UPSC IAS (Mains) 2017 Hindi Literature (Paper -2) Exam Question Paper in Hindi | यूपीएससी आईएएस 2017 (मुख्य परीक्षा) हिंदी साहित्य पेपर -2 | Hindi Literature Previous Year Question Paper-2 2017
UPSC IAS (Mains) 2017 Hindi Literature (Paper – 2 ) Exam Question Paper
Hindi Literature Previous Year Question Paper-2 2017
2017
खण्ड ‘A’ SECTION ‘A’
निम्नलिखित काव्यांशों की लगभग 150 शब्दों में ऐसी व्याख्या कीजिए कि इसमें निहित काव्य-मर्म भी उद्घाटित हो सके :
- (a) जीवन मुँहचाही को नीको, दरस परस दिन रात करति है कान्ह पियारे पी को। नयनन मूंदि-मूँदि किन देखो बँध्यो ज्ञान पोथी को । आछे सुन्दर स्माग मनोहर और जगत सब फीको । सुनी जोग को का लै कीजै जहाँ ज्यान ही जी को ?’ खाटी मही नहीं रुचि मानै सूर खवैया घी को ।।
1.(b) ऋषिनारि उधारि कियो सठ केवट मीत पुनीत सुकीर्ति लही । निजलोक दियो सबरी खग को कपि थाप्यो सो मालुम है सबही । दससीस विरोध सभीत विभीषण भूप कियो जग लीक रही । करुणानिधि को भजु रे तुलसी रघुनाथ अनाथ के नाथ सही
1.(c) (i) सायक सम मायक नयन रंगे त्रिविध रंग गात । झखी बिलखि दुरि जात जल लखि जलजात लजात ॥
(ii) सब ही त्यों समुहाति छिनु, चलति सबनु दै पीठि । वाही त्यीं ठहराति यह, कविलनवी लौ दीठि ।।
1(d) अंधकार के अट्टहास सी मुखरित सतत चिरंतन सत्य, छिपी सृष्टि के कण-कण में तू यह सुंदर रहस्य है नित्य जीवन तेरा क्षुद्र अंश है व्यक्त नील बनमाला में, सौदामिनी संधि सा सुंदर क्षण भर रहा उजाला में।
1.(e) पिस गया वह भीतरी औ’ बाहरी दो कठिन पार्टी बीच, ऐसी ट्रेजिडी है नीच !! बावड़ी में वह स्वयं पागल प्रतीकों में निरन्तर कह रहा वह कोठरी में किस तरह अपना गणित करता रहा औ’ मर गया ।
- (a) ‘कबीर की कविता “अस्वीकार” के साथ-साथ स्वीकार की भी कविता है ।’ कबीर काव्य का विश्लेषण कीजिए । इस कथन के संदर्भ में
- (b) “काव्य, जीवन को अर्थवत्ता प्रदान करता है और काव्य की अर्थवत्ता बिम्ब से निर्मित होती है । “. इस कथन के आलोक में सूरदास के काव्य का मूल्यांकन कीजिए । 15
- (c) “जायसी कृत ‘पद्मावत’ में वर्णित ‘प्रेम’, सौंदर्य, भाव- गांभीर्य और माधुर्य की त्रिवेणी से उद्भासित है।” इस कथन के संदर्भ में जायसी की प्रेम व्यञ्जना का विवेचन कीजिए । 15
3.(a) भारत-भारती’ की राष्ट्रीय चेतना हिन्दू जातीयता पर अवलंबित है।” इस कथन के संदर्भ में अपना मत सोदाहरण प्रस्तुत कीजिए ।
3.(b) “निराला की रचना ‘कुकुरमुत्ता’ अनुभूतिगत एवं अभिव्यक्तिगत दोनों स्तरों पर काव्य-आभिजात्य से मुक्ति का महत् प्रयास है।” इस कथन की व्याख्या करते हुए निराला के काव्य-सौन्दर्य को उद्घाटित कीजिए ।
3.(c) अज्ञेय ने ‘असाध्यवीणा’ कविता में अनेक मिथकों के माध्यम से अभीष्ट एवं सार्थक बिम्बों का सृजन किया है।” अज्ञेय की काव्य-कला के संदर्भ में विचार कीजिए ।
- (a ) “दिनकर की रचना ‘कुरुक्षेत्र’ के सृजन का एक अत्यंत महत्वपूर्ण प्रयोजन ‘शिवेतरक्षतयें’ भी है ।” अपने मत को सोदाहरण एवं तर्क सहित प्रस्तुत कीजिए ।
4.(b) “मुक्तिबोध ने ‘ब्रह्मराक्षस’ कविता में फैण्टेसी शैली के माध्यम से कविता जैसी विधा में नाटकीय प्रभाव की सृष्टि की है।” – इस कथन की तर्क एवं उदाहरण सहित विवेचना कीजिए ।
- (c) “नागार्जुन अकाल को प्राकृतिक अभिशाप के रूप में कम, मानवीय अभिशाप के रूप में ज्यादा देखते – इस कथन के आलोक में नागार्जुन के काव्य की समीक्षा कीजिए ।
SECTION ‘B’
5.निम्नलिखित गद्यांशों की संदर्भ सहित व्याख्या कीजिए और उसका भाव-सौंदर्य प्रतिपादित कीजिए । (प्रत्येक लगभग 150 शब्दों में)
- (a) हा ! भारतवर्ष को ऐसी मोहनिद्रा ने घेरा है कि अब उसके उठने की आशा नहीं। सच है, जो जान बूझकर सोता है उसे कौन जगा सकेगा ? हा दैव ! तेरे विचित्र चरित्र हैं, जो कल राज करता था वह आज जूते में टांका उधार लगवाता है। कल जो हाथी पर सवार फिरते थे, आज नंगे पाँव बन-बन की धूल उड़ाते फिरते हैं।
5.(b) ज्यों-ज्यों सभ्यता बढ़ती जायेगी त्यों-त्यों कवियों के लिए यह काम बढ़ता जायेगा । इससे यह स्पष्ट है कि ज्यों-ज्यों हमारी वृत्तियों पर सभ्यता के नये-नये आवरण चढ़ते जायेंगे त्यों-त्यों एक ओर तो कविता की आवश्यकता बढ़ती जायेगी, दूसरी ओर कवि-कर्म कठिन होता जायेगा । 10
(c) मैं फिर काम शुरू करूंगा -यहीं इसी गांव में, मैं प्यार की खेती करना चाहता हूँ। आँसू से भीगी धरती पर प्यार के पौधे लहलहायेंगे। मैं साधना करूंगा, ग्रामवासिनी भारतमाता के मैले आँचल तले । कम से कम एक ही गाँव के कुछ प्राणियों के मुरझाये ओठों पर मुस्कराहट लौटा सकूं । उनके हृदय में आशा और विश्वास को प्रतिष्ठित कर सकूँ ।
(d) याद वह करती है, किंतु जैसे किसी पुरानी तस्वीर के धूल भरे शीशे को साफ कर रही हो। अब वैसा दर्द नहीं होता। सिर्फ उस दर्द को याद करती है, जो पहले कभी होता था। तब उसे अपने पर ग्लानि होती है। वह फिर जान-बूझकर उस घाव को कुरेदती है, जो भरता जा रहा है। 10
(e) आवेग एक वस्तु है, जीवन दूसरी । जीवन जल का पात्र है, आवेग उसमें बुदबुदा मात्र है। जीवन की नादिया बिग्रीमा आवेगका यात यावश्यक हो जाता है जैसे रोग में पथ्य अरुचिकर होने पर भी उपयोगिता के विचार से ग्रहण किया जाता हैं।
6. (a) “चूंकि कृषक जीवन की समस्या उस समय के भारत की मुख्य समस्या थी, इसलिए ‘गोदान’ में कृषक जीवन की ट्रेजडी का आख्यान मानो युगीन समस्याओं का प्रतिनिधि आख्यान है।” इस कथन की आलोचनात्मक समीक्षा कीजिए ।
(b) “मैला आँचल में अभिव्यक्त स्त्री-पुरुष संबंध एक नवीन मुक्ति के पक्ष में है।” इस कथन से आप कहाँ तक सहमत हैं ? तार्किक व्याख्या कीजिए ।
(c) ‘महाभोज’ स्वातंत्र्योत्तर भारतीय राजनीति की विकृति के पर्दाफाश का ज्वलंत दस्तावेज है।” तर्क एवं उदाहरण सहित सिद्ध कीजिए ।
7.(a) ‘भारत-दुर्दशा’ प्रायः कथाविहीन, घटनाविहीन नाट्य-रचना है। फिर भी इसके मंचन की संभावनाएँ कम नहीं हैं।’ अभिनेयता की दृष्टि से विवेचन कीजिए ।
- (b) ‘स्कंदगुप्त’ नाटक की प्रमुख समस्या राष्ट्रीय सुरक्षा की समस्या है। प्रसाद की नाट्य-दृष्टि के संदर्भ में इस कथन की समीक्षा कीजिए ।
7 (c) “दूध और दवा” कहानी की मूल संवेदना आदर्श और यथार्थ के द्वंद्व एवं संघर्ष से निर्मित है। – इस कथन के संदर्भ में कहानी की समीक्षा कीजिए ।
8(a) “कविता क्या है” निबंध के आधार पर आचार्य रामचंद्र शुक्ल की “कविता की भाषा” विषयक मान्यताओं पर प्रकाश डालिए ।
8(b) क्या प्रेमचंद की कहानियाँ घटना प्रधान अधिक और चरित्र प्रधान कम हैं ? आलोचनात्मक टिप्पणी लिखते हुए अपने मत का प्रतिपादन कीजिए ।
8(c) “नन्हो” कहानी की भाषा ग्रामीण मुहावरों और शब्दों से युक्त जीवत भाषा है।” कथन के आलोक में कहानी के भाषा-सौंदर्य को उद्घाटित कीजिए ।
Hindi Literature Previous Year Question Paper-2 2017
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