चिंता नही चिंतन कीजिये / चिंता से मुक्ति के लिए कुछ उपाय / How to stop worrying
समाज मे रहने के कारण समाज की सभी क्रियाओं का प्रभाव इंसान पर होन स्वाभाविक ही हैं। इस वजह से इंसान दिन प्रतिदिन किसी न किसी चिंता में खुद को उलझाए ही रखता है ; ऐसे में ये भी आवश्यक है कि चिंता को कम करने के प्रयास किये जायें ; नहीं तो ये कहा भी जाता है कि “चिंता चिता समान“ मतलब कि चिंता इंसान की सभी संभावनाओ का अंत कर देती हैं । ये सामर्थ्य का नाश करती हैं । इसलिए जीवन मे संभावनाओ के शीर्ष पर पहुँचने के लिए चिंता के स्थान पर चिंतन आवश्यक हैं।
यहाँ चिंता से मुक्ति के लिए कुछ आवश्यक जरूरी उपायों पर चर्चा की जाएगी ।
1. सर्वप्रथम एक कागज़ पर चिंता के विषय मे पूर्ण रूप से लिखें ।
2 अब खुद से पूछते हुए लिखें कि — मैं इस विषय मे क्या कर सकता हूं।
3. अब एक लंबी सी सांस लेते हुए आराम की स्थिति में आए और गंभीरता से चिंतन करते हुए –
अब चिंता के विषय में समाधान हेतु लगभग 3 से 5 उपायों को लिखें कि इस समस्या का हल कैसे संभव हो सकता हैं। अब आप देखेंगे कि आधी चिंता तो यही पर समाप्त हो चुकी होंगी।
4. अब जो भी आपने समाधान लिखे हैं, उन सभी पर पूर्ण मनोयोग से चिंतन करें । और सभी समाधानों को समस्या में रख कर मानसिक चिंतन गहराई से करें । इसमें अत्यंत श्रम की आवश्यकता होगी परंतु इससे कोई न कोई रास्ता जरूर मिलेगा ।
अब शेष चिंता में से आधी चिंता यहाँ समाप्त हो चुकी होगी ।
5. अब जो भी समाधान परिस्तिथि और समय के अनुसार सबसे उपयुक्त लगे उसे चुने और प्रण ले कि इसे पुरे मनोयोग से समस्या के समाधान हेतु लागू किया जाएगा।
6. अब वर्तमान को ध्यान में रख कर ये सोचना है कि भूतकाल में हम कुछ नहीं कर सकते हैं। जो ज़िंदगी पीछे गुजर गयी हैं ;अब उसमे प्रवेश करके कोई उसमे दुबारा जीवन व्यतीत नहीं कर सकता हैं ; वर्तमान को नए तरीके से शुरू करे। ये सोचे कि अगर भविष्य को सही करना है तो आज को सही रखना और करना अति आवश्यक हैं। जब आप आज अपनी पूरी मेहनत और मनोयोग से काम करेंगे तो आप पाएंगे कि आज आप खुद को कल से ज्यादा सहज बना पाए हैं।
इंसान जब वर्तमान में अपनी पूरी शक्ति और लगन से कार्य करता हैं , तो उसे चिंता करने का समय ही नही मिल पाता है क्योंकि समस्त समय जीवन की योजनाओं पर चिंतन करने और उनपर कार्य करने में ही निकल जाता हैं।
जब भी किसी को चिंता हो तो उसे चिंतन की ओर बढ़ने का प्रयास करना चाहिए। अपनी चिंता के विषय मे गंभीर चिंतन करके उसे कागज़ पर लिखकर उसके समाधानों को भी लिखना चाहिए। तत्पश्चात जो भी सबसे उत्तम समाधान हो ; उस समाधान को मन ही मन उस समस्या में रख कर ये विश्लेषण करने का प्रयास करना चाहिय कि ये कहा तक उस समस्या के समाधान हेतु उत्तम रहेगा।
फिर जिस भी समाधान पर निर्णय हो उस पर तो पूरी मेहनत से काम करना ही चाहिए साथ ही अगले दिन से पिछले दिन को भूल कर पूर्ण सामर्थ्य से अपने कर्तव्य में लग जाना चाहिए।