Indian Navy Ancient History To Modern History | History of Indian Navy In Hindi
भारतीय नौसेना के इतिहास (History of Indian Navy In Hindi ) की बात करे तो भारत के प्राचीन काल से लेकर आधुनिक काल या इतिहास तक अनेक भारतीय राजवंशो ने सशक्त नौसेना का गठन किया था। प्राचीन काल से लेकर आधुनिक काल तक मौर्या साम्राज्य से लेकर चोल साम्राज्य से लेकर मराठा साम्राज्य तक भारतीय नौसेना का क्रमिक (Indian Navy Ancient History To Modern History ) विकास हुआ है ।
भारतीय नौसेना के इतिहास | History of Indian Navy In Hindi
सिंधु घाटी सभ्यता
- कुछ तथ्यों के अनुसार माना जाता है कि हड़प्पा सभ्यता के दौरान लोथल में लगभग 2300 ई. पू.में विश्व के पहले ज्वारीय बंदरगाह का निर्माण किया गया था। वर्तमान में यह स्थान गुजरात के तट पर (मंगरोल बंदरगाह (Mangrol harbour) के निकट स्थित है।
- इस दौरान, सिंधु घाटी सभ्यता के मेसोपोटामिया के साथ समुद्री व्यापारिक संबंध थे।
मौर्य राजवंश
- व्यापक समुद्री व्यापारिक गतिविधियों के कारण इंडोनेशिया और आस-पास के अन्य द्वीपों में भारतीयों के जाने का मार्ग खुला था। मौर्य काल से संबंधित , मेगस्थनीज ने अपने ग्रंथो में नौसेना से सम्बंधित विशेष समिति की उपस्थिति का वर्णन किया है।
- नौसैनिक युद्धों के अलग-अलग पहलुओं को इस समिति के द्वारा ही संभाला जाता था।
- आचार्य चाणक्य के ग्रंथ में भी नौसेना से संबंधित विभाग के पर्याप्त साक्ष्य मिलते है। इसमें नवाध्यक्ष (जहाजों के अधीक्षक) नामक अधिकारी के अधीन जलमार्ग विभाग का विवरण मिलता है।
सातवाहन राजवंश
- रोमन साम्राज्य के साथ सातवाहन साम्राज्य के गहरे व्यापारिक संबंध थे।
- बंगाल की खाड़ी से सटे भारत के पूर्वी तट पर सातवाहनों ने अपना नियंत्रण स्थापित किया था।
- दक्षिण-पूर्वी एशिया के अलग-अलग हिस्सों के साथ भी इनका संपर्क था। ये ज्ञात ही है कि ये संपर्क समुद्री मार्ग के माध्यम से ही थे।
- सिक्कों पर जहाजों को अंकित कराने वाले सातवाहन भारतीय मूल के प्रथम शासक थे।
गुप्त वंश
- गुप्त काल के दौरान भी विदेशी व्यापार का पर्याप्त विवरण मिलता हैं। फाह्यान व ह्वेनसांग जैसे चीनी यात्रियों ने इस संबंध में विस्तृत विवरण प्रस्तुत किया हैं।
- गुप्त काल के दौरान भारत के पूर्व और पश्चिम में कई बंदरगाहों का निर्माण किया गया था।
- इन बंदरगाहों और समुंद्रीय मार्गो के माध्यम से ही यूरोपीय और अफ्रीकी देशों के साथ बड़े पैमाने पर समुद्री व्यापार को दोबारा शुरू किया गया था।
दक्षिणी राजवंश
- अनेक दक्षिण राजवंश ऐसे थे जिनके विदेश में व्यापक रूप से व्यापारिक संबंध स्थापित थे।
- चोल, चेर और पांड्य शासकों ने सुमात्रा, जावा, मलय प्रायद्वीप, थाईलैंड तथा चीन के स्थानीय शासकों के साथ समुद्री व्यापारिक संबंध मजबूत किए थे।
- इनके अधीन क्षेत्रों से अनेक नदियां अरब सागर में आकर मिलती थी। वे अपना इन्ही विभिन्न नदियों के माध्यम मे करते थे।
- यूनान और रोम के साथ चेर साम्राज्य के व्यापारिक संबंध बहुत अच्छे थे।
- भारत की दक्षिणी तटरेखा पर किए जाने वाले मोती के उत्पादन पर पांड्य शासकों का नियंत्रण था।
मराठा
मराठों के नौसैनिक कौशल की विशेषताएं-
- अपने युग के शासकों में छत्रपति शिवाजी महाराज पहले ऐसे शासक थे, जिन्होंने एक मजबूत नौसेना के महत्व को पहचाना था।
- 17वीं शताब्दी में शिवजी ने एक आधुनिक नौसैनिक बल की नींव रखी थी।
- कोंकण तट, मराठा साम्राज्य के समुद्री व्यापार की सुरक्षा के लिए एक मजबूत नौसैनिक बल की स्थापना की थी।
- 40 से अधिक वर्षों तक मराठो ने पुर्तगालियों और अंग्रेजों दोनों पर नियंत्रण रखा था।
- पुर्तगालियों ने समुद्र पर मराठों का अधिकार स्वीकार कर लिया था।
- ईस्ट इंडिया कंपनी को भी अपने जहाजों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए मराठों को वार्षिक रूप से भुगतान करना पड़ता था।
- शिवाजी ने सिद्दी नौसेना बेड़े के हमलों से भी पश्चिमी कोंकण तट की रक्षा की थी।
मराठा नौसेना का संगठन
- नौसेना को दो ‘सूबों’ या विभागों में विभाजित किया गया था।
- प्रत्येक सूबे में पांच घुराब (Gurabs) और पंद्रह गल्लिवत (Galbats) होते थे।
- प्रत्येक विभाग दो सेनानायकों के अधीन होता था । जिनके नाम दरिया सारंग और मायनायक भंडारी थे
जहाज:
- मराठा जहाज दो प्रकार के थे – युद्ध करने वाले जहाज और व्यापारिक जहाज।
- युद्ध करने वाले जहाजों में घुराब और गल्लिवत शामिल थे।
- व्यापारिक जहाजों में मछुवा, शिवर, तरंडी और पगार शामिल थे।
क्षमता:
- मराठा नौसेना एक मजबूत नौसेना के रूप में विकसित हुई थी। इसमें 500 से अधिक जहाज थे।
- ‘संगमेश्वरी’ उनके युद्धपोतों में एक विशेष पोत था। History of Indian Navy In Hindi
- इसे इस तरह से डिजाइन किया गया था कि यह उथले जल में भी युद्ध कर सकता था।
नौसेना अवसंरचना:
- कई तटीय किलों का निर्माण किया गया था, जैसे कोंकण तट पर विजयदुर्ग, सिंधुदुर्ग एवं अन्य किले।
मराठा इतिहास की प्रमुख नौसैनिक घटनाएं
- 1665: उत्तरी कन्नड़ तट पर छत्रपति शिवाजी महाराज ने पर एक समुद्री नौसैनिक अभियान चलाया था। उन्होंने कारवार, शिवेश्वर, मिराज, अंकोला आदि सहित बार्सलर (बसरूर) में भी लूट की थी।
- 1679: बंबई (वर्तमान मुंबई) के दक्षिण में स्थित खंडेरी द्वीप पर मराठों ने वर्चस्व स्थापित लिया था।
- 1690: मराठों ने यूरोपीय तकनीकों के माध्यम से भी नौसेना की शक्ति में विस्तार किया था। कान्होजी आंग्रे ने नई नौसेनिक तकनीके भी प्रस्तुत की थी। उन्होंने यूरोपीय तकनीकों को भी अपनाया था । उन्होंने तोपखाने को बेहतर बनाकर नौसेना शक्ति में विस्तार किया था।
- 1756: विजयदुर्ग में तुलाजी आंग्रे के खिलाफ पेशवा और अंग्रेजों के संयुक्त कार्य बल के कारण मराठा नौसेनिक वर्चस्व समाप्त हो गया था। History of Indian Navy In Hindi
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