ब्रह्माण्ड की उत्पत्ति (Origin of the Universe) | Dark matter and Dark energy
Dark matter and Dark energy
जब से हमारे ब्रह्मांड की उत्पत्ति हुई है, यह लगातार फैलता जा रहा है। इस फैलाव के पीछे एक रहस्यमय बल है। जिसके प्रभाव से ब्रह्मांड के सभी पिंड एक दूसरे से लगातार दूर होते जा रहे है। यह बल सारे ब्रह्मांड में फैला हुआ है, इसी बल के कारण हमारे ब्रह्माण्ड के विस्तार की गति तेजी से बढ़ रही है, जिसे ब्रह्माण्डीय त्वरण (Cosmic Acceleration) कहा गया है।
ब्रह्माण्डीय त्वरण का पहला दौर बिगबैंग की घटना के तुरंत बाद हुआ था, जिसे इनफ्लेशन कहा जाता है। और दूसरे दौर की शुरुआत बिगबैंग के 9 अरब साल बाद हुई थी, जो अब तक जारी है। वैज्ञानिकों ने ब्रह्मांड के तेजी से बढ़ते फैलाव की खोज 1998 में एक सुपरनोवा के जरिए की थी। ब्रह्माण्डीय त्वरण की खोज करने वाले वैज्ञानिकों को साल 2011 में नोबेल पुरस्कार भी मिला था।
अंतरिक्ष वैज्ञानिकों के अनुसार हमारा ब्रह्मांड तीन चीजों से बना है साधारण पदार्थ, डार्क मैटर और डार्क एनर्जी। हम सिर्फ साधारण पदार्थ के बारे में जानते है जिसमे हमारे भौतिक पिंड जैसे ग्रह, उपग्रह तारे आदि आते है। यह साधारण पदार्थ हमारे ब्रह्मांड का 5% भाग ही है। हमारे ब्रह्मांड का 90-95% भाग दो ऐसे पदार्थों से बना है, जिसके बारे में कोई नहीं जानता। आज के इस लेख के माध्यम से हम बात करेंगे डार्क मैटर और डार्क एनर्जी क्या है ? Dark matter and Dark energy
ब्रह्माण्ड की संरचना में खगोलीय पिंड (celestial bodies in the structure of the universe) | Dark matter and Dark energy
हम इंसान, हमारी पृथ्वी के विस्तार के सामने बहुत ही छोटे दिखाइए देते हैं और हमारी पृथ्वी सौर मंडल के विस्तार के आगे कुछ भी नहीं है। अगर हम अपने सौर मंडल के तारे सूर्य की बात करें तो यह पृथ्वी से 13 लाख गुना बड़ा है। हमारे सौरमंडल में तारे, उपग्रह, ग्रह तथा सूर्य आदि मौजूद है और हमारा यह सौरमंडल हमारी गैलेक्सी मिल्की वे एक बहुत छोटा सा हिस्सा है। अगर बात ब्रह्मांड की करें तो उसने लगभग ऐसी 100 करोड़ गैलेक्सी मौजूद है ऐसे मे ग्रहों तथा तारों की संख्या का अनुमान लगाना तो लगभग नामुमकिन है। लेकिन यह सभी ग्रह, तारे तथा अन्य ठोस पिंड हमारे ब्रह्मांड का केवल 5 फ़ीसदी हिस्सा ही है। बाकी का 95 फ़ीसदी हिस्सा वह है जिसे हम देख नहीं सकते।
इस 95 फीसद हिस्से में डार्क मैटर और डार्क एनर्जी आते हैं, जिसमें डार्क एनर्जी 70% तथा डार्क मैटर 25% है। इस डार्क मैटर और डार्क एनर्जी को हम कभी देख नहीं पाते क्योंकि यह प्रकाश का प्रवर्तन नहीं करते तथा यह आकार में इतने सूक्ष्म है कि इनका द्रव्यमान ना के बराबर है, जिसे हम शायद भविष्य में भी कभी शक्तिशाली से शक्तिशाली दूरबीन की सहायता से भी नहीं देख पाएंगे। लेकिन हम इसके परिणामों को महसूस कर सकते हैं डार्क एनर्जी ब्रह्मांड के पिडो के बीच प्रतिपादित होती रहती है, तथा पिडो को बहुत ही तेज गति से दूर धकेल देती है जबकि डार्क मैटर ब्रह्मांड के पिडो को बिखरने से बचाता है, और उन्हें आपस में बांधे रखता है।
ब्रह्माण्ड की संरचना में डार्क एनर्जी (Dark energy in the structure of the universe) | Dark matter and Dark energy
डार्क एनर्जी (Dark Energy) एक रहस्यमय बल है, जिसे कोई समझ नहीं पाया। इस बल के प्रभाव से ब्रह्मांड के सभी पिंड एक दूसरे से लगातार दूर होते जा रहे है। यह एक काल्पनिक बल है, जिसका दबाव ऋणात्मक है और यह बल सारे ब्रह्मांड में फैला हुआ है। सापेक्षतावाद के सिद्धांत के अनुसार, ऋणात्मक दबाव का प्रभाव गुरुत्वाकर्षण के विपरीत होता है।
डार्क एनर्जी 1998 में तब प्रकाश में आयी, जब अंतरिक्ष वैज्ञानिकों के 2 समुह विभिन्न आकाशगंगाओं में विस्फोट की प्रक्रिया से गुजर रहे तारों (सुपरनोवा) पर अध्धयन कर रहे थे। वैज्ञानिकों ने देखा की सुपरनोवा की प्रकाश दीप्ति अपेक्षित प्रकाश दीप्ति से कम थी, इसका मतलब यह था कि उन्हें जितने पास होना चाहिये था, वे उससे ज्यादा दूर थे। इसका एक ही मतलब हो सकता था कि ब्रह्मांड के विस्तार की गति कुछ काल पहले की तुलना में बढ़ गयी थी।
इसके पहले तक अंतरिक्ष वैज्ञानिक मानते थे कि ब्रह्मांड के विस्तार की गति गुरुत्वाकर्षण बल के कारण धीरे-धीरे कम होते जा रही है। लेकिन सुपरनोवा के अध्धयन से ज्ञात हुआ कि कोई रहस्यमय बल गुरुत्वाकर्षण बल के विपरीत कार्य कर ब्रह्मांड के विस्तार को गति दे रहा है।
पहले तो वैज्ञानिकों को इस प्रयोग के परिणामों पर शक हुआ। वैज्ञानिकों को लगा की सुपरनोवा की प्रकाश दीप्ति गैस या धूल के बादल के कारण कम हो सकती है या फिर हो सकता है कि सुपरनोवा की प्रकाश दीप्ति के बारे में उनका यह अनुमान गलत हो। लेकिन उन्होंने जब उपलब्ध आँकड़ों को सावधानी पूर्वक जांचा तो पाया कि इन सब के पीछे कोई रहस्यमय बल है, जिसे आज हम डार्क एनर्जी (Dark Energy) के नाम से जानते है।
ब्रह्माण्ड की संरचना में डार्क मैटर (Dark matter in the structure of the universe) | Dark matter and Dark energy
डार्क मैटर (Dark matter), गणितीय आधार पर प्रमाणित परंतु प्रायोगिक आधार पर अप्रमाणित पदार्थ है। अन्य पदार्थ अपने द्वारा उत्सर्जित विकिरण से पहचाने जा सकते हैं किन्तु डार्क मैटर अपने द्वारा उत्सर्जित विकिरण से पहचाने नहीं जा सकते। इनके अस्तित्व का अनुमान पदार्थों पर इनके द्वारा आरोपित गुरुत्वीय प्रभावों से किया जाता है।
वैज्ञानिकों मानते है कि यह डार्क मैटर न्यूट्रालिनॉस नाम के कणों से बना है।इस कण कि खासियत यह है कि यह साधारण मैटर से कोई क्रिया नहीं करता। हर सेकंड हमारे शरीर से हजारों न्यूट्रालिनॉस आर-पार गुजरते हैं। ये कण अदृश्य होते हैं। इनके अदृश्य होने की वजह से हम अंतरिक्ष में मौजूद डार्क मैटर के बादलो के दूसरी ओर मौजूद आकाशगंगाओं को देख पाते हैं। डार्क मैटर ब्रह्मांड के पिडो को बिखरने से बचाता है| यह एक ऐसा बल है जो पिण्डो के अणुओं को आपस में बांधे रखता है|
ब्रह्मांडीय स्थिरांक सिद्धांत (cosmic constant theory)
ब्रह्माण्ड की व्याख्या कई तरह से की गई है। जिसमे से एक मॉडल लैम्ब्डा सीएमडी के अनुसार ब्रह्माण्ड की 70% भार-ऊर्जा डार्क ऊर्जा है और डार्क मैटर 25% है तथा सामान्य पदार्थ केवल 5% है। डार्क ऊर्जा पर और भी कई मॉडल बने हैं जो उसकी व्याख्या करने का प्रयास करते हैं। इनमें से एक ब्रह्मांडीय स्थिरांक भी है।
आईंस्टाईन ने भी अपने सापेक्षता वाद के सिद्धांत (Theory of Relativity) मे प्रति गुरुत्वाकर्षण प्रभाव को दर्शाने वाले एक बल ब्रह्मांडीय स्थिरांक (Cosmological Constant) को समावेशित किया है। लेकिन आईन्स्टाईन और अन्य वैज्ञानिक भी मानते थे कि यह ब्रह्मांडीय स्थिरांक(Cosmological Constant) केवल गणितिय गणना की सरलता के लिये है, इसका वास्तविकता से काफी कम सम्बन्ध है। 1990 तक किसी ने यह सोचा भी नहीं था कि यह ब्रह्मांडीय स्थिरांक एक सच्चाई भी हो सकता है।
डार्क एनर्जी को समझने के लिये सबसे ज्यादा मान्य सिद्धांत, ब्रह्मांडीय स्थिरांक सिद्धांत है| वैज्ञानिकों के अनुसार ब्रह्मांडीय स्थिरांक का मूल्य 10-29 g/cm3 है।ब्रह्मांडीय स्थिरांक एक ऋणात्मक दबाव वाला बल है जो अपने ऊर्जा घनत्व के बराबर होता है, इसी के कारण यह ब्रह्मांड के विस्तार को त्वरण देता है।
डार्क एनर्जी का ब्रह्मांड के भविष्य पर प्रभाव (Effects of dark energy on the future of the universe)
सुपरनोवा का उदाहरण बताता है कि ब्रह्मांड के विस्तार का त्वरण लगभग 5 खरब वर्ष पहले शुरू हुआ था। उस समय आकाशगंगाये एक दूसरे से इतनी दूरी पर जा चुकी थी कि डार्क एनर्जी का प्रभाव, गुरुत्वाकर्षण बल के प्रभाव से ज्यादा हो चुका था। और तब से डार्क एनर्जी के प्रभाव से ब्रह्मांड के विस्तार की गति लगातार बढ़ती जा रही है। ऐसा प्रतीत हो रहा है कि यह गति अनिश्चित काल तक बढ़ती जायेगी। इसका मतलब है कि आज से खरबों वर्षों बाद आकाशीय पिंड एक दूसरे से दूर होते जायेगा और हम अकेले रह जायेंगे।
यदि विस्तार की यह गति इस तरह बढ़ती रही तो सभी आकाशगंगाये ब्रह्मांडीय क्षितिज के पार चली जायेंगी और हम दिखायी देना बंद हो जायेंगी।यह सापेक्षता वाद के नियम का भी उल्लंघन नहीं है। अपनी आकाशगंगा मंदाकिनी पर इसका कोई असर नहीं पड़ेगा लेकिन बाकी का सारा ब्रह्मांड हमसे दूर चला जायेगा।
ब्रह्मांड के अंत के बारे कुछ कल्पनायें भी है, जिसमे से एक यह है कि डार्क एनर्जी का प्रभाव बढ़ता जायेगा, और एक समय पश्चात् यह केन्द्रीय बलों और अन्य मूलभूत बलों से ज्यादा हो जायेगा। इस स्थिती में यह डार्क एनर्जी हमारे सौर मंडल, आकाशगंगा, पिंड से लेकर अणु परमाणु सभी को विखंडित कर देगी। यह स्थिती महा विच्छेद (Big Rip) की होगी।
दूसरी कल्पना में डार्क एनर्जी का प्रभाव एक सीमा के बाद खत्म हो जायेगा और गुरुत्वाकर्षण का प्रभाव उस से ज्यादा हो जायेगा। यह प्रभाव एक संकुचन की प्रक्रिया को जन्म देगा। अंत मे एक महा संकुचन से सारा ब्रह्मांड एक बिंदु में तबदील हो जायेगा| इस बिंदु में फिर से एक महा विस्फोट होगा जो फिर से एक नये ब्रह्मांड को जन्म देगा। यह स्थिती महा संकुचन (Big Crunch) की होगी।
READ ALSO : UGC NET PAPER 1 SYLLABUS IN HINDI | UCG NET PAPER 1 BOOK IN HINDI
READ ALSO : LNG (Liquefied Natural Gas) | तरलीकृत प्राकृतिक गैस | द्रवित प्राकृतिक गैस
READ ALSO : How to Speak Fluent English? अंग्रेजी बिना रुके कैसे बोले?
SEARCH TERMS : Dark matter and Dark energy | Effects of dark energy on the future of the universe