चार्टर अधिनियम, 1813 | Charter Act 1813 In Hindi
ऐतिहासिक पृष्ठभूमि
1 नेपोलियन बोनापार्ट की महाद्वीपीय प्रणाली – नेपोलियन बोनापार्ट ने यूरोप में अपने फ्रांसीसी सहयोगियों के लाभ के लिए ब्रिटिश वस्तुओं के आयात पर रोक लगा दी थी। इस नीति के कारण यूरोप में ब्रिटिश व्यापारियों और अन्य व्यापारियों को नुकसान हुआ। इसी नीति को नेपोलियन बोनापार्ट की महाद्वीपीय नीति कहते है।
2 औद्योगिक क्रांति – औद्योगीकरण से पूर्व ज्यादातर यूरोपीय देशों में कपडा बनाना , कुटीर उद्योग आदि का कार्य हाथ से किया जाता थे। परन्तु औद्योगिक क्रांति के दौर में यूरोप और संयुक्त राज्य अमेरिका में नई विनिर्माण प्रक्रियाओं का उदय हुआ । जिससे ये नयी कार्य प्रक्रियाओ का दौर था। औद्योगिक क्रांति के कारण दुनिया में अनेक तरह कके बदलाव आने शुरू हुए जैसे कि अर्थशास्त्र , व्यापार की प्रणालियों और समाज में परिवर्तन के साथ दुनिया में बदलाव लाया। ऐसे में ब्रिटैन के व्यापारियों की मांग थी की उन्हें भी ब्रिटैन के उपनिवेशों में व्यापर करने का अवसर मिलना चाहिए।
3 अहस्तक्षेप का सिद्धांत (Laissez Faire )-
यह अर्थशास्त्री एडम स्मिथ का आर्थिक दर्शन है जो उद्योग या बाज़ार में सरकारी हस्तक्षेप का विरोध करता है। यह मुक्त बाज़ार या पूंजीवाद का एक आर्थिक दर्शन है। इसके अनुसार ऐसा माना जाता है कि जितना व्यवसाय में सरकार का हस्तक्षेप कम होता है , आर्थिक सफलता की संभावना उतनी ही अधिक होती है। अतः इस नीति के समर्थकों ने यह विश्वास प्रकट किया कि भारत के साथ व्यापार में ब्रिटिश वाणिज्य एवं उद्योग का विकास करने के लिए ईस्ट इंडिया कंपनी के एकाधिकार को समाप्त कर देना चाहिए। Charter Act 1813 In Hindi
चार्टर अधिनियम, 1813 के प्रावधान ( Charter Act 1813 In Hindi ) –
- कंपनी के साझेदारों को भारतीय राजस्व से 10.5 प्रतिशत लाभांश दिये जाने जाने का प्रावधान किया गया ।
- कंपनी का एकाधिकार नष्ट – चीन , चाय और अफीम को छोड़कर कंपनी का वाणिज्यिक एकाधिकार समाप्त कर दिया गया।
- व्यापारियों की मांग का समर्थन – सभी अंग्रेज व्यापारियों को भारत से व्यापार करने की छूट प्रदान की गयी ब्रिटिश व्यापारियों तथा इंजीनियरों को संचालक मंडल या नियंत्रण बोर्ड से लाइसेंस लेकर भारत आने तथा यहां बसने की अनुमति प्रदान कर दी गयी। इसके लिए लाइसेंस लेना अनिवार्य किया गया।
- भारत में धर्म-प्रचार की अनुमति – ईसाई धर्म प्रचारकों को भारत में धर्म-प्रचार के लिये आने की सुविधा प्राप्त हो गयी। इसके लिए उन्हें आज्ञा लेना होता था।
- शिक्षा पर व्यय – शिक्षा, साहित्य , वैज्ञानिक ज्ञान को प्रोत्साहन देने के लिए भारतीयों की शिक्षा के लिये प्रतिवर्ष 1 लाख रुपये व्यय करने की व्यवस्था की गयी। यह राशि कंपनी की आय से दिया जाना था।
- नियंत्रण बोर्ड (Board of Control) की शक्ति का विस्तार तो किया ही गया साथ ही साथ परिभाषित भी किया गया ।
- अगले 20 वर्षों के लिये कंपनी को भारतीय प्रदेशों तथा राजस्व पर नियंत्रण का अधिकार दे दिया गया। यहाँ पर यह भी स्पष्ट कर दिया कि समय के इस मियाद से इन प्रदेशों का क्राउन के प्रभुत्व पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा। इस प्रकार भारत में अंग्रेजी राज्य की संवैधानिक स्थिति को पहली बार स्पष्ट किया गया था। Charter Act 1813 In Hindi
पिट्स इंडिया एक्ट 1784 | The Pitt’s India Act of 1784 In Hindi
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