Black Hole UPSC In Hindi

  • वर्ष 1916 में आइंस्टीन ने ‘सापेक्षिकता का सिद्धांत’ प्रतिपादित किया था, इस दौरान उन्होंने ‘ब्लैक होल्स’ तथा ‘गुरुत्वीय तरंगों’ के अस्तित्व की परिकल्पना की थी। लेकिन ‘ब्लैक होल’ शब्द का प्रयोग सर्वप्रथम अमेरिकी भौतिकविद् जॉन आर्किबैल्ड व्हीलर ने वर्ष 1967 में किया था।
Black Hole UPSC In Hindi
Black Hole UPSC In Hindi
  • ब्लैक होल स्पेस में उपस्थित ऐसा खगोलीय पिंड होता है, जिसका द्रव्यमान, गुरुत्वाकर्षण बल और घनत्व अत्यधिक होता है।
  • जहां भौतिक विज्ञान का कोई भी नियम काम नहीं करता | यहाँ समय का अस्तित्व भी नहीं होता है | यहाँ केवल गुरुत्वाकर्षण या अँधेरा होता है|
  • ये गुरुत्वाकर्षण इतना शक्तिशाली होता है कि प्रकाश किरण भी इनके प्रभाव क्षेत्र में आने के पश्चात् परावर्तित नहीं हो पाती है, इसलिये ब्लैक होल्स को देख पाना संभव नहीं है |
  • इसके प्रभाव क्षेत्र में आने वाली हर बड़ी से बड़ी चीज को ये अपने अंदर खींच लेता है| ब्लैक होल का निर्माण किसी विशाल तारे के अंत से होता है जब वह तारा धीरे-धीरे अपने अंदर सिमटने लगता है तो वह ब्लैक होल का निर्माण कर देता है |और फिर इसका गुरुत्वाकर्षण इतना बढ़ जाता है कि इसके प्रभाव क्षेत्र में आने वाले सभी गृह, तारे खिचकर इस के अंदर चले जाते हैं| इसके इस प्रभाव क्षेत्र को इवेंट होराइजन कहते हैं| Black Hole UPSC In Hindi

ब्लैक होल कैसे बनता है ? ( How is a black hole formed?) / Black Hole UPSC In Hindi 

  • ब्लैक होल इस ब्रह्मांड में मोजूद सबसे घनत्व वाली चीज जिसकी डेंसिटी अनंत होती है| अरबो अरबो किलोग्राम द्रव्यमान एक छोटे से बिंदु में समाहित हो जाता है|
  • वो तारे जिनका द्रव्यमान हमारे सूर्या से 20 गुना ज्यादा होता  है वो बड़े तारे माने जाते हैं और जब ये बड़े तारे मरते हैं तो ब्लैक होल बन जाते हैं |
  • तारो में ऊर्जा परमाणु संलयन से उत्पन्न होती है तारो के कोर में हाइड्रोजन फ्यूज हो कर हीलियम बनता है | हीलियम फ्यूज हो कर कार्बन बनता है और ये क्रिया आगे बढ़ती रहती है और एक समय ऐसा आता है जब ये कोर आयरन बना लेता है जो कि बहुत भारी तत्व होता है।
  • और आयरन बनने के बाद कोर आयरन को आगे फ्यूज नहीं कर पाता है। और इस प्रकार तारो में न्यूक्लियर फ्यूज़न क्रिया बंद हो जाती है|
  • जिससे तारो को बैलेंस में रखने वाले फोर्स, अंदर को लगने वाली ग्रेविटी और बाहर की और न्यूक्लियर फ्यूजन के कारण लगने वाले दबाव बराबर नहीं रह पाते हैं|
  • फ्यूजन क्रिया बंद होने के बाद कोर की गुरुत्वाकर्षण बाहर की और लगने वाले दबाव से बहुत ज्यादा हो जाती है और इस प्रकार कोर अपनी ही ग्रेविटी के कारण कॉलेप्स हो कर सिकुड़ना शुरू हो जाता है। और ये कोर बहुत ही कम समय में अरबो किलोग्राम गैस को अपने अंदर समाने लगता है।
  • जिससे एक बहुत भयावह धमाके के साथ तारा फट जाता है| इस धमाके को सुपरनोवा विस्फोट कहते हैं जो कि अत्याधिक ऊर्जा उत्सर्जित करता है।

 

Black Hole UPSC In Hindi
Black Hole UPSC In Hindi
  • जितना अपना सूर्य शुद्ध जीवन में उत्सर्जित करता है। और इस धमाके के बाद बचता है एक जबरदस्त गुरुत्वाकर्षण वाला ब्लैक होल जिसमें प्रकाश के कण फोटॉन भी पास नहीं हो सकते हैं। ये ब्लैक होल ऊर्जा के दो जेट के साथ होते हैं जो ब्रह्मांड में बहुत ही तेजी से फेलते हैं जिसे गामा रे ब्रस्ट कहते हैं|

ब्लैक होल्स के प्रकार (Types of Black Holes) / Black Hole UPSC In Hindi

विद्युत आवेश तथा अक्ष पर घूर्णन के आधार पर ब्लैक होल्स 3 प्रकार के होते हैं

 

I) श्वार्ज़्सचाइल्ड ब्लैक होल्स (Schwarzschild Black Holes) : इन ब्लैक होल्स के पास ना तो कोई विद्युत आवेश होता है और ना ही ये अपने अक्ष पर घूर्णन करते हैं । इन्हें ‘स्थिर ब्लैक होल्स’ भी कहते हैं।

II) केर ब्लैक होल्स (Kerr Black Holes) :केर  ब्लैक होल्स अपने अक्ष पर घूर्णन  करते हैं, परंतु  इनके पास कोई भी विद्युत आवेश नहीं होता है।

III) आवेशित ब्लैक होल्स (Charged Black Holes) : ये ब्लैक होल्स  भी 2 प्रकार के होते हैं–

i) रेसनरनॉर्डस्ट्रॉम ब्लैक होल्स (Reissner-Nordstrom black hole) :रेसनर-नॉर्डस्ट्रॉम ब्लैक होल्स आवेशित तो होते हैं, लेकिन अपने अक्ष पर घूर्णन नहीं करते।

ii) केरन्यूमैन ब्लैक होल्स (Kerr-Newman Black Holes) :केर-न्यूमैन ब्लैक होल्स आवेशित होने के साथ-साथ अपने अक्ष पर घूर्णन भी करते हैं।

द्रव्यमान के आधार पर ब्लैक होल्स 4 प्रकार के होते हैं

I) प्राथमिक ब्लैक होल्स (Primordial Black Hole) : प्राथमिक ब्लैक होल्स का द्रव्यमान ‘पृथ्वी’ के द्रव्यमान से कम या बराबर होता है।

II) स्टेलर द्रव्यमान ब्लैक होल्स (Stellar Mass Black Holes) :स्टेलर द्रव्यमान ब्लैक होल्स का द्रव्यमान ‘सूर्य’ के द्रव्यमान से ‘कुछ गुणा’ अधिक होता है।

III) मध्यवर्ती द्रव्यमान ब्लैक होल्स (Intermediate mass black holes) : मध्यवर्ती द्रव्यमान ब्लैक होल्स का द्रव्यमान ‘सूर्य’  से कुछ हज़ार गुणा अधिक होता है।

IV) विशालकाय ब्लैक होल्स (Supermassive black holes) : विशालकाय ब्लैक होल्स का द्रव्यमान ‘सूर्य’ के द्रव्यमान से मिलियन-बिलियन गुणा अधिक होता है।

ब्लैक होल के तत्व (Elements of the Black Hole) / Black Hole UPSC In Hindi

Black Hole UPSC In Hindi
Black Hole UPSC In Hindi

I) सिंगुलरिटी (Singularity) : विलक्षणता  किसी ब्लैक होल का वह केंद्र बिंदु होता है, जहाँ उसका संपूर्ण द्रव्यमान केंद्रित होता है। जब कोई खगोलीय पिंड  संपीड़ित होकर एक बिंदु जैसी आकृति ग्रहण कर लेता है, तो सिंगुलरिटी का निर्माण होता है। इसका द्रव्यमान, घनत्व तथा गुरुत्वाकर्षण बल बहुत होता है।

Black Hole
Black Hole UPSC In Hindi

II) इवेंट होराइज़न (Event Horizon) : यह सिंगुलरिटी के चारों ओर उपस्थित गुरुत्वाकर्षण का वह प्रभाव क्षेत्र, जिसके संपर्क में आने के पश्चात् प्रकाश भी वापस नहीं लौट सकता। ‘इवेंट होराइज़न’ सिंगुलरिटी की गुरुत्वीय सीमा को दर्शाता है।  इवेंट होराइज़न की बाहरी सीमा कोई भौतिक सतह नहीं, बल्कि आभासी सतह होती है।

III) श्वार्ज़्सचाइल्ड त्रिज्या (Schwarzschild Radius) : सिंगुलरिटी से इवेंट होराइज़न के बाह्यतम बिंदु तक की सीधी दूरी को ‘श्वार्ज़्सचाइल्ड त्रिज्या’ कहते हैं।

Black Hole
Black Hole

IV) एक्रीशन डिस्क (Accretion Disc): इवेंट होराइज़न के चारों तरफ विभिन्न प्रकार के पदार्थ जैसे- गैसें, खगोलीय पिंडों के टुकड़े, धूल इत्यादि चक्कर लगा रहे होते हैं, जिससे इवेंट होराइज़न के बाह्य परिधीय क्षेत्र में एक डिस्क रूपी संरचना का निर्माण हो जाता है, जिसे ‘एक्रीशन डिस्क’ कहते हैं । यह भी सिंगुलरिटी का गुरुत्वाकर्षण क्षेत्र होता है, जो इवेंट होराइज़न के चारों ओर उपस्थित होता है, लेकिन यह श्वार्ज़्सचाइल्ड त्रिज्यीय क्षेत्र की तुलना में कम शक्तिशाली होता है।

V) सापेक्षिक जेट (Relativistic Jet) :सापेक्षिक जेट, विशालकाय ब्लैक होल द्वारा उत्पन्न किया जाने वाला वह जेट होता है, जो किसी ब्लैक होल के केंद्र से बाहर की ओर गतिमान होता है। ब्लैक होल के घूर्णन अक्ष के सामानांतर ही इसकी गति की दिशा होती है। इसका निर्माण ब्लैक होल्स के गुरुत्वीय क्षेत्र में उपस्थित रेडिएशन, धूल के कणों आदि से होता है। इस जेट में उपस्थित पदार्थों की गति, प्रकाश की गति के सामान होती है। ये सापेक्षिक जेट्स ही ब्रह्मांड में सबसे तेज़ी से गति करने वाली ‘कॉस्मिक किरणों’ की उत्पत्ति का स्रोत भी माने जाते हैं ।

 

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