Flood Management UPSC Notes In Hindi

Flood Manageent UPSC Notes In Hindi
Flood Management UPSC Notes In Hindi

बाढ़ किसे कहते हैं-

जब सहायक नदियों नालों और अन्य जल स्रोतों में जल प्रवाह को प्राकृतिक अथवा कृत्रिम बांधों के भीतर रख पाना संभव नहीं हो पाता है तो साधारणतया बाढ़ शब्द का प्रयोग किया जाता हैं।  ( Flood Management UPSC Notes In Hindi )

बाढ़ आयोग 1980 के अनुमानों के अनुसार बाढ़ से पूरी तरह प्रभावित होने वाले राज्य बिहार, असम , उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल हैं।

राष्ट्रीय बाढ़ आयोग के अनुसार देश में 40 मिलियन हेक्टर भूमि बाढ़ प्रभावित क्षेत्र में आती है। हाल के वर्षों में कुछ अन्य राज्य जैसे कि गुजरात, राजस्थान, हरियाणा और पंजाब भी बाढ़ की वजह से जलमग्न हो रहे हैं। इसके पीछे का कारण मानसून के पैटर्न में बदलाव और मानव गतिविधियों द्वारा अधिकांश नदियों ,जल धाराओं और जल के अन्य स्रोतों के अवरुद्ध होने को बताया जा रहा है। Flood Management UPSC Notes In Hindi

बाढ़ आने के कारण  –

  • अधिक समय के लिए उच्च तीव्रता वाली बारिश, देश में 3 से 4 माह की अवधि में ही भारी बारिश के फल स्वरुप नदियों में जल प्रवाह अत्यधिक बढ़ जाता है जो बाढ़ का कारण बनता है।
  • पहाड़ी क्षेत्रों में बादल फटने के कारण भी भारी वर्षा होती है जो बाढ़ उत्पन्न करता है।
  • डैम आदि से अचानक भारी मात्रा में जल छोड़ने से प्राय नदी घाटी की वहन क्षमता से अधिक पानी आने के कारण नदी के तटबंध नष्ट हो जाते हैं।  जिससे पानी आसपास के इलाकों में आ जाता है और बाढ़ की स्थिति उत्पन्न होती है।
  • बर्फ का अधिक तेजी से पिघलना।
  • नदी की भौतिक विशिष्टता।
  • मिट्टी के कटाव की उच्च दर के कारण अपरदित पदार्थों का नदी तल में बैठ जाना।
  • जमीन की जल अवशोषण क्षमता में कमी कमी आना भी बाढ़ का एक कारण है।
  • तटीय क्षेत्रों में आने वाला तूफान भी बाढ़ की स्थिति उत्पन्न कर देता है।
  • मानव निर्मित कारणों में आयोजनाबद्ध अथवा अनधिकृत निर्माण कार्यो से भी जल प्रवाह स्रोत बाधित हो जाते है। जो जल के सुगम प्रवाह को रोकते हैं , जिससे बाढ़ की स्तिथि उत्पन्न होती हैं।
  • वनों की अंधाधुंध कटाई से भी बाढ़ की स्तिथि उत्पन्न होती हैं। पेड़ पहाड़ो पर जल के प्रवाह को नियंत्रित करने का कार्य करते है। तथा मिट्टी के कटाव को भी रोकते है जिससे नदियों में ज्यादा गाद नहीं आ पाता हैं। Flood Management UPSC Notes In Hindi

बाढ़ नियंत्रण और प्रबंधन

  • प्रत्येक बाढ़ प्रवण क्षेत्र के लिए बाढ़ नियंत्रण और प्रबंधन की एक मास्टर योजना होनी चाहिए।
  • अत्यधिक बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में यहां तक कि कुछ सिंचाई अथवा विद्युत संबंधी लाभों को एक तरफ रखते हुए या त्यागते हुए जलाशय विनियमन नीति में बाढ़ नियंत्रण को सर्वाधिक महत्व देना चाहिए।
  • बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में बसाव और आर्थिक क्रियाकलापों का सख्त विनयमन करके बाढ़ के कारण होने वाली जानमाल की क्षति को कम किया जा सकता है। Flood Management UPSC Notes In Hindi

NDMA Guidelines For Flood Control and Management ( Flood Management UPSC Notes In Hindi )

  • बाढ़ की रोकथाम के लिए तटबंधों का निर्माण उनके अनुकूल एवं प्रतिकूल प्रभावों के संबंध में विस्तृत जल विज्ञान एवं रूपात्मक अध्ययन करने के बाद किया जाना चाहिए।
  • सीडब्ल्यूसी और राज्य सरकारों को नदी तल में वृद्धि की समस्या का वैज्ञानिक तरीके से अध्ययन करना चाहिए व नदी जल में वृद्धि के प्रभाव को कम करने के लिए उपचारात्मक उपाय के रूप में गाद निकालने या ड्रेजिंग की तकनीकी आर्थिक व्यवहार्यता का पता लगाना चाहिए।
  • राज्य सरकारों को उचित कानून के जरिए प्राकृतिक जल निकासी चैनलों और जल द्वारों को अवरुद्ध करने पर रोक लगानी चाहिए और उनकी क्षमता में सुधार करना चाहिए। अतिरिक्त वर्षा की स्थिति में जल के प्रवाह को सुनिश्चित करने के लिए नए चैनलों और जलद्वारों का निर्माण करना चाहिए।
  • राज्य सरकारों को बाढ़ की प्रभावशीलता को कम करने के लिए कस्बों और शहरों से बाहर अतिरिक्त पानी को मौजूदा या नए चैनलों में स्थानांतरित करके बायपास करने की योजनाओं को लागू करने के लिए , संभावनाओं का अध्ययन करना चाहिए।
  • मिट्टी के कटाव को रोकने जल संरक्षण को बढ़ाने और पानी और तलछट अपवाह को कम करने के लिए नदियों के जल ग्रहण क्षेत्र में वनीकरण , चेक डैम जैसे उपायों को लागू किया जाना चाहिए।
  • समुद्री व्यवहार और अन्य पर्यावरणीय पहलुओं की जटिलता को ध्यान में रखते हुए समुंद्री दीवारों तटीय सुरक्षा कार्यों की योजना आदि से संबंधित कार्य तटीय राज्यों और बंदरगाह प्रशासन द्वारा किए जाने चाहिए।
  • बाढ़ प्रवण क्षेत्रों का एक बाढ़ सुभेद्यता मानचित्र तैयार करना चाहिए। संकट संबंधित नक्शा तैयार करके उच्च सुभेद्यता वाले क्षेत्रों की पहचान की जानी चाहिए।
  • राज्य सरकारों को बाढ़ के दौरान आश्रय लेने के लिए लोगों को पीने के पानी स्वच्छता चिकित्सा उपचार खाना पकाने की व्यवस्था तंबू , लैंप  या प्रकाश , जांच आदि जैसी बुनियादी सुविधाओं के लिए ऊँचे मंच या बाढ़ आश्रम उपलब्ध कराने होंगे।
  • एक तंत्र विकसित करना होगा जिसमें सीडब्ल्यूसी ,आई एम डी,  और राज्य के प्रतिनिधि एक दूसरे के साथ बातचीत करें वास्तविक समय के आधार पर डाटा का आदान प्रदान करें और बाढ़ के पूर्वानुमान और चेतावनीया तैयार करें।
  • नेपाल भूटान और चीन के सहयोग से वास्तविक समय के आधार पर डाटा एकत्रित करना होगा।
  • आपदा से निपटने के लिए नामित अधिकारियों के लिए प्रशिक्षण और क्षमता निर्माण के उपाय किए जाने चाहिए।
  • गैर सरकारी संगठनों, स्वयं सहायता समूह, स्वयंसेवी एजेंसी, होमगार्ड , एनसीसी आदि जैसे कई संगठनों को किसी भी आपदा के बाद स्वेच्छा से अपनी सेवाएं देने के लिए प्रोत्साहित किया जाना चाहिए।
  • राज्य सरकार को समय पर सटीक जानकारी प्रसारित करने के लिए विभिन्न प्रकार के मीडिया विशेष रूप से प्रिंट रेडियो टेलीविजन और इंटरनेट का उपयोग करना चाहिए।
  • एक सामाजिक कार्यकर्ता एक मनोवैज्ञानिक और एक मनोचिकित्सक की एक टीम को पीड़ितों को परामर्श प्रदान करना चाहिए।
  • गंगा बाढ़ नियंत्रण बोर्ड और ब्रह्मपुत्र बोर्ड को मजबूत करने के उपाय किए जाने चाहिए।
  • नदी बेसिन को आधार बनाते हुए बाढ़ पूर्वानुमान और चेतावनी प्रणाली को आधुनिक तकनीकों के माध्यम से विकसित किया जाना चाहिए।
  • नदी बेसिन का अध्ययन करना तथा बाढ़ से उत्पन्न होने वाले सामाजिक और आर्थिक प्रभाव व विनाश का अध्ययन करना , नदियों के प्रवाह में परिवर्तन, नदियों में तलछट का उपस्थित होना, आदि पक्षों के संबंध में अनुसंधान और अध्ययन अति आवश्यक हैं।
  • बाढ़ से संबंधित पूर्व चेतावनी, डेटा और सूचना के प्रसार के लिए तंत्र को विकसित करना होगा।
  • बाढ़ नियंत्रण के लिए संरचनात्मक उपायोंमें जैसे तटबंधों का निर्माण करना ।
  • भवन निर्माण, सड़क निर्माण, रेल पटरियों का निर्माण करते हुए एक योजनाबद्ध और जल निकासी प्रणालियों को ध्यान में रखना चाहिए।
  • आपदाओं के जोखिम को कम करने के लिए जागरूकता पैदा करना भी अति आवश्यक है। इसके लिए बड़े स्तर पर मीडिया के माध्यम से अभियान चलाए जाने की आवश्यकता है। जागरूकता फैलाकर जनता में आपदा जोखिम निवारण और जोखिम प्रबंधन की संस्कृति को बढ़ाया जा सकता है। Flood Management UPSC Notes In Hindi

प्रयास –

  • बाढ़ प्रबंधन और सीमा क्षेत्र कार्यक्रम
  • बाढ़ प्रबंधन कार्यक्रम तथा नदी प्रबंधन गतिविधियों और सीमावर्ती क्षेत्रों से संबंधित कार्य नामक दो स्कीमों को आपस में विलय करके इस योजना को तैयार किया गया है।
  • इस प्रस्ताव के द्वारा माध्यम से बाढ़ और भूषण से गांव शहरों औद्योगिक प्रतिष्ठानों संचार नेटवर्क कृषि क्षेत्रों बुनियादी आदि को सुरक्षित करने में सहायता प्राप्त होगी। Flood Management UPSC Notes In Hindi

 

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