में नारायणन ने राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) में अपील की और मानसिक कष्ट के लिए हर्जाना देने की मांग की। मार्च 2001 में एनएचआरसी ने उनकी अपील को स्वीकार किया और 10 लाख रुपए के हर्जाने का आदेश दिया। सरकार ने इस फैसले को हाई कोर्ट में चुनौती दी और नारायणन को 10 लाख रुपए हर्जाना दिया गया।
साल 2018 में सुप्रीम कोर्ट की तरफ से नारायणन जी को 5,000,000 करीब 70,000 डॉलर मुआवजा अदा करने का फैसला किया। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि केरल की सरकार आठ हफ्तों के अंदर यह जुर्माना अदा करे। सुप्रीम कोर्ट के आदेश से अलग केर की सरकार ने उन्हें 1.3 करोड़ रुपए बतौर मुआवजा देने का फैसला किया था। सुप्रीम कोर्ट की तरफ से एक रिटायर्ड सुप्रीम कोर्ट जज की अगुवाई में मामले की जांच के लिए एक कमेटी भी बनाई गई। इस कमेटी को जिम्मेदारी सौंपी गई कि वो उन पुलिस ऑफिसर्स की जांच करें जिन्होंने नंबी को गिरफ्तार किया था।
साल 2019 में नंबी नारायणन जी को देश के तीसरे सर्वोच्च नागरिक सम्मान पद्मभूषण से सम्मानित किया गया था।
Nambi Narayanan Biography in Hindi
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