अभियन्ता दिवस (ENGINEERS DAY) | एम. विश्वेश्वरैया | ENGINEERS DAY IN HINDI | M. Visvesvaraya
ENGINEERS DAY
अभियन्ता दिवस (ENGINEERS DAY) प्रत्येक वर्ष 15 सितम्बर को मनाया जाता हैं। इस दिन विशेष को मनाने का कारण है महान अभियंता मोक्षगुंडम विश्वेश्वरैया जी (Mokshagundam Visvesvaraya) जिनका इस दिवस विशेष पर जन्मदिवस है, इसलिए उन्हें श्रद्धांजलि देने हेतु इस दिन को अभियन्ता दिवस (ENGINEERS DAY) के रुप में मनाया जाता है।
एक अच्छे अभियंता के तौर पर सफलतम एवं उत्कृष्ट कार्य करने हेतु 1955 में विश्वेश्वरैया जी (M. Visvesvaraya) को देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न से सम्मानित किया गया था।
अभियंता दिवस के दिवस विशेष पर दुनिया के समस्त अभियंताओं को सम्मान दिया जाता है। देश के बड़े-बड़े वैज्ञानिक, अभियंताओं ने देश के विकास के लिए नयी-नयी खोज एवं अनुसंधान किये है।
ENGINEERS DAY
ENGINEERS DAY IN HINDI
वर्तमान समय मे दुनियां के हर क्षेत्र में, अभियंताओं (इंजिनियरों) का विशेष योगदान हैं ; भारत की प्रगति में अभियंताओं का भी महत्वपूर्ण योगदान हैं, फिर चाहे वो कोई भी क्षेत्र क्यों ना हो। तकनीकी ज्ञान के बढ़ने के साथ ही किसी भी देश का विकास होता हैं, इससे समाज के दृष्टिकोण में भी बदलाव आता हैं। ENGINEERS DAY IN HINDI
उदाहरण के लिये अगर हम अपने हाथ में रखे स्मार्ट फोन को ही देखे और पीछे मुड़कर इसके इतिहास को याद करे, तो हमें होने वाले बदलावों का अहसास हो जाता हैं। अभी से लगभग 15 वर्ष पहले एक टेलीफोन की जगह लोगो के हाथों में मोबाइल फोन आये थे, जिसमें वो कॉल और एस.एम.एस (sms) के जरिये अपनों के ओर भी करीब हो गये। वही कुछ वक्त बीतने पर यह मोबाइल फोन, स्मार्टफोन में बदल गया। अपनों से बात करने से लेकर बिल भरना, शॉपिंग करना, बैंक के काम आदि कई काम एक स्मार्ट फोन के जरिये बैठे-बैठे आसानी से संभव हो जाते है। ENGINEERS DAY
ऐसे कई क्षेत्र हैं जहाँ इंजिनियरों ने अपने कार्य का लोहा मनवाया है और दुनियाँ को एक जगह पर बैठे-बैठे आसमान तक की सैर करवाई हैं।
इन दिन को मनाने का लक्ष्य हमारे देश के युवाओं को इंजीनियरिंग में करियर के प्रति प्रेरित करना है और जिन अभियंताओं (इंजीनियरों) ने हमारे देश के उत्थान में अपना योगदान दिया है उनकी सराहना करना है।
ENGINEERS DAY IN HINDI
ENGINEERS DAY IN OTHER COUNTRIES
विश्व के अन्य क्षेत्र में अभियंता दिवस (ENGINEERS DAY) :-
• अर्जेंटीना – 16 जून
• बांग्लादेश – 7 मई
• बेल्जियम – 20 मार्च
• कोलंबिया – 17 अगस्त
• आइसलैंड – 10 अप्रैल
• ईरान – 24 फरवरी
• इटली – 15 जून
• मैक्सिको – 1 जुलाई
• पेरू – 8 जून
• रोमानिया – 14 सितम्बर
• तुर्की – 5 दिसम्बर
एम् विश्वेश्वरैया (M. Visvesvaraya) भारत के महान इंजिनियरों में से एक थे, इन्होंने ही आधुनिक भारत की रचना की और भारत को नया रूप दिया। उन्हें वर्तमान युग का विश्वकर्मा भी कहा जाता है। उनकी दृष्टि और इंजीनियरिंग के क्षेत्र में समर्पण ने राष्ट्र के विकास के लिए कुछ असाधारण योगदान दिया।
BIOGRAPHY OF M.VISVESVARAYA IN HINDI | M.VISVESVARAYA JI KI JEEWANI IN HINDI | एम् विश्वेश्वरैया जी की जीवनी
विश्वेश्वरैया जी का जन्म 15 सितम्बर 1860 में मैसूर रियासत में हुआ था, जो आज कर्नाटक राज्य बन गया है। इनके पिता श्रीनिवास शास्त्री संस्कृत विद्वान और आयुर्वेदिक चिकित्सक थे। इनकी माता वेंकचाम्मा एक धार्मिक महिला थी।
जब विश्वेश्वरैया जी मात्र 15 वर्ष के थे, तब उनके पिता का देहांत हो गया था। चिकबल्लापुर से इन्होंने प्राईमरी स्कूल की शिक्षा पूर्ण की, आगे की पढा़ई के लिए वे बैंगलोर चले गए। 1881 में विश्वेश्वरैया जी ने मद्रास यूनिवर्सिटी के सेंट्रल कॉलेज, बैंगलोर से बीए की परीक्षा पास की। इसके बाद मैसूर सरकार से उन्हें सहायता मिली और उन्होंने पूना के साइंस कॉलेज में इंजीनियरिंग में दाखिला लिया। 1883 में LCE और FCE एग्जाम में उनका प्रथम स्थान आया।
इंजीनियरिंग पास करने के बाद विश्वेश्वरैया जी को बॉम्बे सरकार की तरफ से जॉब का ऑफर आया, और उन्हें नासिक में असिस्टेंट इंजिनियर के तौर पर काम मिला। एक इंजीनियर के रूप में उन्होंने बहुत से अद्भुत काम किये।
उन्होंने सिन्धु नदी से पानी की सप्लाई सुक्कुर गाँव तक करवाई, साथ ही एक नई सिंचाई प्रणाली “ब्लाक सिस्टम” को शुरू किया। इन्होनें बाँध में इस्पात के दरवाजे लगवाएं, ताकि बाँध के पानी के प्रवाह को आसानी से रोका जा सके। उन्होंने मैसूर में कृष्णराज सागर बांध बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। ऐसे बहुत से और कार्य विश्वेश्वरैया ने किये, जोकि अविश्वसनीय थे। M.VISVESVARAYA KI JEEWANI IN HINDI
1903 में पुणे के खड़कवासला जलाशय में बाँध बनवाया। इसके दरवाजे ऐसे थे जो बाढ़ के दबाब को भी झेल सकते थे, और इससे बाँध को भी कोई नुकसान नहीं पहुँचता था। इस बांध की सफलता के बाद ग्वालियर में तिगरा बांध एवं कर्नाटक के मैसूर में कृष्णा राजा सागरा (KRS) का निर्माण किया गया।
कावेरी नदी पर बना कृष्णा राजा सागरा को विश्वेश्वरैया ने अपनी देख रेख में बनवाया था, इसके बाद इस बांध का उद्घाटन हुआ। जब ये बांध का निर्माण हो रहा था, तब एशिया में यह सबसे बड़ा जलाशय था।
1906-07 में भारत सरकार ने उन्हें जल आपूर्ति और जल निकासी व्यवस्था की पढाई के लिए ‘ अदेन ‘ भेजा। उनके द्वारा बनाये गए प्रोजेक्ट को अदेन में सफलतापूर्वक कार्यान्वित किया गया।
हैदराबाद सिटी को बनाने का पूरा श्रेय विश्वेश्वरैया जी को ही जाता है। उन्होंने वहां एक बाढ़ सुरक्षा प्रणाली तैयार की, जिसके बाद समस्त भारत में उनका नाम हो गया। उन्होंने समुद्र कटाव से विशाखापत्तनम बंदरगाह की रक्षा के लिए एक प्रणाली विकसित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।
विश्वेश्वरैया जी को मॉडर्न मैसूर स्टेट का जनक कहा जाता था। इन्होने जब मैसूर सरकार के साथ काम किया, तब उन्होंने वहां मैसूर साबुन फैक्ट्री, परजीवी प्रयोगशाला, मैसूर आयरन एंड स्टील फैक्ट्री, श्री जयचमराजेंद्र पॉलिटेक्निक संस्थान, बैंगलोर एग्रीकल्चरल यूनिवर्सिटी, स्टेट बैंक ऑफ़ मैसूर, सेंचुरी क्लब, मैसूर चैम्बर्स ऑफ़ कॉमर्स एवं यूनिवर्सिटी विश्वेश्वरैया कॉलेज ऑफ़ इंजीनियरिंग की स्थापना करवाई।
इसके साथ ही और भी अन्य शैक्षणिक संस्थान एवं फैक्ट्रियों की भी स्थापना की गई। विश्वेश्वरैया जी ने तिरुमला और तिरुपति के बीच सड़क निर्माण के लिए योजना को अपनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।
1908 में विश्वेश्वरैया जी ने अपने काम से थोड़े समय का ब्रेक लिया और विदेश यात्रा में चले गए, यहाँ उन्होंने देश के औद्योगिक विकास के बारे में गहन चिंतन किया। विदेश से लौटने के बाद इन्होने थोड़े समय के लिए हैदराबाद के निज़ाम के रूप में कार्य किया। उस समय हैदराबाद की मूसी नदी से बाढ़ का अत्याधिक खतरा था, तब विश्वेश्वरैया जी ने इससे बचाव के लिए उपाय सुझाये। नवम्बर 1909 में विश्वेश्वरैया जी को मैसूर राज्य का मुख्य इंजिनियर बना दिया गया। इसके बाद 1912 में विश्वेश्वरैया जी को मैसूर रियासत का दीवान बना दिया गया, वे इस पद पर सात सालों तक रहे। उन्होंने 1918 में इस पद से इस्तीफा दे दिया।
मैसूर के राजा कृष्णराजा वोदेयार की मदद से विश्वेश्वरैया जी ने मैसूर राज्य के विकास के क्षेत्र में अनेकों कार्य किये। उन्होंने बहुत से सामाजिक कार्य भी किये। 1917 में बैंग्लोर में सरकारी इंजीनियरिंग कॉलेज की स्थापना की, यह देश का पहला सरकारी इंजीनियरिंग कॉलेज था। बाद में इस कॉलेज का नाम बदल कर यूनिवर्सिटी विश्वेश्वरैया कॉलेज ऑफ़ इंजीनियरिंग रखा गया।
विश्वेश्वरैया जी ने मैसूर स्टेट में नयी रेलवे लाइन की भी स्थापना की। मैसूर के दीवान के रूप में, वे राज्य के शैक्षणिक और औद्योगिक विकास के लिए अथक प्रयासरत रहे। उनके लिए काम ही पूजा थी, अपने काम से उन्हें बहुत लगाव था। उनके द्वारा शुरू की गई बहुत सी परियोजनाओं के कारण भारत आज गर्व महसूस करता है, उनको अगर अपने काम के प्रति इतना दृढ विश्वास एवं इक्छा शक्ति नहीं होती तो आज भारत इतना विकास नहीं कर पाता। भारत में उस समय ब्रिटिश राज था, तब भी विश्वेश्वरैया जी ने अपने काम के बीच में इसे बाधा नहीं बनने दिया, उन्होंने भारत के विकास में आने वाली हर रुकावट को अपने सामने से दूर किया था। BIOGRAPHY OF M.VISVESVARAYA
स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद 1955 में विश्वेश्वरैया जी को भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मान “भारत रत्न” से सम्मानित किया गया था। लंदन इंस्टीट्यूशन सिविल इंजीनियर्स की तरफ से भी विश्वेश्वरैया जी को सम्मान दिया गया था। इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ़ साइंस की ओर से भी विश्वेश्वरैया जी को सम्मानित किया गया।
विश्वेश्वरैया जी कर्नाटक के सबसे प्रसिद्ध लोगों में से एक है। इसके अलावा देश के आठ अलग अलग इंस्टिट्यूट के द्वारा उन्हें डोक्टरेट की उपाधि दी गई। विश्वेश्वरैया जी के 100 साल के होने पर भारत सरकार ने उनके सम्मान में स्टाम्प जारी किये।
14 अप्रैल 1962 को विश्वेश्वरैया जी की मृत्यु हो गई।
BIOGRAPHY OF M.VISVESVARAYA IN HINDI
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