बच्चे मानसिक दबाव से कैसे बचे ? BOARD EXAM PRESSURE

BOARD EXAM PRESSURE आने वाले कुछ ही समय बाद उत्तराखंड बोर्ड की कक्षा दसवीं और बाहरवीं की परीक्षाएं होने वाली हैं। इस सत्र में कोरोना महामारी की वजह से अधिकांश पढ़ाई ऑनलाइन माध्यम से हुई थी, बाद में नवंबर माह से धीरे-धीरे विद्यालय में कक्षाएं चलने लगी जिससे बोर्ड परीक्षाओं के मद्देनजर शिक्षकों एवं विद्यार्थियों को इस महामारी की कठिन परिस्थितियों में बहुत मदद मिली। कोरोना महामारी की वजह से जो व्यवधान इस सत्र की पढ़ाई पर पढ़ा उससे बच्चों पर थोड़ा मानसिक दबाव नज़र आता हैं। इसी मानसिक दबाव एवं तनाव को कम करने के लिए HKT भारत (Hindi Knowledge Track) टीम के सदस्य दीपक तिवारी ने अल्मोड़ा के विवेकानंद इंटर कॉलेज के अध्यापकों से बात की। जिससे विद्यार्थियों के संशय एवं दबाव को दूर किया जा सके। BOARD EXAM PRESSURE

सर्वप्रथम सभी अध्यापकों का धन्यवाद एवं साधुवाद जिन्होनें हमारे लिए अपने व्यस्ततम बहुमूल्य समय से कुछ समय निकाला। BOARD EXAM PRESSURE

प्रश्न –  महामारी की वजह से स्कूल बहुत कम ही खुल पाए हैं। सभी सिलेबस भी ऑनलाइन ही पूरे हुए है। बच्चो पर परीक्षा के लिए एक मानसिक दबाव नज़र आता हैं। खासकर बोर्ड परीक्षा के लिए, उन्हें क्या कहना चाहेंगे?


उत्तर भूपेश सर : हाँ मानसिक दबाव सभी पर नज़र आता हैं। खासतौर पर बोर्ड के बच्चों पर मानसिक दबाव नज़र आता हैै। बच्चों को एक अलग कार्यप्रणाली के साथ पढ़ना पढ़ रहा हैं। क्योंकि स्कूल में एक खास रणनीति से बच्चों की तैयारी कराई जाती थी जो लॉकडाउन के कारण सब व्यस्त सा हो गया, अब बोर्ड परीक्षा नजदीक आने पर बच्चों को घबराना नहीं है, बल्कि अपने पर विश्वास बनाएं रखना हैं। इसके लिए बच्चें मेडिटेशन (ध्यान), योग का सहारा ले सकते है। सभी बच्चों को 15 से 20 मिनट मेडिटेशन अवश्य करना चाहिए। इससे बच्चो में आत्मविश्वास बढ़ेगा। ऐसे में परिवार का योगदान सबसे ज्यादा अहम होता है। वो बच्चो को सकारात्मक माहौल उपलब्ध कराएं, जिससे उन्हें कम दबाव का अनुभव हो और उनमें आत्मविश्वास बढ़े।

भास्करानंद सर : कोरोना महामारी की वजह से बच्चों में मानसिक दबाव जरूर बना है, लॉकडाउन के कारण स्कूल बंद होने से बच्चों ने पढ़ाई बिल्कुल ही छोड़ दी थी जिससे उनपर एकदम से दबाव बन गया है, परिवार वालों ने भी ध्यान कम दिया जिससे बच्चों का पढ़ाई में मन नहीं लगा। ऑनलाइन क्लासेस में भी बच्चों ने पढ़ाई के ऊपर ध्यान नहीं दिया। अब बोर्ड परीक्षाओं का एक महीना ही बच गया है, जिससे बच्चों पर मानसिक दबाव न बने इसके लिए नियमित जो भी जरुरी टॉपिक बताये गए है उसको ध्यानपूर्वक पढ़े। और हो सके तो मॉडल प्रश्नपत्र को अवश्य देखें उसे जरूर हल करें।

दीपशिखा मैम : बोर्ड एग्जाम के लिए पॉजिटिव पॉइंट ये रहा की कोरोना महामारी की विषम परिस्थितियों में नवंबर महीने से दसवीं और ग्यारहवीं की क्लासेस खुल गयी थी। मानसिक दबाव बहुत था, अभी भी बहुत से बच्चों में परीक्षा का दबाव है क्योंकि बहुत से बच्चे ग्रामीण क्षेत्र से है, जहाँ नेटवर्क की समस्या ऑनलाइन क्लासेस में हमेशा बनी रही। दबाव दूर करने के लिए बच्चों को अपने सिलेबस को अच्छे से पढ़ना हैं, मॉडल पेपर को हल करना बहुत जरुरी है। और बोर्ड एग्जाम को अन्य परीक्षाओं की तरह ही लेना है, जिससे बच्चों पर कोई मानसिक तनाव ना आए।

गुरुदेव सर : किसी प्रकार का मानसिक दबाव न ले क्योंकि अगर आप सोचेंगे की मुझसे अब कैसे होगा या मैं कैसे करूँगा तो आप पूरी तरह से दबाव को अपने ऊपर हावी होने देंगे। आप टॉपिक के हिसाब से तैयारी करें, प्रत्येक विषय को समय दे। बीच-बीच में गैप रखें, किसी भी प्रकार तनाव ना लें, योग करें और जो भी इम्पोर्टेन्ट टॉपिक बताये गए है उनपर विशेष ध्यान दे।

गिरिजा सर : परेशानी तो हुई है बच्चों को पर नवंबर से जब से स्कूल खुले है सभी ने कोशिश की हैं कि बच्चों पर किसी भी प्रकार का तनाव ना रहे। बच्चे उस लॉकडाउन के टाइम को ध्यान में न रखकर अपनी पढ़ाई पर फोकस करें। पॉजिटिव सोचे, नेगेटिव या नकारात्मक ना सोचे। अपने मन में ऐसा ख्याल न आने दे जिससे किसी भी प्रकार का तनाव महसूस किया जाए।

सुरेश सर : दबाव नहीं लेना है क्योंकि परीक्षा का समय नजदीक आ रहा हैं। पुराने पेपर को हल करें, मॉडल पेपर के साथ साथ हेल्प बुक से भी परीक्षा के पैटर्न का पता चलता हैं, उस पर ध्यान दे, नकारात्मक विचारों को अपने मन एवं मस्तिष्क में हावी ना होने दे। समयबद्ध एवं क्रमबद्ध तरीके से विषय को पढ़े।

रघुबर सर : कोरोना महामारी की वजह से बच्चों की पढ़ाई जिस प्रकार प्रभावित हुई है, उससे उन्हें घबराने की आवश्यकता नहीं है। क्योंकि हम संसाधनों का बेहतरीन उपयोग करना जानते ही है तो जो भी हमारे पास उपलब्ध संसाधन है उनका उपयोग कर हम पढ़ाई जारी रखें। क्योंकि कोरोना महामारी वैश्विक महामारी हैं और एक नयी चुनौती के रूप में इसे स्वीकार करते हुए किसी भी प्रकार का दबाव न लेकर अपनी पढ़ाई को सुचारु रखना है और अपना सर्वश्रेष्ठ देना है।

शंकर सर : बोर्ड परीक्षा के मद्देनज़र जो परेशानी हुई जैसे जो बच्चे ग्रामीण इलाकों में रहते है उन्हें नेटवर्क की वजह से क्लासेस जॉइन करने में समस्या हुई जिससे बच्चों के टॉपिक छूट गए, जिससे कुछ बच्चे बोर्ड परीक्षाओं का दबाव ज्यादा ले रहे है। बोर्ड परीक्षा को अपनी आम परीक्षाओं तरह ही लें। किसी भी प्रकार का तनाव न ले, अपने विषय को गहनता से पड़े।

अन्य अध्यापकों जिनमें मनोज सर, नीरज सर, अर्जुन सर, अनिल सर, अर्जुन पांडे सर सभी के विचार यही थे कि बच्चों को बिना मानसिक दबाव के आत्मविश्वास से परीक्षा देनी चाहिए। पुराने प्रश्न-पत्रों को देखते हुए अपनी तैयारी करनी चाहिए जिससे बच्चो में आत्मविश्वास तो बढेगा ही साथ ही अभ्यास भी हो जाएगा। सिलेबस 30 प्रतिशत कम हुआ है तो सिलेबस के अनुसार ही पढ़े। 

अतः “HKT भारत (HINDI KNOWLEDGE TRACK )” टीम की अध्यापको से हुई उपरोक्त चर्चा से यही कह सकते है कि इस समय विद्यार्थियों को अपने मन से अनावश्यक प्रश्नो को निकाल देना चाहिए। विधार्थियो को आत्मविश्वास और सकारात्मकता के साथ पढ़ाई में अपना शत प्रतिशत देना चाहिए। अगर विधार्थियो को लगता हैं कि उनमे पर्याप्त सकारात्मकता नहीं बन पा रहा हैं तो वो हमारा ये लेख पढ़ सकते है। शायद ये उनमे कुछ सकारात्मकता बन सके, जिससे उनका मानसिक तनाव एवं दबाव कम हो सके।

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हमने युवाओ के लिए ही अनेक ऐसे लेख इस वेबसाइट पर लिखे है जो उनमे उम्मीदों के नये पंख लगाने में सहायक हो सकते है। हमारा लक्ष्य युवाओ को प्रोत्साहित कर उन्हें जीवन के उच्चतम शिखर तक जाता देखना है।

अगर विधार्थियो के कोई ऐसे प्रश्न हैं जो वो शिक्षकों से जानना चाहते है तो वो हमे hktbharat@gmail.com पर मेल करके बता सकते है। हम अवश्य ही आपके प्रश्नों को शिक्षकों के समक्ष रख कर आपके संशय का समाधान करने का प्रयत्न करेंगे।

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