किसान नेता बाबा महेंद्र सिंह टिकैत । BABA MAHENDRA SINGH TIKAIT IN HINDI
BABA MAHENDRA SINGH TIKAIT
बाबा टिकैत ऐसे किसान नेता जिनकी हुक्के की आवाज से केंद्र और राज्य दोनो सरकार हिल जाया करती थी। प्रधानमंत्री से सीधे सवाल पुछने वाला किसान नेता । बाबा टिकैत सरकार तक नही जाते थे बल्कि सरकार खुद बाबा टिकैत के पास चलकर आती थी।
जीवनी किसान नेता बाबा महेंद्र सिंह टिकैत । BIOGRAPHY OF BABA MAHENDRA SINGH TIKAIT IN HINDI
चौधरी महेंद्र सिंह टिकैत जिनको बाबा टिकैत के नाम से केवल उत्तर प्रदेश ही नही बल्कि पूरा देश जानता हैं। उनका जन्म 6 अक्टूबर 1935 को उत्तर प्रदेश के मुजफरनगर जिले के सिसौली गाँव मे हुआ था।
बाबा टिकैत को चौधरी चरण सिंह के बाद किसानों का दूसरा मसीहा कहा जाता हैं। बाबा टिकैत ने कहा था कि सरकार की गोली और लाठी किसान का रास्ता नही रोक सकती है।
BABA MAHENDRA SINGH TIKAIT IN HINDI
देश में जब पीवी नरसिंह राव सरकार थी तो हर्षद मेहता कांड हुआ जिसमें अनेक नेताओ पर सवाल उठने लगे । उसी दौरान बाबा टिकैत प्रधानमंत्री से किसानों की बात रखने गए थे तो बाबा टिकैत ने प्रधानमंत्री राव से सीधे पूछ लिया कि क्या तुमने 1 करोड़ रुपए घुस ली थी ??
प्रधानमंत्री जी सन्न रह गए और उन्होंने बाबा टिकैत से कहा कि चौधरी साहब आप भी ऐसा सोचते हो क्या ??
यहाँ तक बाबा टिकैत ने प्रधानमंत्री से कहा कि हर्षद मेहता 5000 करोड़ का घोटाला करे बैठा है जिसमे अनेक मंत्री के नाम भी आ रहे है ; आपकी सरकार उनसे तो वसूली कर नही पा रही है बल्कि 200 रुपए की वसूली के लिए किसानों को जेल भेज जा रहा हैं।
ऐसे बेबाक, निडर किसान नेता थे टिकैत बाबा। जिनकी हरी टोपी, हुक्के की आवाज से सरकार हिल जाती थी जिन्होंने अपना सम्पूर्ण जीवन किसान हित मे ही समर्पित कर दिया ।
वैसे तो आजादी से पहले भी अनेक किसान आंदोलन हुए और आजादी के बाद भी परंतु जब से बाबा टिकैत ने किसानों की आवाज उठानी शुरू की तब से वो किसानों के सबसे बड़े चौधरी बन कर उभरे । बाबा टिकैत ने भारतीय किसान यूनियन का गठन किया और 1986 से ही बाबा इस कोशिस में रहे कि भारतीय किसान यूनियन एक राजनीतिक संगठन न बने बल्कि ये अराजनीतिक संगठन ही बनकर किसानों की सेवा करता रहे , उनके हक के लिए लड़ता रहे , किसानों की आवाज उठाता रहे।
BABA MAHENDRA SINGH TIKAIT IN HINDI
बाबा टिकैत एक ऐसे किसान नेता थे जिन्हें केवल उत्तर भारत ही नही बल्कि दक्षिण भारत के लोग भी अपना किसान नेता मानते थे , दक्षिण के किसानों की भाषा , बोली चाहे अलग ही हो परंतु सम्पूर्ण भारत के किसानों को पूरा विश्वास था कि बाबा टिकैत बिना किसी लालच के हमेशा किसानों की आवाज उठाते रहेंगे। बाबा टिकैत ने किसानों की मांगों के लिए कभी सरकार से समझौता नही किया जब किसानों की आवाज बनकर वो धरने पर बैठते थे तो वो कोई लाभ हानि नही देखते थे। बस देखते थे तो किसानों का हित।
बाबा टिकैत के किसान आंदोलनों की गूंज केवल भारत ही नही बल्कि पूरे विश्व मे हुआ करती थी। उनके आंदोलनों का विश्लेषण करने के लिए राष्ट्रीय मीडिया हमेशा से ही आगे रहती थी। बाबा टिकैत हमेशा किसानों के मसीहा के रूप में देश और विदेश की मीडिया में छाए रहते थे। बाबा टिकैत के किसान आंदोलन की गूंज मेरठ से शुरू होकर पूरी दुनिया तक गयी।
बाबा टिकैत ने छोटी बड़ी सभी जगह से किसानों को एकजुट किया। बाबा टिकैत एक प्रभावशाली सख्शियत थे कहते है कि वो चलते चलते अनेक मसलों का हल कर दिया करते थे। लोग उनकी बात बड़ी ही श्रद्धा से मानते थे। बाबा टिकैत खुद एक मजबूत संघ के समान लगते थे।
बाबा टिकैत की अनेक नेताओ से दोस्ती थी , दोस्ती के मामले में उन्हें यारो का यार कहा जाता था। चौधरी देवीलाल से उनकी दोस्ती थी जब देवीलाल को उप प्रधानमंत्री पद से बर्खास्त किया गया तो चौधरी देवीलाल से मंत्री पद पाने वाले नेता भी उनके पक्ष में नही खड़े हुए तो बाबा टिकैत ही थे जो उस समय अस्पताल में होते हुए भी चौधरी देवीलाल के पक्ष में बोलते रहे।। उन्होंने दोस्ती और किसानो के हितों के आगे अपना हित अहित कभी नही देखा।
BABA MAHENDRA SINGH TIKAIT IN HINDI
बाबा टिकैत की एक सबसे बड़ी खूबी ये भी थी कि वो कभी भी आंदोलनों में मंच पर नही बैठेते थे बल्कि हुक्का लेकर , धोती कुर्ते की पोशाक , सर पर एक टोपी और एक मजबूत वाणी लेकर हमेशा किसानों के बीच मे ही बैठते थे। जब विदेशी मीडिया उनसे मिलता था तो एक बार को वो भी हैरान रह जाते थे कि क्या ये वही चौधरी है जिसने सरकार को अनेक बार झुकाया हैं। ऐसे सादा जीवन उच्च विचार वाले थे बाबा टिकैत।
बाबा टिकैत की सबसे बड़ी खूबी थी आंदोलनों को अनुशासन से चलाना । बड़े बड़े आंदोलनों को सही तरह से चलाना आसान नही होता है परंतु जब बाबा टिकैत आंदोलन करते थे तो कभी किसी आम नागरिक को कोई परेशानी नही होती थी बल्कि हमेशा उनके आंदोलन हिंसा से दूर रहे।
बाबा टिकैत के आंदोलन में कभी नही देखने को मिला हो कि कोई दुकान लूटी गई हो या किसी से मार पीट की गई हो। बल्कि उनकी आंदोलनों में गांव से महिलायें इतनी पूड़ी , सब्जी ,गुड़ ,छाछ भेजती थी कि किसान , पुलिस वाले , मीडिया वाले सभी अच्छे से खा लेते थे। 1989 में दिल्ली के बोट क्लब पर देश के किसान संगठनों ने जो बाबा टिकैत के नेतृत्व में आंदोलन किया था ऐसा किसान आंदोलन आज तक नही हुआ।
बाबा टिकैत ने अपने आंदोलनों में हमेशा ही एकता की मशाल जलाकर रखी । सभी जात पात , धर्म समुदाय सभी को साथ लेकर चलने वाले किसान नेता थे बाबा टिकैत।बाबा टिकैत क्षेत्र की शांति के लिए कुछ भी करने को तैयार थे । एक बार जब बिजनोर की किसान पंचायत में उनसे मुख्यमंत्री मायावती के लिए कुछ ऐसा निकल गया जिसकी गूंज लखनऊ तक गयी तो उनकी गिरफ्तारी के आदेश निकले तो पूरा गाँव उनकी ढाल बनकर खड़ा हो गया । तो अनेक नेताओ ने उनकी बात ऊपर तक पहुचाई और क्षेत्र की शांति के लिए उन्होंने कोर्ट में आत्मसमर्पण कर दिया । तब उन्होंने कहा था कि मैं नही चाहता कि किसान और प्रशासन आमने सामने आए और शांति भंग हो । और उसी दिन उन्हें कोर्ट से जमानत भी मिल गयी।
किसानों का ये मशीहा 15 मई 2011 को किसानों को छोड़कर चला गया और पीछे छोड़ गया भारतीय किसान यूनियन जो आज भी उनकी बातों , असूलों को आगे बढ़ा रहा है। आज जब भी किसान आंदोलन होते है तो पूरा देश का किसान बाबा टिकैत को जरूर याद करता है।
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