Contents hide
1. आत्मविश्वास (SELF CONFIDENCE AATMVISHWAS) पर निबंध | IMPORTANCE OF SELF CONFIDENCE IN HINDI | AATMVISHWA KAISE BADHAYE

 आत्मविश्वास (SELF CONFIDENCE AATMVISHWAS) पर निबंध | IMPORTANCE OF SELF CONFIDENCE IN HINDI | AATMVISHWA KAISE BADHAYE

 

आज भारत युवाओं का देश हैं । जहाँ युवा जोश कुछ भी कर गुजरने को तैयार रहता हैं। युवा जोश चट्टानों से भी टकरा जाता हैं। परंतु वर्तमान समय में अनेक  सामाजिक ,आर्थिक ,राजनीतिक, व्यक्तिगत  व  अन्य समस्याओं के कारण जहां अनेक युवाओं का आत्मविश्वास (SELF CONFIDENCE AATMVISHWAS)  कमजोर हुआ हैं।  साथ ही साथ हर आयु वर्ग के इंसान में आत्मविश्वास की कमी नजर आती हैं।  वर्तमान में प्रतिस्पर्धा का स्तर अत्यंत अधिक हो चुका हैं।  जहां  युवाओं में बेरोजगारी बढ़ रही हैं।  जिससे उनके आत्मविश्वास (SELF CONFIDENCE AATMVISHWAS) को भी एक धक्का लगा हैं।  आज आवश्यक है कि युवा अपना आत्मविश्वास (SELF CONFIDENCE AATMVISHWAS) विश्वास बनाए रखते हुए जीवन की हर समस्या का सामना दृढ़ता से करें।  आज हम इस लेख में ऐसे कुछ सवालों के जवाब जानने का  प्रयास करेंगे जो आत्मविश्वास (SELF CONFIDENCE AATMVISHWAS) से सम्बंधित अनेक व्यक्तियों के मन में आते हैं।  जैसे कि – आत्मविश्वास (SELF CONFIDENCE AATMVISHWAS) किसे कहते है (WHAT IS SELF CONFIDENCE ) / आत्मविश्वास को कैसे बढ़ाया जाए ( HOW TO BUILD OR IMPROVE SELF CONFIDENCE )/ आत्मविश्वास कैसे कम होता है  / जीवन में आत्मविश्वास का महत्व ( IMPORTANCE OF SELF CONFIDENCE IN HINDI  )  /  AATMVISHWAS KA MAHATVA / ऐसी कौन कौन सी सावधानियां हैं जिन्हें  ध्यान में रखकर हम अपने आत्मविश्वास को पुनः प्राप्त कर सकते हैं। 
 
 

आत्मविश्वास (SELF CONFIDENCE AATMVISHWAS) होता क्या है ( WHAT IS SELF CONFIDENCE ) ? 

 
जब मानसिक व शारीरिक तौर पर आपको खुद पर यह विश्वास हो कि आप प्रत्येक समस्या का सामना दृढ़ता से कर सकते हैं।  उसे ही आत्मविश्वास बोलते हैं। 
यह विश्वास कि मैं किसी भी चुनौती को पार कर सकता हूं , किसी भी समस्या का सामना कर सकता हूं इसे ही आत्मविश्वास( SELF CONFIDENCE AATMVISHWAS) कहते हैं।  
 
मनोविज्ञान की माने तो आत्मविश्वास व्यक्ति की खुद की सोच पर आधारित होता हैं। आत्मविश्वास में “स्व” की अवधारणा का अत्यंत महत्व होता हैं । “स्व” की अवधारणा से अर्थ हैं कि व्यक्ति की अपने बारे में खुद क्या अवधारणा हैं। यदि व्यक्ति खुद को सकारात्मक विचारों से परिपूर्ण रखता हैं अर्थात खुद के प्रति सकारात्मक सोच रखता है तो उसमें आत्मविश्वास भी पूर्ण होगा । इसके विपरीत यदि व्यक्ति का खुद के प्रति नज़रिया भी नकारात्मक है तो उसमें आत्मविश्वास की कमी हमेशा महसूस देती रहेगी। समाज में कुछ व्यक्ति होते हैं जो हमेशा किसी भी परिस्तिथि या चुनौती को स्वीकार करने के लिए हर समय तैयार रहते हैं और स्वीकार करने के बाद भी उसे पूर्ण करने हेतु पूर्ण मनोयोग से प्रयास भी करते हैं। आप देखोगें कि ऐसे व्यक्तियों में एक बात समान होती हैं कि ये सभी अपने विषय में सकारात्मक सोच रखते हैं। 
 

जीवन में अनेक ऐसे करक होते है जो जीवन की दिशा और दशा को तय करते हैं। आत्मविश्वास भी एक ऐसा ही करक है; जो हमारे जीवन को बड़े स्तर पर प्रभावित करता हैं। आत्मविश्वास को इसीलिए जीवन का आधार स्तम्भ कहा जाता हैं। आधार जितना मजबूत होगा जीवन भी उतना ही मजबूत होगा। ये इतिहास भी गवाह है कि इतिहास खुद चंद आत्मविश्वाशी व्यक्तियों का ही बनाया हैं।

आत्मविश्वास :- सफल व्यक्तित्व का आधार स्तंभ 

जीवन मे कुछ व्यक्ति किसी भी चुनौती को स्वीकारने के लिए हर समय तैयार रहते हैं । जो व्यक्ति आत्मविश्वास से परिपूर्ण होता हैं यदि उसे किसी भी प्रकार की चुनौती दी जाए तो वो उसे अस्वीकार करने से पहले एक बार प्रयास करना जरूर चाहेगा और प्रयास ही किसी सफलता का अहम पहलू होता हैं। वहीं दूसरी ओर कुछ लोग छोटे छोटे काम करने में भी खुद को सहज नहीं कर पाते हैं। आत्मविश्वास की कमी वाले व्यक्ति अपनी वर्तमान स्थिति से कोई समझौता इतनी आसानी से नही करते हैं , ऐसे लोग जीवन में कोई नई चुनौती या जोख़िम को सरलता से स्वीकार करने की स्थिति में नहीं होते हैं।

आत्मविश्वास से परिपूर्ण कुछ  व्यक्तियों की कहानी ही बया करता है इतिहास 

विश्व मे अनेक उदाहरण मौजूद हैं जो ये पुर्णतः इंगित करते हैं कि इतिहास ज्यादा ओर कुछ नही बल्कि आत्मविश्वास से पूर्ण व्यक्तियों की कहानी मात्र प्रतीत होता हैं। ऐसे अनेक व्यक्तित्व हुए हैं जो आत्मविश्वास को अपनी हथेली पर लिए घूमते थे और वो ही इतिहास में अपनी जगह बना भी पाए हैं।

इतिहास ज्यादा ओर कुछ नही बल्कि आत्मविश्वास से पूर्ण व्यक्तियों की कहानी मात्र प्रतीत होता हैं।

 

आत्मविश्वास (SELF CONFIDENCE AATMVISHWAS) को कम होने से बचाने के तरीक़े व आत्मविश्वास को बढ़ाने के तरीक़े 

1. लोगों की नज़रों से खुद को न देखे :

कोई व्यक्ति अपने प्रति क्या सोच रखता हैं यह भी बहुत हद तक समाज की क्रियाओं पर निर्भर करता हैं। व्यक्ति आमतौर पर इस आधार पर सोच विकसित करता हैं कि उसे अपने प्रति दूसरों की नज़रों में कैसी छवि नज़र आती हैं। यदि किसी व्यक्ति को लगता है कि अधिकांश लोग उसको किसी क़ाबिल समझते है तो वो भी खुद को क़ाबिल समझेगा।  इसके विपरीत यदि उसे महसूस होता है कि अन्य लोग उसे किसी विषय मे नाक़ाबिल समझते हैं तो वो खुद को भी नाक़ाबिल समझने लगेगा।

हम सामाजिक प्राणी हैं तो समाज की क्रियाओं का प्रभाव हम पर होना स्वाभाविक ही हैं। व्यक्ति की मनोस्थिति का विकास भी किसी न किसी तरह से समाज पर भी निर्भर करता हैं। किसी व्यक्ति के लिए सभी सम्बंधित व्यक्तियों का समान महत्व नहीं होता हैं । कुछ लोग अत्यंत महत्व के होते है जिनकी नज़रो में व्यक्ति अपनी छवि बनाए रखने के लिए हर संभव प्रयास करता हैं और चाहता है कि इनकी नज़रो में मेरी छवि कभी धूमिल न हो वही दूसरी और कुछ लोग ऐसे भी होते है जिनकी बातो या अस्तित्व का व्यक्ति पर कोई प्रभाव नही होता हैं। हमे खुद को दुसरो  की नज़रो ने देखना  बंद करना होगा। 

हमे खुद की नज़रो में एक छवि बनानी होगी कि हा मैं कर सकता हूँ।  मेरे में वो सभी क्षमताएं मौजूद है या मैं मेहनत करके उन क्षमताओं को प्राप्त कर लूंगा जो समस्याओं को पार पाने के लिया जरुरी हो। 

2. तुलना करना बंद करें :

 
जीवन में हमारी मनःस्थिति बहुत अधिक समाजिक क्रियाओं  द्वारा प्रभावित होती हैं।  जिस प्रकार समाज में एक दूसरे से तुलना करने का अवगुण मौजूद होता हैं।  वही अवगुण कहीं ना कहीं हम में  भी मौजूद होता हैं।  हम खुद की दूसरों से तुलना करने लगते हैं। यदि किसी कार्य में कोई अच्छा कर रहा हैं।  तो हम खुद की तुलना उसे से करके खुद को कमतर आंकने लगते हैं।  जिससे हम नकारात्मकता का शिकार हो जाते हैं।  जिसके चलते हम आत्मविश्वास खो देते हैं।  परंतु हमें यह ध्यान रखना चाहिए कि प्रत्येक व्यक्ति खुद में एक विशेष कृति है या भगवान की रचना हैं।  प्रत्येक व्यक्ति कुछ ना कुछ टैलेंट जरूर रखता हैं।  अतः दूसरों से खुद की तुलना ना करे।  खुद का टैलेंट ढूंढ कर उस पर कार्य करें तथा खुद को अपने दम पर समाज में स्थापित करने का प्रयास करें ना कि दूसरों से तुलना करके नकारात्मकता का शिकार होकर अपना आत्मविश्वास कम करें।  
 

3. आत्मविश्लेषण करते रहे और गलतियों से सीखें :

 
आत्मविश्वास बढ़ाने का सबसे अच्छा तरीका यह है कि हमें खुद के प्रति ईमानदार रहना चाहिए।  मतलब कि जो पीछे हमने जो भी गलती की हो उनसे सबक लेकर अपने गलतियों को ढूंढा जाए। जो भी कमियां हैं, उन पर मेहनत से काम करके उन गलतियों  को दूर करने का प्रयास करते रहना चाहिए और बार-बार प्रयास करते रहने से एक समय ऐसा आएगा कि आप उन कमियों को दूर करके उन कमियों से होने वाली गलतियों से बच सकते है।  अतः समय समय पर खुद का आत्म विश्लेषण अत्यंत आवश्यक होता है इससे हमें यह मालूम पड़ता है कि हम कहां गलत कर रहे हैं। 
 

4. खुद को पत्र लिखें :

इसमें हमें यह करना होता है कि भूतकाल में हमारी जो भी उपलब्धि  रही हैं चाहे वह स्कूली स्तर पर हो या किसी खेल स्तर पर हो।  जो भी हो प्रत्येक व्यक्ति की कुछ ना कुछ उपलब्धि या विशेषता अवश्य होती हैं।  अतः उन उपलब्धियों पर खुद को खुद से पत्र लिखें , जिसमें आप उपलब्धियों का उल्लेख करें।  इससे आप में एक सकारात्मक शक्ति का संचार होगा।  जिससे आपको आत्मविश्वास (SELF CONFIDENCE AATMVISHWAS) बढ़ाने में सहायता मिलेगी। 

5. दुसरो की तारीफ़ करें :

 
 जब आप अपने दोस्तों के साथ कुछ कार्य कर रहे हो, जैसे कोई खेल , खेल रहे हो या स्कूल में कोई कार्य कर रहे हो।  तो अगर आपका दोस्त कुछ अच्छा परफॉर्मेंस करता हैं।  तो आपको उसकी तारीफ करनी हैं।  जिससे सामने वाले का आत्मविश्वास तो बढ़ेगा ही साथ ही आप में भी सकारात्मकता का संचार होगा।  इससे यह होगा जब भी आप खेल में कुछ अच्छा करेंगे तो दूसरे व्यक्ति भी आप को प्रोत्साहित करेंगे।  जिससे आप में आत्मविश्वास (SELF CONFIDENCE AATMVISHWAS) में बढ़ोतरी होगी

6. Body language  को बदले : 

 
आपने महसूस किया होगा कि जब भी हम कभी आत्मविश्वास (SELF CONFIDENCE AATMVISHWAS) महसूस करते हैं।  तो हमारे  चलने का , बोलने का , दूसरे से व्यवहार करने का तरीका बदल जाता हैं।  मतलब  हम कह सकते हैं कि आत्मविश्वास का बॉडी लैंग्वेज से सीधा संबंध होता हैं।  अतः अनेक बार ऐसा होता है कि हम कुछ विशेष व्यक्तियों के बीच या किसी  स्थान पर आत्मविश्वास महसूस नहीं कर पाते हैं।  ऐसे में करना यह है कि जब भी हम ऐसी स्थिति हो तो हमें अपनी खुद की बॉडी लैंग्वेज चेंज करनी चाहिए।  हम जब भी बात करें  तो नजरें झुका कर नहीं बल्कि नजरें मिलाकर बात करनी चाहिए।  सीधे से खड़े होकर हमें बात करनी चाहिए और यह ध्यान रखें कि जब भी हम चले या प्रतिदिन जो भी करें तो खुद में आत्मविश्वास (SELF CONFIDENCE AATMVISHWAS) का  अनुभव करते  रहे। 
 

 

7. पुराने अनुभव से आज को न तोले :

 
जीवन में अनेक बार हमको कुछ गलत अनुभव होते हैं।  जिससे हमारा विश्वास कम होता हैं।  जब भी हमारे सामने वही परिस्थिति दुबारा उत्पन्न होती हैं।  जिसमें हमें नकारात्मक अनुभव प्राप्त हुआ था तो हम आज भी खुद को पिछले अनुभवों से जोड़ कर ही देखते हैं। 
 
ऐसा मत करें ऐसा नहीं है कि अगर पहले नकारात्मक अनुभव प्राप्त हुए थे तो , आज भी नकारात्मक अनुभव ही प्राप्त होंगे।  अतः एक नई जिंदगी को अपनाने तथा चुनौतियों का सामना करने के लिए हमेशा तैयार रहे और स्थिति कुछ भी हो उसका बहादुरी से दृढ़ता से सामना करने के लिए तैयार रहे।  तथा यह सोचिए कि जिन समस्याओं से पहले हार चुका था अबके मैं उन समस्याओं को पार पा लूँगा। 
 
 
 
 

8 . अपनी मानसिक स्तिथि का प्रयोग खुद को कमजोर करने में नहीं खुद को मजबूत बनाने में करें :

आत्मविश्वास (SELF CONFIDENCE AATMVISHWAS) की कमी आखिर होती क्या हैं ?
आत्मविश्वास की कमी कुछ नहीं है बल्कि हम अपने मन में नकारात्मक सोच सोच कर खुद का आत्मविश्वास कम कर लेते हैं।  मतलब यह है कि हम अपनी मानसिक शक्ति का प्रयोग अपने ही खिलाफ करते हैं।  यह आपके हाथ में है कि आप अपनी सोच और विचार के बल पर ही अपने भविष्य का निर्माण कर सकते हैं।  अतः हमेशा सकारात्मक सोचिए और अपनी मानसिक शक्ति का प्रयोग अपने खिलाफ नहीं बल्कि खुद की सहायता करने के लिए खुद को आगे बढ़ाने के लिए अपनी समस्याओं से पार पाने के लिए करे।
 
 
9 . महापुरषों की जीवनियाँ पढ़ सकते है।  ये भी आत्मविश्वास( SELF CONFIDENCE AATMVISHWAS) बढ़ाने में सहायक होती हैं। 
 

 

 

आत्मविश्वास व अतिआत्मविश्वास में अंतर  समझे 

 

जिस प्रकार आत्मविश्वास (SELF CONFIDENCE AATMVISHWAS) अत्यंत आवश्यक होता है सफलता के लिए उसी प्रकार कभी कभी अति आत्मविश्वास भी हमे हानि दे सकता हैं। अतः इन जीवन में संतुलन होना भी अत्यंत आवश्यक होता हैं। आत्मविश्वास और अति आत्मविश्वास में संतुलन का सबसे सहज और सरल उपाय यह है कि हम बड़े बड़े महापुरुषों की जीवनी पढ़े और उन्हें सही से विश्लेषण करें कि कैसे उन्होंने आत्मविश्वास बनाए रखते हुए अति आत्मविश्वास को खुद पर हावी नहीं होने दिया । व्यक्ति को ये समझना भी अत्यंत आवश्यक है कि जिस प्रकार प्रत्येक व्यक्ति प्रत्येक क्षेत्र में समान योग्यता नही रखता हैं।  उसी प्रकार प्रत्येक क्षेत्र में आत्मविश्वास का समान होना भी आवश्यक नही हैं। उदाहरण के तौर पर कोई व्यक्ति लेखन कार्य मे आत्मविश्वास रख सकता है तो कोई अभिनय के क्षेत्र में । परंतु किसी भी क्षेत्र में सफलता के लिए आत्मविश्वास होना अत्यंत आवश्यक हैं। आत्मविश्वास के अभाव में किया हुआ प्रयास सफलता की संभावनाओं को कम कर देता है और वहीं आत्मविश्वास से युक्त किए गए प्रयास से सफलता की संभावनाएं बढ़ जाती हैं। अतः जीवन में आत्मविश्वास अत्यंत आवश्यक हैं।

 

READ ALSO – 

डॉ एपीजे अब्दुल कलाम का भारत के युवाओं और देश को लेकर सपना व विचार | Dr. A.P.J. ABDUL KALAM VISION AND THOUGHTS in Hindi |

15 Motivational Quotes for successful Life In Hindi / सफ़लता के लिए मोटिवेशनल कोट्स / 15 Motivational Quotes In Hindi

HKT BHARAT के सोशल मीडिया ( social media ) माध्यमों को like करके निरंतर ऐसे और लेख पढ़ने के लिए हमसे जुड़े रहे |

FACEBOOK PAGE

KOO APP

INSTAGRAM 

PINTEREST

TWITTER 

 

 

Search Terms- आत्मविश्वास( SELF CONFIDENCE AATMVISHWAS) किसे कहते है ( WHAT IS SELF CONFIDENCE ) / आत्मविश्वास को कैसे बढ़ाया जाए ( HOW TO BUILD OR IMPROVE SELF CONFIDENCE )/ आत्मविश्वास कैसे कम होता है  / जीवन में आत्मविश्वास का महत्व ( IMPORTANCE OF SELF CONFIDENCE IN HINDI  )  /  AATMVISHWAS KA MAHATVA /