गेमिंग डिसऑर्डर क्या हैं | गेमिंग डिसऑर्डर के नुकसान | What is Gaming Disorder in Hindi
भारत ही नहीं बल्कि पूरे विश्व में ऑनलाइन गेम के प्रति झुकाव युवाओं में बढ़ता ही जा रहा हैं। जो पूरे विश्व में एक समस्या के रूप में सामने आया है। इसी को देखते हुए विश्व स्वास्थ्य संगठन डब्ल्यूएचओ ( WHO ) गेमिंग डिसऑर्डर या गेमिंग विकार (Gaming Disorder in Hindi) को मानसिक स्वास्थ्य स्थिति के रूप में शामिल करने के लिए एक योजना की घोषणा की हैं।
गेमिंग डिसऑर्डर की परिभाषा | Defination Of Gaming Disorder | Gaming Disorder Kya Hai | Gaming Disorder in Hindi
विश्व स्वास्थ्य संगठन गेमिंग डिसऑर्डर को मानसिक स्वास्थ्य समस्या के रूप में वर्गीकृत किया है। डब्ल्यूएचओ ( WHO ) ने गेमिंग डिसऑर्डर की परिभाषा इस अनुसार दी है कि गेमिंग डिसऑर्डर वाले व्यक्ति में कम से कम 12 महीने तक निम्नलिखित लक्षण दिखाई देते हैं जैसे कि-
१. अपनी गेम खेलने की आदतों पर नियंत्रण न रख पाना नियंत्रण रखने का आभाव।
२. वहीं दूसरी अन्य कार्यों , रुचियों और गतिविधियों की तुलना में गेम खेलने को प्राथमिकता देना।
३. नकारात्मक प्रभावों के बावजूद भी गेम खेलना जारी रखना।
ऑनलाइन गेम से सम्बंधित कुछ आँकड़े ( Online Gaming Data ) :-
ऑल इंडिया गेमिंग फेडरेशन के आंकड़ों के अनुसार भारत का ऑनलाइन गेमिंग उद्योग 2023 तक 15500 करोड़ रुपए होने की उम्मीद हैं।
एक आंकड़े के अनुसार 2019 में 2019 में दक्षिण कोरिया के बाद भारत में खिलाड़ियों की दूसरी सबसे बड़ी संख्या थी।
गेमिंग डिसऑर्डर के निम्नलिखित नकारात्मक प्रभाव देखने को मिले हैं | Disadvantages of Gaming Disorder in Hindi
- गेमिंग डिसऑर्डर के कारण शारीरिक और भावनात्मक क्षति तो होती ही हैं। इसके साथ-साथ सामाजिक क्षति भी होती हैं।
- नींद और भूख में कमी आना।
- कैरियर और सामाजिक जीवन में हानि पहुंचाने का कारण बनता है।
- गेमिंग डिसऑर्डर के कारण एक ऐसी खबर भी सामने आई थी। जिसमें लगातार तीन दिन तक गेम खेलने से एक व्यक्ति को कैफे में मृत पाया गया था। और अनेक ऐसी खबरें भी रिसर्च में आई है कि दंपत्ति द्वारा गेम खेलने की लत की वजह से उन्होंने अपने बच्चों की उपेक्षा भी की थी।
- डिस्ट्रेस मैनेजमेंट कलेक्टिव नामक दिल्ली में स्थित एक गैर सरकारी संगठन के अनुसार ऑनलाइन गेमिंग वित्तीय संकट का कारण भी बन सकता है।
- कुछ रिपोर्ट के अनुसार गेम खेलने की लत को गेम खेलने से जुआ खेलने की ओर बढ़ने के कारण के रूप में भी दर्शाया गया है। इसमें पाया गया है कि 14 वर्षीय बालक ऑनलाइन गेम का आदी हो जाता है। बाद में वह अपनी २० की शुरुआती उम्र में ऑनलाइन ताश के खेल का आदी हो जाता है। इसमें वित्तीय दाव जरुरी होता हैं।
गेमिंग डिसऑर्डर (Gaming Disorder in Hindi) से बचने के उपाय :-
- गेम की लत से होने वाले नुकसान को जन जन तक पहुंचाने के लिए सरकार को गैर सरकारी संगठनों के साथ मिलकर जागरूकता अभियान चलाने की आवश्यकता हैं। जिसमें सूचना प्रौद्योगिकी की सहायता के साथ-साथ जमीनी स्तर पर नुक्कड़ सभाओं आदि के माध्यम से भी जागरूकता फैलाना चाहिए ।
- डिजिटल उपवास- परिवारों के बीच डिजिटल उपवास की विधि को अपनाकर भी गेम की लत को बहुत हद तक कम किया जा सकता है। इसमें यह किया जाता है कि हफ्ते में कुछ दिन बीच में बिल्कुल भी नेट और फोन का या अन्य डिजिटल उपकरणों का न्यूनतम प्रयोग किया जाता है।
- लत लगने के दौरान उसे दूर करने के लिए व्यक्ति को अपने कौशल और योग्यता को खोजने के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए और उसे किसी ऐसी गतिविधि को खोजना चाहिए। जिससे उसके कौशल में तो विकास हो ही साथ ही उससे मानसिक तौर पर भी आनंद प्रदान करें।
- कुछ रिपोर्टों के अनुसार गेम की लत से सामाजिक या पारिवारिक रिश्तो में भी अड़चन पैदा होती हैं। तो ऐसे में लत को दूर करने के लिए परिवार के सदस्यों को भाग लेने की अति आवश्यकता हैं।
- गेमिंग की लत को दूर करने के लिए युवाओं को यह निर्धारित करना चाहिए कि वह दिन का कुछ ना कुछ समय मैदान में जाकर व्यतीत करें। जिसमें वह अन्य व्यक्तियों से बात कर सकता है या मैदान में अन्य खेल खेल सकता है।
वर्तमान में यह एक व्यक्तिगत समस्या नहीं बल्कि सामाजिक समस्या के रूप में उभरी हैं। इसके समाधान के लिए सरकार , शासन और समाज को साथ में मिलकर समायोजित रूप से प्रयास करने होंगे।
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