कविता : रक्षाबंधन पर्व पर विशेष | Poem on Raksha Bandhan in Hindi
Poem on Raksha Bandhan in Hindi
Poem on Raksha Bandhan in Hindi
जो लड़े दिन रात मुझसे, पर मुसीबत में सहारा बनी।
प्रभु ने दी बहन मुझको, जो समुंदर का किनारा बनी।
जीवन मिला ऐसा मुझे, हर राह मेरी अंधियारा बनी।
मन मेरी बेहना तुझे, तू हर पल मेरा उजियारा बनी।
जीवन अधूरी नींद सा, और तू ख्वाब एक प्यारा बनी।
मैं भटकता एक चांद सा तू चमकती हुई तारा बनी।
मैं रुका पानी जमीं पर कहीं, तू फूटता फुवारा बनी।
चंद सासें जब मुश्किल में पड़ी, तू मेरा गुजारा बनी।
जब हार खड़ी थी मेरे सामने, तू जीत का इशारा बनी।
कंठ सूखा था जब कभी, तू बहती हुई जलधारा बनी।
खुशियां कभी जब भी मिली, तू ही मेरा नजारा बनी।
सुनी सी थी देहरी तेरे बिना, तू ही तो घर हमारा बनी।
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Beautiful poem
धन्यवाद।