Important Life Events Dr Babasaheb Ambedkardkar in Hindi

यहाँ पर बाबा साहेब के विषय में जो भी जानकारी और फोटो उपलब्ध कराये जा रहे  है वो दिल्ली स्तिथ डॉ आंबेडकरर संग्राहालय में उपलब्ध जानकारी पर आधारित  है। Important Life Events Dr Babasaheb Ambedkardkar in Hindi

Source –  डॉ आंबेडकरर संग्राहालय दिल्ली को आभार सहित। 

बचपन

वर्तमान मध्य प्रदेश में इन्दौर के निकट महू में 14 अप्रैल 1891 को उनका जन्म हुआ था। उनके पिता की सेवानिवृति के बाद परिवार सातारा जाता है।  सातारा में ही उनकी माता की मृत्यु हो जाती है । उन्होंने सन् 1900 में  सातारा के सरकारी विद्यालय में प्रवेश लिया।

स्कूली शिक्षा व आगे की  पढ़ाई

उन्होंने बम्बई के एलफिनस्टन हाई स्कूल से 1907 में दसवीं पास की। दादा केलुस्कर बड़ौदा के महाराज सयाजीराव गायकवाड़ की मदद से उन्होंने  1912 में स्नातक किया था। तथा इनकी सहायता से ही उन्होंने 1913 में कोलंबिया विश्वविद्यालय में आगे की पढ़ाई के लिए प्रवेश लिया था ।

कोलंबिया प्रवास

1913 से 1916 तक वो  कोलंबिया परिसर में रहे। उन्होंने प्रोफेसर जॉन डेवी और एडविन सेलीगमन के मार्गदर्शन में 1916 में परास्नातक किया। इस विश्वविद्यालय द्वारा 100 अग्रणी छात्रों की सूची में उन्हें प्रथम स्थान का गौरव प्रदान किया । बाबा साहेब को कोलंबिया प्रवास के दौरान उन्हें स्वतन्त्रता व समानता का अनुभव हुआ।

लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स

1916 में उन्होंने लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स में डॉक्टर ऑफ साइंस ग्रेज़ इन्न में बैरिस्टर एट लॉ में दाखिला लिया। प्रथम विश्व युद्ध के कारण उनकी छात्रवृति बाधित हो गयी थी। जिस कारन  उन्हें भारत लौटना पड़ा। भारत आने के बढ़ उन्होंने बड़ौदा में सेना के लेखा विभाग में कार्य करना शुरू किया।

बड़ौदा (1917)

शैक्षणिक उत्कृष्टता के बावजूद बाबा साहेब को बड़ौदा मे भी अप्रिय व्यवहार झेलना पड़ा। महाराज सयाजीराव गायकवाड़ का उनसे अत्यधिक लगाव था। सामाजिक पक्षपात के कारण वहाँ रहने की जगह की व्यवस्था से भी उन्हें निराशा ही हाथ लगी। इन सब भेदभावों के बाद उन्होंने आत्म-निरीक्षण के पश्चात बड़ौदा छोडने का निर्णय लिया।

संकल्प भूमि (23 सितम्बर, 1917)

एक बार की घटना के अनुसार बाबा साहेब बड़ौदा रेलवे स्टेशन पर ट्रेन का इन्तजार कर रहे थे। इस दौरान  डा. अम्बेडकर सयाजी बाग में बरगद के एक पेड़ की छाँव में बैठ गये। जहाँ पर वो गरीबों के उद्धार पर चिन्तन करने लगते है। इस चिंतन के दौरान यहाँ उन्होंने सामाजिक न्याय का योद्धा बनने का संकल्प लिया।

स्वतंत्र भारत के प्रथम कानून मंत्री (1947)

अपनी प्रतिभा, शैक्षणिक उत्कृष्टता, कानून के विषय की पकड़, उपाय कुशलता, लोकतंत्र के प्रति लगाव, समानता के लिए संघर्ष, श्रम मंत्री होने का अनुभव एवं महिला सशक्तिकरण कार्यों के आधार पर स्वतंत्र भारत के प्रथम कानून मंत्री बने ।

एक जिम्मेदार शिक्षाविद

अद्भुत सामाजिक समझ वाले डा. अम्बेडकर शिक्षा को मुक्ति और प्रगति का आधार मानते थे। एक जिम्मेदार शिक्षाविद के रुप में उन्होंने डिप्रेस्ड क्लासेस एजुकेशन सोसाइटी (1928), पीपुल्स एजुकेशन सोसाइटी (1945), मुंबई में सिद्धार्थ कॉलेज (1946), और औरंगाबाद (1950) में मिलिंद कॉलेज की स्थापना की।

दूरदर्शी राजनेता

उन्होंने राष्ट्र के प्रति निष्ठा को धार्मिक, सांस्कृतिक व अन्य सभी प्रतिस्पर्धात्मक निष्ठाओं से ऊपर स्थान दिया। आर्थिक सुधार, विदेश नीति, पड़ोसी देशों से सम्बन्ध एवं किसानों के कल्याण पर उनके विचार व उनका “प्रथम भारतीय व अन्त में भारतीय” वाला दृष्टिकोण उन्हें एक दूरदर्शी नेता के रूप में स्थापित करता है।

शिक्षित बनो, संगठित रहो और संघर्ष करो” (1924)

शिक्षित बनो : शिक्षा गरीबों के उद्धार का सबसे शक्तिशाली साधन है।

संगठित रहो : समाज में संगठन की शक्ति को पहचानते हुए उन्होंने कई संगठनों का गठन किया।

संघर्ष करो : आंदोलन, सत्याग्रह एवं अहिंसक संघर्ष अधिकारों को प्राप्त करने का प्रभावशाली माध्यम हैं।

असाधारण अर्थशास्त्री

कोलंबिया से परास्नातक व पी.एच.डी. की उपाधि प्राप्त की।  लन्दन स्कूल ऑफ इकॉनोमिक्स से डॉक्टर ऑफ साइन्स की उपाधि प्राप्त की। इन सब उपाधि को धारण करके वो भारत के सबसे बड़े अर्थशास्त्री बन गयें उनका ऐतिहासिक शोध ग्रन्थ “द प्राब्लम ऑफ द रूपीः इट्स ऑरिजिन एण्ड इट्स सॉल्युशन” वास्तव में एक महान कृति है। हिल्टन यंग कमीशन के समक्ष उनके द्वारा प्रस्तुत साक्ष्य भारतीय रिजर्व बैंक की स्थापना के आधार बनें।

महाड़ आन्दोलन (20 मार्च 1927)

एक समाज सुधारक व गरीबों के उद्धारक के रूप में उन्होने पीने के पानी के अधिकार के लिए लगभग 10000 अनुयायियों के सामुहिक आन्दोलन का नेतृत्व किया। महाड़ (वर्तमान में राजगढ़ जिला, महाराष्ट्र) के चावदार सार्वजनिक तालाब से सबसे पहले उन्होंने पानी पिया।

Important Life Events - Dr. Babasaheb Ambedkardkar in Hindi
महाड़ आन्दोलन (20 मार्च 1927)  –  Important Life Events – Dr. Babasaheb Ambedkardkar in Hindi

कालाराम मन्दिर प्रवेश आंदोलन –

डा. अम्बेडकर अपने लगभग 10,000 अनुयायियों के साथ 2 मार्च 1930 को नासिक के कालाराम मन्दिर के सामने मन्दिर में प्रवेश के अधिकार व भगवान राम का रथ खींचने के लिए बैठ गये । 9 अप्रैल को जब उन्होंने ऊँची जाति के लोगों को रथ लेकर भागते देखा तो उन्हें रोकने की कोशिश की मगर उन्हें बुरी तरह पीटा गया। इस हमले में डा. अम्बेडकर भी गम्भीर रुप से घायल हो जाते है।

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कालाराम मन्दिर प्रवेश आंदोलन – Important Life Events – Dr. Babasaheb Ambedkardkar in Hindi

उनको बाबा साहेब क्यों कहा जाता था –

डा. अम्बेडकर की कर्तव्य परायण पत्नी रमाबाई एक बार कुपोषण का शिकार हो जाती है। इस दौरान उनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता ख़त्म हो जाती है। और बबा साहेब की अनुपस्थिति में एक कंकाल बन कर रह जाती है । डा. अम्बेडकर ने उन्हें बचाने का भरपूर प्रयास किया लेकिन 27 मई 1935 को उनके दादर, बम्बई स्थित निवास ‘राजगृह’ में रमाबाई ने अंतिम सांस ली।

इस दुर्घटना के कारण डा. अम्बेडकर  महीनों तक अवसाद की स्थिति में चले जाते है।   जब वो उस अवस्था से बाहर निकलते है तो लोगों को उनका हुलिया एक साधु की तरह बदला हुआ मिला और लोग उन्हें बाबा साहेब कहने लगते है  ।

Important Life Events - Dr. Babasaheb Ambedkardkar in Hindi
अवसाद की स्थिति के दौरान –Important Life Events – Dr. Babasaheb Ambedkardkar in Hindi

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