डॉ. सी. नारायण रेड्डी राष्ट्रीय साहित्य पुरस्कार  | Dr. CNarayana Reddy National Literary Award 

Dr. C. Narayana Reddy National Literary Award

Dr. C. Narayana Reddy National Literary Award
Dr. C. Narayana Reddy National Literary Award

प्रख्यात उड़िया लेखिका डॉ. प्रतिभा रे को भारत के उपराष्ट्रपति ने हैदराबाद में डॉ. सी. नारायण रेड्डी राष्ट्रीय साहित्य पुरस्कार (Dr. C. Narayana Reddy National Literary Award) प्रदान किया। 

उड़िया भाषा की चर्चित लेखिका डॉ. प्रतिभा रे के उपन्यास और लघु कथाओं में महत्त्वपूर्ण सामाजिक मुद्दों को उठाया गया है इनके उपन्यास और लघु कथाओं काफी सराहा गया है 

लेखिका डॉ. प्रतिभा रे प्राप्त अन्य पुरस्कार – 

वर्ष 2011 में लेखिका डॉ. प्रतिभा रे को  ज्ञानपीठ पुरस्कार, 

वर्ष 2007 में पद्मश्री  

वर्ष 2022 में पद्मभूषण से सम्मानित किया जा चुका है।

इस अवसर पर उपराष्ट्रपति ने तेलुगू भाषा एवं साहित्य में डॉ. सी. नारायण रेड्डी के ‘अमूल्य योगदान’ को याद किया।   उन्होंने कहा कि उनके लेखन ने बड़ी तादाद में तेलुगू लोगों को मंत्रमुग्ध कर दिया है उपराष्ट्रपति ने डॉ. रेड्डी के महाकाव्य ‘विश्वम्भरा’ का उल्लेख करते हुए कहा कि यह मनुष्य और प्रकृति के बीच के जटिल संबंधों का खूबसूरती से वर्णन करता है। महाकाव्य ‘विश्वम्भरा’  के  लिये डॉ. सी. नारायण रेड्डी ज्ञानपीठ पुरस्कार प्रदान किया गया था। 

डॉ. सिंगिरेड्डी नारायण रेड्डी कौन थे  –

Dr. C. Narayana Reddy 
Dr. C. Narayana Reddy

सिंगिरेड्डी नारायण रेड्डी का जन्म 29 जुलाई, 1931 को तत्कालीन हैदराबाद राज्य (तेलंगाना राज्य) के दूरदराज़ के गांव हनुमाजीपेट के एक कृषक परिवार में हुआ था। सी. नारायन रेड्डी की मृत्यु 12 जून, 2017 को हैदराबाद में हुई।

डॉ. सी. नारायण रेड्डी ज्ञानपीठ पुरस्कार‘ से सम्मानित तेलुगु भाषा के प्रख्यात कवि थे। इसके अतिरिक्त उन्हें 1977 में ‘पद्म श्री’1992 में ‘पद्म भूषण’ और 1988 में ‘राज-लक्ष्मी अवॉर्ड‘ से सम्मानित किया गया था।

 उन्होंने  पांच दशकों से भी अधिक समय तक काव्य रचना में अपना बहुमूल्य योगदान दिया। 

डॉ. सिंगिरेड्डी नारायण रेड्डी की प्रमुख कृतियां

सी. नारायन रेड्डी की प्रमुख कृतियां निम्न प्रकार हैं-

कविता –

 स्वप्नभंगम् (1954),

 नागार्जुन सागरम् (1955),

 कर्पूण वसंतरायलु (1957),

 दिव्वेल मुव्वलु (1959), 

विश्वंभरा (1980), 

अक्षराल गवाक्षालु (1966),

 भूमिका (1977),

 मृत्युवु नुंचि (1979),

 रेक्कलु (1982)

नाटक –

 अजंता सुंदरी 1954

प्रदीर्घ गीत –

 विश्वगीति (1954)

गद्य – 

मा ऊरु माट्लाडिंदि (1980), 

व्यासवाहिनी (1965)

समीक्षा –

 मंदारमकरंदालु (1972)

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