UP पंचायत चुनाव : मतदान का महत्व । Importance of voting
उत्तर प्रदेश पंचायत चुनाव का माहौल फिर एक बार अपने शीर्ष पर हैं। इस बार वोट डालने से पहले अनेक बातो पर ध्यान देना अति आवश्यक हैं। जिसमे से एक है मतदान का महत्व जानना और पिछले चुनाव का विश्लेषण करना भी जरुरी हो जाता हैं।
मतदान प्रत्येक नागरिक का एक ऐसा अधिकार है जिसके द्वारा जनता लोकतंत्र में प्रत्यक्ष भागेदारी करती हैं। इस लेख में मतदान का महत्व बताया गया हैं; इसमे मतदान का महत्व का विश्लेषण करने का प्रयास किया गया हैं।
स्वतंत्रता प्राप्ति के पश्चात हमारे महापुरुषों के सामने एक विशेष चुनौती थी कि किस प्रकार की व्यवस्था देश में लागू की जाए। अनेक विश्लेषण के बाद लोकतांत्रिक शासन को चुनना तय किया गया। जहाँ जनता के द्वारा , जनता के लिए ,जनता की सरकार का चुनाव किया जाता हैं। महापुरुषों का मानना था कि सभी स्तरों पर जनता की भागीदारी शासन में सुनिश्चित की जाए; उसके लिए उन्होंने स्थानीय स्वशासन पर जोर दिया। क्योंकि जनता के बीच मे रहने वाला व्यक्ति जनता की समस्याओं को गहराई से समझ सकता हैं और उन समस्याओं के समाधान से भी परिचित होता हैं। अतः अगर जनता के बीच से ही कोई व्यक्ति जनता का प्रतिनिधित्व करेगा तो अधिक सामाजिक कल्याण को सुनिश्चित किया जा सकता हैं। इससे शासन में सभी स्तरों से भागीदारी भी सुनिश्चित की जा सकती हैं।
इसी आधार पर देश मे त्रिस्तरीय शासन व्यवस्था( केंद्र , राज्य , स्थानीय) को अपनाया गया।
पिछले पाँच साल में विकास की स्थिति –
देश की अनेक राज्यो की ग्राम पंचायतों में ग्राम प्रधानों ने अपना कार्यकाल पूर्ण कर लिया है। और अब दुबारा ग्राम प्रधान चुनने की प्रक्रिया शुरू हो चुकी हैं। ऐसे में आगे के लिए ग्राम प्रधान चुनने हेतु आवश्यक हो जाता हैं कि पिछले पांच साल का विश्लेषण ईमानदारी से किया जाए। अभी एक ख़बर के अनुसार उत्तर प्रदेश में लगभग 57978 ग्राम प्रधानों का कार्यकाल समाप्त हुआ हैं। और इन पांच सालों में 6000 करोड़ में से 1800 करोड़ का फन्ड व्यय ही नहीं हो पाया हैं । ग्रामीण स्तर पर अनेक असंगतियां देखने को मिलती हैं परंतु दुर्भाग्य की बात हैं कि स्थानीय स्तर पर न तो ज्यादा बात ही कोई करने को तैयार होता है और न ही इन मुद्दों पर ध्यान देने की जरूरत ही कोई समझता हैं।
वोट देने से पहले विश्लेषण अवश्य करें
सरकार हमें अनेक प्रकार से अपना विकास करने के लिए फन्ड मुहैय्या कराती हैं । परंतु प्रश्न ये है कि क्या वो फन्ड हमारे विकास के काम आता है या चंद लोगों के विकास तक ही सीमित होकर रह जाता हैं।
इन पांच सालों के बाद अनेक लोग तो यही कहते दिखाई दिख जाएंगे कि चलो 5 साल खत्म हुए ।
हमें सोचना होगा कि हमारा मुख्य कार्य अब शुरू हुआ है कि हम पूरी ईमानदारी और पूरी जिम्मेदारी से पिछले पांच साल का विश्लेषण करें। जिससे हम हर बार की तरह गलती न दोहराते हुए अगले पांच साल को अपने लिए लाभदायक बना सकें।
हमे खुद से पूछना होगा कि क्या 5 साल पहले हमने जो लक्ष्य लेकर मतदान किया था क्या वो लक्ष्य पूर्ण हुआ ?? या हर बार की तरह इस बार भी भोली भाली जनता से छल किया गया हैं ??
आमतौर पर ग्राम प्रधान का विकास रूपी नज़रिया सड़क बनवा देने , या लाइट लगवा देने आदि स्तरीय कार्यो तक ही सीमित होता हैं। परंतु हमें मालूम होना चाहिए कि एक ग्राम प्रधान को संविधान में अनेक अधिकार और शक्तियां प्रदान की गई हैं। आमतौर पर देखने को मिलता है कि एक कम पढ़े लिखे प्रधान के कारण गाँव के सभी विकास कार्य ग्राम सचिव के कंधों पर आ जाते हैं ; जिससे विकास कार्यो में विसंगतियों के बढ़ने के अवसर ज्यादा होते हैं। अतः कुछ राज्यों ने ग्राम प्रधान चुनाव हेतु शैक्षणिक योग्यताओं को आधार बनाया हैं।
UP पंचायत चुनाव 2021
विकास को सर्वोपरि रखें
उसके बाद भी जनता की ज्यादा अधिक जिम्मेदारी बनती हैं कि भविष्य में ग्राम प्रधान का चुनाव करते समय विकास को ही सर्वोपरी रखा जाए। मतदान करने से पहले बच्चों की शिक्षा , किसान – मजदूर के हित , महिलाओं के मुद्दे , वृद्ध व्यक्तियों के कल्याण आदि मुद्दों को ध्यान में रखा जाए तो कुछ सुधार होने की उम्मीद की जा सकती हैं; अन्यथा प्रत्येक पांच साल बाद पछतावे के अलावा कुछ शेष नही बचता हैं।
कोई भी शासन व्यवस्था वहाँ के नागरिकों के कारण ही उत्तम सिद्ध होती हैं और नागरिकों के कारण ही बेकार भी सिद्ध होती हैं। हमें नेताओं , जन प्रतिनिधियों को दोष देने से पहले एक बार ये स्मरण अवश्य कर लेना चाहिए कि हमने किस आधार पर अपना प्रतिनिधि चुना था ??
क्या सच मे हमने विकास , सामाजिक कल्याण के लिए मत का प्रयोग किया था ??
या अपना संकुचित हित साधने के कारण मात्र से वोट दिया था।
जब हम किसी प्रतिनिधि के सामने वाले बटन को दबाते हैं या मुहर लगाते हैं। तो उस एक मिनट में हम केवल उसको एक वोट ही नहीं दे रहे होते हैं बल्कि विद्यार्थियों की शिक्षा , किसान – मजदूरों के कल्याण , महिलाओं के मुद्दों , वृद्ध कल्याण , सामाजिक कल्याण , ग्राम विकास आदि मुद्दों की जिम्मेदारी उस प्रतिनिधि को दे रहे होते हैं। इसलिए उस एक मिनट की लापरवाही से भविष्य के 5 साल बर्बाद कर देना कोई जागरूक जनता के लक्षण तो नही कहे जा सकते हैं। क्योंकि एक गलत चुनाव इन वर्गों के हितों की जो क्षति करता हैं उसका अंदाज़ा इतनी सरलता से नहीं लगाया जा सकता हैं , जितना सरल हम समझ बैठते हैं।