कही डीप फेक तकनीक शोषण की महामारी न बन जाएं :- विशेषज्ञों की चिंता । What is deep fake technique and it’s disadvantages ?
Deep Fake Technique
डिजिटल युग में सूचना प्रौद्योगिकी आज इंसान के जीवन में बहुत गहराई से प्रवेश कर चुकी हैं। जहाँ सूचना प्रौद्योगिकी के कारण अनेक जनकल्याण की योजनाओं की पहुंच आम जन तक संभव हुई हैं । वही रक्षा, स्वास्थ्य, शिक्षा, जन कल्याण आदि में सूचना प्रौद्योगिकी का अहम योगदान हैं।
जहाँ एक ओर सूचना प्रौद्योगिकी के सकारात्मक पक्ष दृष्टिगोचर होते हैं । वही दूसरी तरफ सूचना प्रौद्योगिकी के नकारात्मक पक्षों ने भी बड़े स्तर पर समाज को प्रभावित किया हैं। आज नेट कनेक्टिविटी बेहतर होने के कारण सूचना प्रौद्योगिकी का क्षेत्र अत्यंत विस्तृत हो चुका हैं। ऐसे में इसके नकारात्मक पक्षों को नियंत्रित करना अत्यंत मुश्किल कार्य होता जा रहा हैं।
सूचना प्रौद्योगिकी से संबंधित एक तकनीक डीप फेक (Deep Fake Technique) भी हैं। जिसके नकारात्मक पहलू कुछ सालों से समाज मे दिखाई देने लगे थे।
इस लेख में डीप फेक तकनीक क्या हैं ?
डीप फेक तकनीक कैसे काम करती हैं ?
डीप फेक तकनीक के समाज पर नकारात्मक प्रभाव
डीप फेक तकनीक महिलाओं के लिए ज्यादा चिंता का विषय क्यों ? के बारे में विस्तार से चर्चा करेंगे|
डीप फेक क्या हैं? What is Deep Fake Technique?
डीप फेक के तहत कुछ तकनीकी सहायता से किसी फ़ोटो, वीडियो, ऑडियो की नकली कॉपी तैयार की जाती हैं। इसमें आर्टिफीसियल इंटेलिजेंस या कृत्रिम बुद्धिमत्ता की सहायता से ये कार्य एक सॉफ्टवेयर के माध्यम से किया जाता है।
इस तकनीक की सहायता से किसी व्यक्ति की वीडियो या ऑडियो या फ़ोटो को किसी अन्य व्यक्ति से ऐसे जोड़ा जाता हैं कि ये पहचान करना भी मुश्किल होता है कि ये एक नकली वीडियो या ऑडियो हैं।
डीप फेक तकनीक के दुष्प्रभाव | Effects of Deep Fake Technique
डीप फेक तकनीक के दुष्प्रभाव समाज मे हर क्षेत्र में देखने को मिल सकते हैं। जैसे राजनीतिक, सामाजिक, व्यावसायिक आदि क्षेत्रों में इस तकनीक का दुष्प्रयोग देखने को मिल सकता हैं।
आइए विस्तार से जाने कि कैसे डीप फेक बड़े स्तर पर एक समस्या बन सकता हैं।
1. राजनीतिक क्षेत्र में डीप फेक का दुष्प्रभाव-
वर्तमान में सूचना प्रौद्योगिकी का प्रयोग राजनीतिक क्षेत्र में बड़े स्तर पर हो रहा हैं। जहाँ सूचना प्रौद्योगिकी किसी न किसी स्तर पर आज किसी पार्टी की सरकार गिराने और किसी पार्टी की सरकार बनाने का काम कर रही हैं। वही आज डीप फेक तकनीक इस क्षेत्र में सूचना प्रौद्योगिकी के दुष्प्रयोग को बढ़ावा दे सकती हैं।
जैसे किसी राजनीतिक व्यक्ति की वीडियो से छेड़छाड़ करके डीप फेक के द्वारा कोई आपत्तिजनक भाषण बनाकर दिखाया जा सकता हैं।
ऐसे ही किसी राजनीतिक व्यक्ति की छवी को धूमिल करने के लिए डीप फेक की सहायता से उसकी आपत्तिजनक वीडियो या फ़ोटो शेयर की जा सकती हैं।
जिस देश में एक बड़े वर्ग में जागरूकता का अभाव हो वहाँ ऐसी तकनीक ज़्यादा घातक सिद्ध हो सकती हैं।
2. सामाजिक क्षेत्र में डीप फेक तकनीक के दुष्प्रभाव-
डीप फेक तकनीक से सामाजिक अव्यवस्था फैलाई जा सकती हैं। इस तकनीक के माध्यम से जहां सामाजिक ध्रुवीकरण को बढ़ावा दिया जा सकता है।
वहीं कुछ असामाजिक तत्वों द्वारा सामाजिक व्यवस्था बिगाड़ने का प्रयास किया जा सकता है। यह तकनीक समाज व्यवस्था के लिए भी एक बड़ी चुनौती भी खड़ी कर सकती है।
3. महिलाओं को शोषण की अधिक संभावनाएं –
अगर इतिहास का विश्लेषण किया जाए तो यह देखने को मिलता है कि असामाजिक तत्वों के लिए महिलाएं एक सॉफ्ट टारगेट रही हैं। ऐसे में महिलाओं के आपत्तिजनक फोटो और वीडियो इस तकनीक के माध्यम से बनाकर शेयर किए जा सकते हैं ।
जिससे महिलाओं की छवि को धूमिल करके उनकी जिंदगी को एक अभिशाप बनाने का प्रयास किया जा सकता है । ऐसे में डीप फेक महिला शोषण को बढ़ावा दे सकती है। इस तकनीक के माध्यम से महिलाओं को ब्लैक मेलिंग के केस भी बढ़ सकते हैं । ऐसे में डीप फेक तकनीक सामाजिक व्यवस्था बिगाड़ने में सहायक हो सकती है।
पॉर्नोग्राफी से संबंधित अनेक मामलों में यह देखा गया है कि उनमें महिलाओं को ही ज्यादा टारगेट किया जाता है । ऐसे में आपत्तिजनक वीडियो के माध्यम से महिलाओं को मनोवैज्ञानिक तौर पर क्षति पहुंचाने का प्रयास किया जा सकता है।
महिला शोषण से संबंधित कुछ मामले आ भी चुके हैं। विदेश में एक मामले में एक महिला ने अपने कुछ आपत्तिजनक फोटोज वायरल होते देखे थे। जो डीप फेक के माध्यम से ही बनाएं गए थे।
महिलाओं से संबंधित जुड़ी चिंताओं को देखते हुए ही विशेषज्ञों द्वारा इसे शोषण की महामारी कहा जा रहा हैं।
4. व्यावसायिक क्षेत्र में डीप फेक के दुष्प्रभाव-
इस तकनीक का प्रयोग करके व्यावसायिक मामलों में भी हस्तक्षेप किया जा सकता हैं।
व्यवसाय से संबंधित गलत सूचनाएं प्रसारित करके अर्थव्यवस्था को हानि पहुंचाई जा सकती है । एक रिपोर्ट के अनुसार फेक न्यूज़ के दुष्प्रचार से प्रतिवर्ष वैश्विक अर्थव्यवस्था को 78 बिलियन अमेरिकी डॉलर का नुकसान होता है।
5. डीप फेक से लोकतांत्रिक व्यवस्था को खतरा-
इस तकनीक के माध्यम से लोकतांत्रिक व्यवस्था को हानि पहुंचाने का प्रयास बड़े स्तर पर किया जा सकता है ।
इस तकनीक के माध्यम से चुनावों के समय धार्मिक आधारित, जाति आधारित, वर्ग आधारित भेदभाव को बढ़ाने का काम किया जा सकता है।
इस तकनीक से जहां राजनीतिक हिंसा को भी बढ़ावा दिया जा सकता है । वही लोकतांत्रिक व्यवस्था को गहरा आघात भी दिया जा सकता है ।
कहीं-कहीं कुछ देशों में ऐसा देखने को मिला है कि चुनाव से पहले दो विपक्षी पार्टियों के नेताओं को भी फेक वीडियो के माध्यम से एक-दूसरे का समर्थन करते हुए दिखा दिया गया था। भारत में 2019 के लोकसभा चुनाव में भी कुछ नेताओं के डीप फेक आधारित वीडियो वायरल हुए थे । जिनको बाद में सोशल मीडिया माध्यमों द्वारा हटा दिया गया था।
भविष्य में भी ऐसे घटनाओं को नकारा नहीं जा सकता हैं।
क्या समाधान हो सकता हैं –
1. नीति निर्माण द्वारा समाधान-
साइबर अपराध को रोकने के लिए एक सशक्त कानून भी अत्यंत आवश्यक है । सोशल मीडिया माध्यमों , नीति निर्माताओं, समाज और उपभोक्ताओं को मिलकर विचार-विमर्श करके कुछ नियम बनाने की आवश्यकता है , जिनके आधार पर सोशल मीडिया को विनियमित किया जा सकें।
2. तकनीकी समाधान –
डीप फेक साइबर अपराध से निपटने के लिए तकनीकी की सहायता लेना अत्यंत आवश्यक नजर आ रहा है । तकनीकी की सहायता से ऐसे सॉफ्टवेयर या प्रोग्राम डेवलप किए जा सकते हैं । जो डीप फेक ऑडियो वीडियो या फोटोस को पहचान सके।
3. समाज मे जागरूकता का प्रसार करना अत्यंत आवश्यक –
समाज में जागरूकता का विकास करना अत्यंत आवश्यक है , क्योंकि जिस प्रकार सूचना प्रौद्योगिकी में पिछले कुछ सालों में सुधार किया गया है । उससे सूचना प्रौद्योगिकी की पहुँच में भारतीय ग्रामीण क्षेत्रों में भी वृद्धि हुई है । एक रिपोर्ट के अनुसार 2019 में नेट कनेक्टिविटी गांव में 45% वृद्धि हुई है।
ऐसे में यह आवश्यक है कि समाज में सूचना प्रौद्योगिकी से संबंधित जागरूकता का विकास किया जाए । उन्हें मालूम हो कि किस आधार की फोटोस वीडियोस और वायरल पोस्ट्स पर विश्वास किया जाए।
SEARCH TERMS : Deep Fake Technique | Deep Fake Technique and it’s Disadvantages | Effects of Deep Fake Technique
READ ALSO : 7 Myths about UPSC Civil Services Exam | UPSC सिविल सेवा परीक्षा से जुड़े 7 मिथक
READ ALSO : Mukhyamantri Vatsalya Yojana in Hindi | मुख्यमंत्री वात्सल्य योजना | Mukhyamantri Vatsalya Yojana