आमतौर पर समाज मे कहा जाता है कि कुछ पाने के लिए कुछ खोना पड़ता हैं या जितना बड़ा प्रयास होगा फल भी उतना ही बड़ा प्राप्त होगा । मतलब जहाँ जितना अधिक पाने की संभावनाएं होती हैं वहाँ जोख़िम भी उतना ही अधिक होता हैं। जिस प्रकार किसी बहुमूल्य पदार्थ को पाने के लिए प्रयास भी अधिक होता हैं और ख़तरा भी अधिक अगर थोड़ी सी चूक हो जाए तो पूरा का पूरा खेल उल्टा पड़ जाता हैं और मानवीय हानि तक उठानी पड़ सकती हैं।
उसी प्रकार जीवन पथ पर भी कुछ ऐसे मोड़ आते है, जब इंसान के सामने दो ही रहते होते हैं एक या तो जैसे अभी तक चलते आए हैं ऐसे ही चलते रहे ओर अपनी स्थिति से कोई समझौता किए बिना ज़िन्दगी जीते रहे । दूसरा रास्ता ज़िन्दगी में ऐसा होता है कि जहाँ कुछ पाने की या अपनी स्थिति में परिवर्तन की संभावनाएं अधिक होती हैं परंतु उसके साथ जोख़िम भी ज्यादा जुड़ा होता हैं। जैसे कोई व्यक्ति अपना सब कुछ दांव पर लगा कर कोई व्यापार करें तो हो सकता हैं कि उसका व्यापार चल निकले तो भविष्य में उनके पास संभावनाएं भी अधिक ही होगी परंतु मानलो यदि किसी कारणवश उसका व्यापार चल न पाए तो वो अपना पुराना सब कुछ हाथ से खो देगा।
ऐसी ही स्थिति इंसान के सामने हर क्षेत्र में आती हैं; चाहे वो कोई व्यापार का क्षेत्र हो , चाहे विद्यार्थी जीवन में कोई बड़ा निर्णय लेना हो, चाहे राजनीति से संबंधित कोई बड़ा निर्णय लेना हो । यदि इंसान विद्यार्थी जीवन में कुछ बड़ा प्राप्त करना चाहता हैं तो उसे कुछ कठिन निर्णय लेने ही पड़ते हैं; और लक्ष्य के अनुसार ही खुद को भी संयमित रखना पड़ता ही हैं। जिस प्रकार प्रशासनिक सेवा से संबंधित परीक्षा की तैयारी हैं ,जिसमें विद्यार्थी को खुद को अत्यंत अनुशासन में रखना होता हैं। उसे मालूम भी होता हैं कि इस परीक्षा में जोख़िम भी कोई कम नहीं है क्योंकि प्रत्येक वर्ष भागीदारी करने वाले विद्यार्थियों की अपेक्षा बहुत कम को ही सफलता प्राप्त होती हैं। वहीं उसे मालूम भी होता है कि अगर सफलता मिलती हैं तो संभावनाएं भी अत्यधिक होती हैं।
इसी प्रकार व्यापार में भी जहाँ निवेश करने से लाभ की संभावनाएं अधिक होती हैं वही जोख़िम भी अधिक मौजूद होता है। अतः जीवन मे जहाँ संभावनाएं मौजूद होंगी वहाँ जोख़िम भी होगा ही ।