IPL : आपके काम और लक्ष्य से महत्वपूर्ण नहीं हैं।

IPL : आपके काम और लक्ष्य से महत्वपूर्ण नहीं हैं ।

औद्योगिक क्रांति से पूर्व मेहनत का काम इंसान या जानवर से कराया जाता था। फिर जब मशीनीकरण हुआ और औद्योगिक क्रांति हुई तो मशीनों का प्रयोग बढ़ा और बड़े स्तर पर उत्पादन शुरू हुआ। जिससे इंसान कंपनी में काम करने लगे जिससे एक वर्ग का जीवन स्तर थोड़ा ऊपर उठा। इंग्लैंड के जमीनदारों ने भी अनेक फैक्ट्री लगाई।

इंग्लैंड के जमींदारों की सोच अन्य अमीर व्यक्तियों से कुछ अलग थी। ये लोग फैक्ट्री में काम करने वाले लोगो के खाली समय से भी कमाई करना जानते थे। और उसके लिए इन्होंने फैक्ट्री की बस्तियों के पास देर रात तक चलने वाले PUBS खोले और अन्य तरह के कार्य शुरू किए जैसे दवाईखाने खोले।

फिर ऐसे ही आगे चलकर मजदूरों के खाली समय से पैसे कमाने के लिए कुछ और तरीकों को खोजा गया । मजदूरों का शनिवार के दिन का कुछ समय और रविवार के दिन अवकाश (छुट्टी) रहता था। फैक्ट्री मालिकों को लगा कि क्यों न कुछ ऐसा किया जाए जिससे इन अवकाश के दिनों में भी कुछ कमाई की जाए। तो इनसे कमाई करने के लिए फुटबॉल लीग शुरू की गई। फैक्ट्री में काम करने वाले व्यक्ति फुटबॉल लीग में भाग लेने लगे । फुटबॉल लीग अत्यंत लोकप्रिय हो गयी। इस विचार के अनेक फायदे भी थे । फैक्ट्री में काम करने वाले लोग खेल से रोमांचित होते थे और एक अलग ही अनुभव प्राप्त करते थे।

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1888 में फुटबॉल लीग स्पोर्ट्स का विचार खासकर पुरुष मजदूरों के लिए शुरू किया गया था जो बाद में सभी वर्गों में लोकप्रिय हुआ।

अधिकतर लीग के समय को इस प्रकार रखा जाता है कि कामगार व्यक्ति को आकर्षित करा जा सके। इनका समय अधिकतर वही होता है, जब व्यक्ति ऑफिस से थक कर काम करके आता है। और वो रात्रि भोजन के साथ TV के सामने बैठे और अपने कीमती 3 या 4 घंटे TV के सामने ही गुजार दे।

आईपीएल 15 से 45 साल के युवाओं और व्यक्तियों को आकर्षित करता है। आईपीएल में अलग अलग तरह की कंपनी अपनी मार्केटिंग भी करती है । 20 से 45 आयु वर्ग का व्यक्ति पैसे भी अधिक खर्च करता है। ऐसे में आईपीएल किसी ब्रांड की मार्केटिंग का भी हिस्सा होता हैं। आईपीएल बड़े बड़े ब्रांड्स के लिए मार्केटिंग का भी एक माध्यम बन चुका हैं। जब एक युवा अपनी पसंदीदा टीम की टीशर्ट या अन्य जगह किसी कंपनी का विज्ञापन (advertisement) देखता हैं तो वो उसकी ओर आकर्षित होता हैं। जिससे कंपनी की अच्छी मार्केटिंग भी हो जाती हैं। इसमे कुछ भी बुरा नहीं हैं क्योंकि सभी को अधिकार है अपना व्यापार करने का। परंतु यहाँ हम बात करेंगे ऐसे व्यक्तियों की जिनका जीवन मे कोई महत्वपूर्ण लक्ष्य हैं, हम अपना महत्वपूर्ण समय आईपीएल देखने मे लगा देते हैं।

बात स्पष्ट है यदि आप किसी एग्जाम की तैयारी में हो या कुछ व्यापार करने के रास्ते पर हो। तो कोई मतलब नहीं बैठता कि आप अपना 60 से 62 दिन आईपीएल में बिताए, क्योकि अगर आप आज मैच देखते हो तो आपका दिमाग अगले दिन भी ज्यादा समय इसी तरह की बातों में व्यस्त रहेगा कि आज किसका मैच है। टीम में कौन कौन खिलाड़ी हैं। किस टीम के कितने पॉइंट हुए आदि आदि। मतलब ये निश्चित है कि आपका फोकस आपके लक्ष्य से हटेगा जरूर। न चाहते हुए भी आपका दिमाग आपसे आईपीएल से संबंधित खबरों को जानने की इच्छा करेगा।

मतलब आपके दिमाग ने अपना फोकस खोना शुरू कर दिया है। अब आपका दिमाग आपके लक्ष्य से ज्यादा आईपीएल पर ही लगा रहेगा। कभी आपका दिमाग पिछले मैच की हाइलाइट्स देखने को कहेगा कभी अखबार में मैच से संबंधित न्यूज़ पढ़ने को कहेगा । यही सब 60 से 62 दिन चलता रहेगा।

अतः यदि आप किसी एग्जाम की तैयारी में हो या अपना कोई व्यापार की रणनीति बना रहे हो तो आईपीएल से दूर ही रहे। अपने फ़ोन से ऐसे सभी एप्लीकेशन हटा दे जो मैच से संबंधित न्यूज़ दे । क्योकि इससे आपको अपने दिमाग पर नियंत्रण करने में आसानी होगी।

अब कुछ कहेंगे कि हम क्रिकेटर बनना चाहते है तो 62 दिन TV के सामने बैठने से अच्छा होगा मैदान में जाकर प्रैक्टिस करें। अपने पसंदीदा खिलाड़ी के work ethics और रणनीति को कॉपी करें न कि रात के 11 बजे तक TV के सामने पड़े रहे। 62 दिन तक TV के सामने पड़े रहने का मतलब है आप केवल सपने में रहना चाहते हो। वहाँ तक जाने के लिए जो मेहनत करनी है उससे कही न कही आप भाग रहे हो।

जो युवा किसी अन्य लक्ष्य से जुड़े है वो अपने जीवन के 62 दिन ऐसे ही खराब न करे। क्योंकि 62 दिन साल के लगभग 17% समय के आस पास होता हैं। जो एक बहुत बड़ा समय हैं।
इससे अच्छा होगा कि 62 दिन कोई ऐसी आदत डाली जाए जो आपके जीवन और कार्य क्षेत्र में लाभदायक हो। कोई किताब पढ़ सकते हो, कुछ अच्छा लिखने का अभ्यास कर सकते हो। या कुछ नया सीख सकते हो। ऑनलाइन ही कोई नया कौशल सीख सकते हो जो आपको आने वाले समय मे काम आए।

IPL : आपके काम और लक्ष्य से महत्वपूर्ण नहीं हैं ।

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