हिंदी साहित्य विगत वर्षों के प्रश्न पत्र :- गोदान | Hindi Literature PYQ Mains UPSC | Hindi Literature UPSC PYQ GODAN
Hindi Literature UPSC PYQ GODAN
1. ‘गोदान’ में प्रस्तुत गाँव और शहर की कथाओं के संबंध पर विचार करते हुए उपन्यास के उद्देश्य पर प्रकाश डालिए। – 2001
2. औपन्यासिक कला की दृष्टि से गोदान’ उपन्यास की समीक्षा कीजिए -2005
3. क्या आपको ‘गोदान’ पढ़ते हुए यह लगता है कि होरी का जीवन दुःख का एक लम्बा नाटक है जिसमें सुख के भी कुछ दृश्य है? प्रमाण सहित उत्तर दीजिए। -2008
4. गोदान की बुनावट का विवेचन कीजिए। -2009
5. ‘गोदान’ न केवल कृषक जीवन का महाकाव्य है, अपितु समूचे युग की व्यथा-कथा है। इस कथन का पक्षापक्ष-विमर्श प्रस्तुत कीजिए। 2011
6. हिन्दी उपन्यास की आधुनिकता की चर्चा ‘गोदान’ से शुरू होती है। देसी आधुनिकता के कौन-कौन से तत्त्व ‘गोदान’ को आधुनिक सिद्ध करते है? स्पष्ट कीजिए। -2012
7. यदि प्रेमचन्द ‘गोदान’ को उपन्यास के बदले नाटक के रूप में लिखते, तो आपकी दृष्टि में से उसमें क्या छोड़ने और क्या जोड़ते? -2014
8 प्रेमचंद ने हिन्दी में पहली बार गाँव और कृषक जीवन को अपने उपन्यास लेखन का केंद्रीय विषय बनाया। ‘गोदान’ के माध्यम से प्रेमचंद की उक्त औपन्यासिक दृष्टि की सांस्कृतिक समीक्षा प्रस्तुत कीजिए। 2016
10. “चूंकि कृषक जीवन की समस्या उस समय के भारत की प्रमुख समस्या थी, इसलिये ‘गोदान’ में कृषक जीवन की ट्रेजड़ी का आख्यान मानो युगीन समस्याओं का प्रतिनिधि आख्यान है।” इस कथन की आलोचनात्मक समीक्षा कीजिये। -2017
10. “गोदान न केवल ग्रामीण जीवन का बल्कि समूचे भारतीय जीवन की समस्याओं तथा यत्किचित संभावनाओं का आख्यान है।” इस स्थापना का वस्तुनिष्ठ विश्लेषण कीजिये। – 2018
11. अपने उपन्यासों एवं कहानियों में प्रेमचन्द की बुनियादी चिन्ताएँ अपने समय की भी है और भविष्य की भी हैं। इस विचार से आप कहाँ तक सहमत हैं? तर्क सहित उत्तर दीजिए। 2004
12. पठित उपन्यास और कहानियों के आधार पर सोदाहरण सिद्ध कीजिए कि पात्रों के चित्रण में प्रेमचन्द ने मनोविज्ञान का पर्याप्त ध्यान रखा है। -2006
13. क्या यह सच है कि प्रेमचन्द ने हिन्दी कथा साहित्य की कर्मभूमि ही नहीं बदली उसका कायाकल्प भी किया। सप्रमाण उत्तर दीजिए – 2009
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