अजर….अमर…..अटल , सदैव अटल | BIOGRAPHY OF ATAL BIHARI VAJPAYEE IN HINDI
BIOGRAPHY OF ATAL BIHARI VAJPAYEE IN HINDI
भारत रत्न माँ भारती के सच्चे सपूत अटल जी हिंदी कवि, पत्रकार व एक प्रखर वक्ता, उत्कृष्ट सेवानायक, वाकपटुता के धनी, सबको सम्मोहित करने वाले राष्ट्र नायक, भारतीय जनसंघ के संस्थापकों में एक राष्ट्रधर्म, पाञ्चजन्य और वीर अर्जुन आदि राष्ट्रीय भावना से ओत-प्रोत अनेक पत्र-पत्रिकाओं के संपादक जननायक अटल बिहारी वाजपेयी जी की जयंती पर विशेष!!!
अटल विहारी वाजपेयी का जन्म | Atal bihari vajpayee jyanti in Hindi | BIRTH ANNIVERSARY OF ATAL BIHARI VAJPAYEE IN HINDI
अजर….अमर…..अटल , सदैव अटल
अजर….अमर…..अटल , सदैव अटल
उत्तर प्रदेश में आगरा जनपद के प्राचीन स्थान बटेश्वर के मूल निवासी पण्डित कृष्ण बिहारी वाजपेयी मध्य प्रदेश की ग्वालियर रियासत में अध्यापक थे। वहीं शिन्दे की छावनी में 25 दिसंबर 1924 को ब्रह्ममुहूर्त में उनकी सहधर्मिणी कृष्णा वाजपेयी की कोख से अटल जी का जन्म हुआ था। पिता कृष्ण बिहारी वाजपेयी ग्वालियर में अध्यापन कार्य तो करते ही थे इसके अतिरिक्त वे हिंदी व ब्रज भाषा के सिद्धहस्त कवि भी थे। पुत्र में काव्य के गुण वंशानुगत परिपाटी से प्राप्त हुए। महात्मा रामचन्द्र वीर द्वारा रचित अमर कृति “विजय पताका” पढ़कर अटल जी के जीवन की दिशा ही बदल गयी। अटल जी की बी॰ए॰ की शिक्षा ग्वालियर के विक्टोरिया कालेज (वर्तमान में लक्ष्मीबाई कालेज) में हुई। छात्र जीवन में ही वे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के स्वयंसेवक बने और तभी से राष्ट्रीय स्तर की वाद-विवाद प्रतियोगिताओं में भाग लेते रहे।
कानपुर के डीएवी कॉलेज से राजनीति शास्त्र में एम॰ए॰ की परीक्षा प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण की। उसके बाद उन्होंने अपने पिताजी के साथ-साथ कानपुर में ही एल॰एल॰बी॰ की पढ़ाई भी प्रारम्भ की लेकिन उसे बीच में ही विराम देकर पूरी निष्ठा से संघ के कार्य में जुट गये। डॉ॰ श्यामा प्रसाद मुखर्जी और पंडित दीनदयाल उपाध्याय जी के निर्देशन में राजनीति का पाठ तो पढ़ा ही, साथ-साथ पाञ्चजन्य, राष्ट्रधर्म, दैनिक स्वदेश और वीर अर्जुन जैसे पत्र-पत्रिकाओं के सम्पादन का कार्य भी कुशलता पूर्वक करते रहे।
वह भारतीय जनसंघ की स्थापना करने वालों में से एक थे और सन् 1968 से 1973 तक वह उसके राष्ट्रीय अध्यक्ष भी रह चुके थे। सन् 1952 में उन्होंने पहली बार लोकसभा चुनाव लड़ा, परन्तु सफलता नहीं मिली। लेकिन उन्होंने हिम्मत नहीं हारी और सन् 1957 में बलरामपुर (जिला गोण्डा, उत्तर प्रदेश) से जनसंघ के प्रत्याशी के रूप में विजयी होकर लोकसभा में पहुँचे। सन् 1957 से 1977 तक जनता पार्टी की स्थापना तक वे बीस वर्ष तक लगातार जनसंघ के संसदीय दल के नेता रहे। मोरारजी देसाई जी की सरकार में सन् 1977 से 1979 तक विदेश मन्त्री रहे और विदेशों में भारत की छवि को बेहतर बनाया और एक नयी पहचान दिलायी।
1980 में जनता पार्टी से असन्तुष्ट होकर इन्होंने जनता पार्टी छोड़ दी और भारतीय जनता पार्टी की स्थापना में मदद की। 6 अप्रैल 1980 में बनी भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष पद का दायित्व भी वाजपेयी जी को सौंपा गया। अटल जी दो बार राज्यसभा के लिये भी निर्वाचित हुए। लोकतन्त्र के सजग प्रहरी अटल बिहारी वाजपेयी ने सन् 1996 में प्रधानमन्त्री के रूप में देश की बागडोर संभाली। 19 अप्रैल 1998 को पुनः प्रधानमन्त्री पद की शपथ ली और उनके नेतृत्व में 13 दलों की गठबन्धन सरकार ने पाँच वर्षों में देश के अन्दर प्रगति के अनेक आयाम स्थापित किए।
अटल जी अपने पूरे जीवन अविवाहित रहे। उन्होंने अपने दोस्त राजकुमारी कौल और बी॰एन॰ कौल की बेटी नमिता भट्टाचार्य को अपनी दत्तक पुत्री के रूप में स्वीकार किया। अटल जी एक ओजस्वी वक्ता, राष्ट्र के लिए सर्वस्व अर्पण करने वाले सिद्धपुरुष थे।
परमाणु शक्ति सम्पन्न देशों की संभावित नाराजगी से विचलित हुए बिना उन्होंने अग्नि-दो और परमाणु परीक्षण कर देश की सुरक्षा के लिये साहसी कदम भी उठाये।
सन् 1998 में राजस्थान के पोखरण में भारत का द्वितीय परमाणु परीक्षण किया जिसे अमेरिका की सी०आई०ए० को भनक तक नहीं लगने दी। अटल जी सबसे लम्बे समय तक सांसद रहे हैं और जवाहरलाल नेहरू व इंदिरा गांधी के बाद सबसे लम्बे समय तक गैर कांग्रेसी प्रधानमंत्री भी। वह पहले प्रधानमंत्री थे जिन्होंने गठबन्धन सरकार को न केवल स्थायित्व दिया अपितु सफलता पूर्वक संचालित भी किया। अटल ही पहले विदेश मंत्री थे जिन्होंने संयुक्त राष्ट्र संघ में हिन्दी में भाषण देकर भारत को गौरवान्वित किया था।
अटल बिहारी वाजपेयी जी राजनीतिज्ञ होने के साथ-साथ एक कवि भी थे। “मेरी इक्यावन कविताएँ ” अटल जी का प्रसिद्ध काव्यसंग्रह है। वाजपेयी जी को काव्य रचनाशीलता एवं रसास्वाद के गुण विरासत में मिले हैं। उनके पिता कृष्ण बिहारी वाजपेयी ग्वालियर रियासत में अपने समय के जाने-माने कवि थे। वे ब्रजभाषा और खड़ी बोली में काव्य रचना करते थे।
अटल जी ने एक अद्भुत कविता लिखी थी –
” हिन्दू तन-मन हिन्दू जीवन, रग-रग हिन्दू मेरा परिचय ”
जिससे यह पता चलता है कि बचपन से ही उनका रुझान देश हित राष्ट्रप्रेम की तरफ था।
राजनीति के साथ-साथ समष्टि एवं राष्ट्र के प्रति उनकी वैयक्तिक संवेदनशीलता आद्योपान्त प्रकट होती ही रही है। उनके संघर्षमय जीवन, परिवर्तनशील परिस्थितियाँ, राष्ट्रव्यापी आन्दोलन, जेल-जीवन आदि अनेक आयामों के प्रभाव एवं अनुभूति ने काव्य में सदैव ही अभिव्यक्ति पायी। विख्यात गज़ल गायक जगजीत सिंह ने अटल जी की चुनिंदा कविताओं को संगीतबद्ध करके एक एल्बम भी निकाला था।
BIRTH ANNIVERSARY OF ATAL BIHARI VAJPAYEE IN HINDI
अटल जी की कुछ प्रमुख प्रकाशित रचनाएँ | Poems of Atal Bihari Vajpayee in Hindi
अटल जी की कुछ प्रमुख प्रकाशित रचनाएँ इस प्रकार हैं :-
• रग-रग हिन्दू मेरा परिचय
• मृत्यु या हत्या
• अमर बलिदान (लोक सभा में अटल जी के वक्तव्यों का संग्रह)
• कैदी कविराय की कुण्डलियाँ
• संसद में तीन दशक
• अमर आग है
• कुछ लेख कुछ भाषण
• सेक्युलर वाद
• राजनीति की रपटीली राहें
• बिन्दु बिन्दु विचार, इत्यादि।
• मेरी इक्यावन कविताएँ
Poems of Atal Bihari Vajpayee in Hindi
सम्मान:-
1992 : पद्म विभूषण
1993 : डी लिट (कानपुर विश्वविद्यालय)
1994 : लोकमान्य तिलक पुरस्कार
1994 : श्रेष्ठ सासंद पुरस्कार
1994 : भारत रत्न पंडित गोविंद वल्लभ पंत पुरस्कार
2015 : डी लिट (मध्य प्रदेश भोज मुक्त विश्वविद्यालय)
2015 : फ्रेंड्स ऑफ बांग्लादेश लिबरेशन वार अवॉर्ड (बांग्लादेश सरकार द्वारा प्रदत्त)
2015 : भारतरत्न से सम्मानित
Atal Bihari Vajpayee Death in Hindi | BIOGRAPHY OF ATAL BIHARI VAJPAYEE IN HINDI
वाजपेयी को 2009 में एक दौरा पड़ा था, जिसके बाद वह बोलने में असक्षम हो गए थे।उन्हें 11 जून 2018 में किडनी में संक्रमण और कुछ अन्य स्वास्थ्य समस्याओं की वजह से अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में भर्ती कराया गया था, जहाँ 16 अगस्त 2018 को उनकी मृत्यु हो गयी।
17 अगस्त को हिंदू रीति रिवाज के अनुसार उनकी दत्तक पुत्री नमिता कौल भट्टाचार्या ने उन्हें मुखाग्नि दी। उनका समाधि स्थल राजघाट के पास शान्ति वन में बने स्मृति स्थल में बनाया गया है। उनकी अंतिम यात्रा बहुत भव्य तरीके से निकाली गयी। जिसमे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत सैंकड़ों नेता गण पैदल चलते हुए गंतव्य तक पहुंचे। वाजपेयी जी की स्मृति सदैव अटल की विरासत के रुप में सभी का मार्गदर्शन करती है। अटल जी की अस्थियों को देश की सभी प्रमुख नदियों में विसर्जित किया गया था।
अपने जीवन का क्षण-क्षण और शरीर का कण-कण देश, संगठन व विचारधारा को पूर्णतः समर्पित कर देना इतना आसान नहीं होता। अटल जी को हम सब ने एक समर्पित कार्यकर्ता, कवि, ओजस्वी वक्ता व अद्भुत राजनेता के रूप में देखा।
भाजपा के संस्थापक और प्रथम अध्यक्ष के नाते उन्होंने संगठन को अपने तप और अथक परिश्रम से सींच कर एक वटवृक्ष बनाया।
अटल जी की छवि इस देश के एक ऐसे जनप्रिय राष्ट्रीय नेता के रूप में उभरी जिसने सत्ता को सेवा का माध्यम माना और राष्ट्रहितों समझौता किये बगैर बेदाग राजनीतिक जीवन जिया। और यही वजह रही कि देश की जनता ने अपनी सामाजिक और राजनीतिक सीमाओं से बाहर जा कर उन्हें प्यार और सम्मान दिया।
जहां एक तरफ अटल जी ने विपक्ष में जन्मी पार्टी के संस्थापक व सर्वोच्च नेता के तौर पर संसद और देश में एक आदर्श विपक्ष की भूमिका निभाई वहीं प्रधानमंत्री के रूप में देश को एक निर्णायक नेतृत्व भी प्रदान किया। अटल जी ने अपने विचारों और सिद्धांतों से भारतीय राजनीति पर अमिट छाप छोड़ी है।
विचारधारा के लिए समर्पित एक राष्ट्रनायक व संगठन के एक अनुशासित कार्यकर्ता के रूप में अटल जी का जीवन हम सभी के लिए प्रेरणास्रोत है। राजनीति के पितामाह,प्रखर वक्ता,कवि और अभिजात देशभक्त,भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी जी के विचार, उनकी कविताएं, उनकी दूरदर्शिता और उनकी राजनीतिक कुशलता सदैव हम सबको प्रेरित व मार्गदर्शित करती रहेंगी।
एक संवेदनशील कवि, भविष्य को जानने वाला दृष्टा , जनमानस प्रिय ऐसा महान व्यक्तित्व का नाम ” अटल जी “ था। वे अपने नाम के समान जीवन भर अटल रहेगें। हजारों भारतीयों के हृदय सम्राट राजनैतिक धुरंधर वक्तृत्व के धनी समर्पित भारतरत्न ” श्रद्धेय अटल बिहारी वाजपेयी जी “ को श्रद्धापूर्वक नमन। आपकी स्मृतियां सदैव हमें प्रेरित करती रहेंगी।
BIOGRAPHY OF ATAL BIHARI VAJPAYEE IN HINDI
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