CSR (corporate social responsibility)

CSR – कॉर्पोरेट सोशल रेस्पोंसबिलिटी किसे कहते है ? CSR full form 


संयुक्त राष्ट्र औद्योगिक विकास संगठन के अनुसार CSR एक ऐसी व्यवसाय प्रबंधन अवधारणा हैं जिसके तहत कंपनियां अपने व्यवसाय के संचालन और हितधारकों या stakeholders के साथ सामाजिक और पर्यावरण संबंधी चिंताओं को अपनी चर्चा का विषय बनाती हैं। यहाँ पर हम पूर्ण रूप से यह जानेंगे कि CSR (corporate social responsibility) – कॉर्पोरेट सोशल रेस्पोंसबिलिटी किसे कहते है ? CSR (corporate social responsibility) – कॉर्पोरेट सोशल रेस्पोंसबिलिटी के दायरे में कौन कौन आते हैं ? CSR (corporate social responsibility) – कॉर्पोरेट सोशल रेस्पोंसबिलिटी में किस प्रकार की गतिविधियों शामिल होती हैं ? csr full form in hindi

आमभाषा में अगर समझे तो CSR एक ऐसी अवधारणा है जिसके द्वारा कंपनी अपने पक्षकारों के हितों को पूरा करते हुए आर्थिक , सामाजिक , पर्यावरणीय मूल्यों को भी ध्यान में रख कर , अपनी उत्पादन गतिविधियों को जारी रखती हैं।

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CSR (corporate social responsibility)


कॉर्पोरेट सोशल रेस्पोंसबिलिटी { CSR – corporate social responsibility }  से अभिप्राय किसी औधोगिक इकाई का उसके नैतिक दायित्व से हैं। औद्योगिक इकाई में किसी स्थानीय परिवेश का प्रयोग करके या संसाधनों का प्रयोग करके उत्पादन कार्य किए जाते हैं । जिससे कुछ न कुछ परिवर्तन या प्रभाव स्थानीय स्तर पर पड़ने जरूरी हैं। जैसे वायु प्रदूषण, जल प्रदूषण आदि। कंपनी या औद्योगिक इकाई में उत्पादन गतिविधियों के करण ही अनेक तरह के जो परिवर्तन स्थानीय परिवेश में होते है । इसके बदले में कंपनी या औद्योगिक इकाई के द्वारा सीधे तौर पर किसी भी तरह का मुआवजा स्थानीय लोगो को नही दिया जाता हैं। अतः ये पूरे विश्व मे अनिवार्य हैं कि कंपनी अपनी आमदनी से कुछ न कुछ भाग सामाजिक कल्याण या पर्यावरण संरक्षण में लगाएं। अतः कॉरपोरेट सोशल रेस्पोंसबिलिटी { CSR – Corporate social responsibility } कंपनी से संबंधित पक्षकारों के प्रति नैतिक दायित्व से हैं।


CSR (corporate social responsibility) प्राचीन काल से भारतीय मूल्यों में समाहित- 


* भारत मे CSR की अवधारणा कोई नई नहीं हैं। भारत मे प्राचीन काल से ही अनेक धर्म ग्रंथो या शिक्षाओं के द्वारा अमीर लोगो को प्रेरित किया गया है कि वो गरीब या जरूरतमंद लोगों की सहायता करें। 

* भारतीय समाज मे दान देने की प्रथा भी कही न कही CSR जैसी ही हैं। 

* प्राचीन काल के साथ साथ मौर्य काल मे चाणक्य जैसे आचार्यो ने भी व्यापार करते हुए नैतिक दायित्व पर जोर दिया हैं।

* भारत में धार्मिक मूल्यों में समाहित प्रकृति , जानवरों, समाज और वंचित वर्गों के प्रति नैतिक जिम्मेदारी भी एक तरह से CSR के समान ही हैं।

* महात्मा गांधी की ट्रस्टीशिप ( trusteeship ) की अवधरणा भी एक सामाजिक – आर्थिक दर्शन पर आधारित हैं। इसके द्वारा भी अमीर लोगो को एक ऐसा माध्यम प्रदान किया जाता हैं जिसके माध्यम से वो गरीब लोगों की सहायता कर सकें।


अतः ये स्पष्ट तौर पर कह सकते है कि CSR की अवधारणा भारत मे कोई नई नहीं है बल्कि भारतीय मूल्यों में ये प्राचीन काल से ही समाहित हैं।

क्या CSR (corporate social responsibility)

– कॉर्पोरेट सोशल रेस्पोंसबिलिटी भारत मे अनिवार्य हैं – 


* प्रत्येक देश मे इसका मूल्य अलग अलग हो सकता हैं। कानून बनाकर इसके अनेक प्रावधानों को लागू किया जाता हैं। 

* भारत पहला ऐसा देश है जिसने CSR को अनिवार्य तौर पर लागू किया हैं। कंपनी अधिनियम 2013 में संशोधन करने के बाद अप्रैल 2014 में ऐसा करने वाला पहला देश बन गया था। CSR को कंपनी अधिनियम 2013 की धारा 135 के तहत नियंत्रित किया जाता हैं।


CSR – कॉर्पोरेट सोशल रेस्पोंसबिलिटी के दायरे में कौन आता हैं –

 
* कंपनी का सालाना निवल मूल्य ( net worth) 500 करोड़ से अधिक।

* या कुल कारोबार ₹ 1000 करोड़ से अधिक 

* या शुद्ध लाभ ₹ 5 करोड़ से अधिक हो ।


CSR – कॉर्पोरेट सोशल रेस्पोंसबिलिटी के अंतर्गत गतिविधियां- 


कंपनियो को अपने पिछले 3 वर्षों के शुद्ध लाभ के औसत का 2 % खर्च करना पड़ता हैं-


*  भूख कुपोषण, गरीबी उन्मूलन के कार्यक्रम

* शिक्षा को प्रोत्साहन

* नारी सशक्तीकरण

* पर्यावरण संरक्षण  कार्यक्रम

* शिशु मृत्यु दर , मातृ मृत्यु दर में सुधार

* प्रधानमंत्री राष्ट्रीय राहत कोष , केंद्र या राज्य सरकार द्वारा गठित कोष में योगदान ।

* सार्वजनिक पुस्तकालयों का निर्माण

* अनाथालय , वृद्धाश्रम , छात्रावास का निर्माण , रखरखाव 

* महिला कल्याण कार्यक्रम

* युद्ध में शहीद , सशस्त्र बलों के नायकों के परिवार जनों के लाभ से संबंधित

* कमजोर वर्गों के लिए कार्य

* स्वास्थ्य और स्वच्छता को बढ़ावा

* ग्रामीण विकास योजनाएं

* शुद्ध पेयजल व्यवस्था आदि।


भारत मे CSR – कॉर्पोरेट सोशल रेस्पोंसबिलिटी की आवश्यकता –


भारत मे एक बहुत बड़ी आबादी निवास करती हैं। इस बड़ी आबादी में हर तरह के व्यक्ति मौजूद है जिसमे गरीबी रेखा के नीचे जीवन यापन करने वालो की संख्या भी बहुत अधिक हैं। भारत में संसाधनों की कमी के कारण या संसाधनों का उत्तम प्रयोग नहीं होने के कारण एक बड़ा वर्ग मूलभूत आवश्यकताओं  के लिए भी संगर्षशील रहता है। भारत में लाखों की संख्या में बस्तियां मौजूद हैं जहाँ अत्यंत बड़े स्तर पर गंदगी मौजूद रहती हैं। ऐसे में स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं भी बहुत ज़्यादा होती हैं।शिक्षा , स्वास्थ्य , स्वच्छता , समाज कल्याण आदि विषयों को संविधान में जगह मिलने के बाद भी सरकार संसाधनों की कमी या संसाधनों के उत्तम प्रयोग के अभाव में एक बड़े वर्ग को लाभ देने में संगर्षशील रहती हैं। जिससे समाज मे एक अंतर मौजूद है और ये अंतर बढ़ता ही जा रहा हैं।


ऐसे में CSR इस अंतर को कम करने या भरने में एक महत्वपूर्ण योगदान दे सकता हैं। CSR सामाजिक समन्वय में भी योगदान देता हैं। इससे पूंजीपतियों में सामाजिक कल्याण की भावना को प्रोत्साहन मिलता हैं।

 

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