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अखिल भारतीय ग्राम पंचायत सदस्य संगठन / AKHIL BHARTIYA GRAM PANCHAYAT SADASYA SANGATHAN
AKHIL BHARTIYA GRAM PANCHAYAT SADASYA SANGATHAN
अखिल भारतीय ग्राम पंचायत सदस्य संगठन
यदि आप ग्राम पंचायत के वार्ड सदस्य हैं या फिर आपका कोई सहयोगी या मित्र इस पद पर चुना गया है या फिर आप ग्राम सभा के सदस्य हैं तो आपके लिए यह संगठन महत्वपूर्ण और उपयोगी है ।
सम्मानित ग्राम पंचायत सदस्य/ग्राम सभा सदस्य
सादर नमस्कार
सर्वप्रथम आपको ग्राम पंचायत सदस्य निर्वाचित होने पर हार्दिक बधाई (यदि आप निर्वाचित है ) । हाल ही मे बीते त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव के बाद अब ग्राम की सरकार का गठन हो चुका है, और आप ग्राम की सरकार के मंत्रिमंडल के महत्वपूर्ण अंग है।
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आप अपनी ग्राम पंचायत के जिस बार्ड से सदस्य है , उस बार्ड के चौमुखी विकास एवम समाज के सभी वर्गों को शासकीय योजनाओं का लाभ जन जन तक पहुंचाने की जिम्मेदारी भी आपकी ही है , लेकिन बीते समय में ग्राम पंचायत सदस्यों की स्थिति का आंकलन किया जाएं। तो पता चलता है की ग्राम पंचायत के सदस्यों की ग्राम के विकास और योजनाओं के क्रियान्वयन में भूमिका नगण्य ही रही है ।
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ग्राम पंचायत के सदस्यों और पंचायत सदस्यों को लेकर गठित होने वाली ग्राम पंचायतों की समितियों की भूमिका को सार्थक और सक्रिय किए जाने के उद्देश्य से ही “अखिल भारतीय ग्राम पंचायत सदस्य संगठन” की स्थापना की गई है।
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भारत के 73 वें संविधान संशोधन के फलस्वरूप ग्राम के विकास के परिदृश्य में उल्लेखनीय परिवर्तन आए है। विकेंद्रीकरण की भावना फलीभूत होने से विभागों द्वारा संचालित विभिन्न योजनाओं के ग्राम स्तर पर क्रियान्वयन एवम् अनुश्रण का दायित्व ग्राम पंचायतों को मिला है।
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इससे आम जन की अपेक्षाएं बढ़ी है और अधिक से अधिक लोग शासकीय योजनाओं से पात्रों को लाभांवित कराने हेतु प्रयासरत है, लेकिन यह सारी प्रक्रिया सिर्फ ग्राम प्रधानों और उनके दो चार सहयोगियों के बीच ही सिमट कर रह गई है । पंचायत सदस्यों और समितियों को पूरी तरह सिर्फ कागजी बना दिया गया है।
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यह अत्यंत ही चिंताजनक विषय है। पंचायत सदस्य ओर पंचायत समितियों के न तो अधिकार कम है और न ही जिम्मेदारी। इसके बाद भी इन्हे शुरू से ही हासिये पर धकेला जाता रहा है। इसका प्रमुख कारण रहा है कि ग्राम पंचायत सदस्यों मे संगठन व नेतृत्व का न होना। प्रदेश भर मे कहीं भी पंचायत सदस्यों के हक व अधिकारों की बात करने वाला न कोई संगठन था और न ही नेतृत्व करने वाला कोई व्यक्ति ।
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उपरोक्त तथ्य से यह स्पष्ट है कि ग्राम पंचायत सदस्य बनने के लिए गांव के नागरिकों मे कोई रुचि व उत्साह नहीं है। संविधान के अनुसार तीनों स्तर (ग्राम पंचायत , ब्लाक यानी क्षेत्र पंचायत , व जिला पंचायत) की पंचायतें चुने हुऐ सदस्यों से बनती हैं। इसीलिए दो तिहाई सदस्य न चुने जाने पर पंचायत का गठन नही होता।
गांव मे स्वशासन व खुशहाली के लिये ग्राम पंचायत अपने चुने हुए सदस्यों के बल पर एक संवैधानिक संस्था है। इसी नाते राज्य के अधिनियमों तथा भारत सरकार की योजनायों मे वार्ड सदस्यों की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण है। लेकिन वर्तमान समय में यह पद सर्वाधिक उपेक्षा व अरुचि का विषय बन गया है। जिसके चलते ग्राम पंचायत का संगठनात्मक स्वरूप 26 वर्ष से अधिक समय बीतने के बाबजूद संगठनात्मक रूप से एक व्यक्ति का संगठन बन कर रह गई है।
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उत्तर भारत के अधिकांश राज्यों में यही स्थिति है । ग्राम पंचायतों मे वार्ड सदस्यों की महत्वपूर्ण भूमिका होने के बाद भी इनको दरकिनार करने की स्थिति यहां तक आ पहुंची की वार्ड की बहुत बड़ी संख्या में लोगों ने पंचायत सदस्य पद हेतु नामांकन तक ही नही किया। 2015 के पंचायत चुनावों में वार्ड सदस्यों की कुल संख्या 7,42,269 के सापेक्ष 1,33,138 पदों पर किसी ने भी नामांकन ही नहीं किया था।
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जबकि 3,01,832 वार्ड सदस्य बिना चुनाव के निर्विरोध चुन लिए गए थे। लगभग यही स्तिथि 2021 के चुनावों मे भी रही। 7,31,813 वार्ड सदस्यों के पदों मे से बहुतों में किसी ने चुनाव के लिए पर्चा तक नही भरा और शेष बचे बार्ड में बड़ी संख्या में सदस्य निर्विरोध चुने गए । ऐसी स्थिति इस लिए बनने लगी कि वार्ड सदस्य चाह कर भी कुछ कर पाने की स्थिति मे नही थे।
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जिस तरह ग्राम प्रधान मतदाताओं से निर्वाचित होकर आते हैं तथा ग्राम के मुखिया कहलाते है, उसी तरह वार्ड सदस्य भी वार्ड के मतदाताओं से चुनकर आते है और वार्ड का विकास तथा वहां के लोगों की समस्याओं का निराकरण उसकी जिम्मेदारी है। लेकिन वार्ड सदस्य को इस दायित्व का निर्वहन नही करने दिया जाता। वार्ड सदस्यों के नेतृत्व मे गठित समितियां भी निष्प्रोज्य कर दी जाती है और सारी गतिविधियां फर्जी तरह से रजिस्टर में लिखकर पूर्ण कर ली जाती है।
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शासन-प्रशासन द्वारा जिस तरह से ग्राम प्रधानों के प्रशिक्षण व उनकी क्षमता संवर्धन से जुड़े कार्यक्रम किए जाते है, इस तरह के कार्यक्रम वार्ड सदस्यों के लिए नहीं होते, जबकि उनकी ग्राम पंचायत और समीतियों मे महत्वपूर्ण भूमिका होती है। हालांकि भारत सरकार द्वारा इस विषय पर गम्भीरता से कार्य किया जा रहा है और वार्ड सदस्यों को क्षेत्र विशेषज्ञ के रूप मे तैयार करने की योजना है।
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‘अखिल भारतीय ग्राम पंचायत सदस्य संगठन’ का गठन भी ग्राम पंचायतों के वार्ड सदस्य व पंचायत समितियों के सम्मान और अधिकारों की लड़ाई लडने के लिए हुआ है। वर्तमान मे उ. प्र. मे ग्राम पंचायत सदस्यों की संख्या 7,31,813 है, जो एक बहुत बड़ी संख्या है। यदि पंचायत सदस्य अपने हक व सम्मान की लड़ाई मे एकजुट हो गए तो पंचायतों मे बड़ा परिर्वतन होना सौ प्रतिशत संभव है । संगठन इस अधिकार और सम्मान की लड़ाई मे आपके साथ है। पंचायतों के वार्ड सदस्य , पंचायत व ग्राम विकास के मुद्दों पर कार्य करने वाले सामाजिक कार्यकर्ता तथा त्रिस्तरीय पंचायतों के पूर्व प्रतिनिधि भी इस संगठन में सहयोग या कार्य करने तथा अपने जनपद में दायित्व ग्रहण के करने के उद्देश्य से हमसे जुड़ सकते हैं।
क्रांतिकारी अभिवादन के साथ
*अमित द्विवेदी इतिहास (राष्ट्रीय अध्यक्ष )
*सुल्तान मेहन्दी [प्रदेश अध्यक्ष ( उत्तर प्रदेश )]
अखिल भारतीय ग्राम पंचायत सदस्य संगठन
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शिवेंद्र सिंह चौहान
शिवेंद्र सिंह चौहान -
शिक्षा - बी. टेक. मैकेनिकल इंजीनियरिंग / समाजशास्त्र में स्नातकोत्तर ( Post Graduation ) किया हैं।
कार्यानुभव - 9 साल कॉर्पोरेट सेक्टर में - क्वालिटी इंजीनियर , डिज़ाइन इंजीनियर , ऑपरेशन मैनेजर के पदों पर कार्य करने का अनुभव प्राप्त है।
ब्लॉगिंग के क्षेत्र में भी 4 वर्ष का अनुभव प्राप्त है।
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