चार्टर अधिनियम, 1853  | Charter Act 1853 In Hindi 

  •  चार्टर अधिनियम, 1853 ( Charter Act 1853 In Hindi ) ने गवर्नर जनरल के लिए नई परिषद का गठन किया। इस परिषद को  भारतीय विधान परिषद कहा गया। परिषद में 6 नए पार्षद और जोड़े गए गए।
  • 6 नए पार्षद –
  1. उच्चतम न्यायालय का मुख्य न्यायाधीश
  2. एक अन्य न्यायाधीश
  3. बंगाल का  प्रतिनिधि
  4. मद्रास का  प्रतिनिधि
  5. बॉम्बे का  प्रतिनिधि
  6. उत्तर पश्चिमी प्रांत (आधुनिक उत्तर प्रदेश) का  प्रतिनिधि
  •  भारतीय केंद्रीय विधान परिषद में प्रथम बार स्थानीय प्रतिनिधित्व प्रारंभ किया।
  • कार्यकारी परिषद को विधान परिषद के विधेयक को वीटो करने का अधिकार था।
  • चार्टर अधिनियम, 1853  द्वारा कंपनी के डायरेक्टर्स की संख्या को भी काम किया गया। निदेशकों (directors) की संख्या 24 से घटाकर 18 कर दी गई।  इनमें से 6 क्राउन के द्वारा मनोनीत (nominate) किए जाने थे |
  • कंपनी को भारतीय प्रदेशों को ‘जब तक संसद न चाहे तब तक के लिये अपने अधीन रखने की अनुमति दे दी गयी।
  • विधि सदस्य को गवर्नर-जनरल की परिषद का पूर्ण सदस्य बना दिया गया।
  • सिविल सेवकों की भर्ती एवं चयन हेतु खुली प्रतियोगिता व्यवस्था का शुभारंभ किया गया।
  • बंगाल के लिये पृथक लेफ्टिनेंट गवर्नर की नियुक्ति की गयी।  एफजे हॉलिडे बंगाल के पहले लेफ्टिनेंट गवर्नर बने।

Charter Act 1853 In Hindi

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