महात्मा गांधी जी के सात पापों की संकल्पना क्या हैं ? Mahatma Gandhi’s List of the 7 Social Sins in Hindi | Mahatma Gandhi 7 Paap konse bataye
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महात्मा गांधी जी ने 7 पापों की संकल्पना दी थी जिनमें उनके अनुसार 7 पाप निम्न है –
महात्मा गांधी जी साधन और साध्य की पवित्रता पर बल देते थे अर्थात उनके अनुसार साध्य या लक्ष्य तो पवित्र होना ही चाहिए उसके साथ उसको प्राप्त करने के साधन भी पवित्र होने चाहिए।
महात्मा गांधी जी का साधन साध्य पवित्रता का यह सिद्धांत जीवन में मानव जीवन में अहम भूमिका अदा करता है। जिसका कुछ सम्बन्ध गाँधी जी के सात पापों की संकल्पना में भी देख सकते हैं।
1. काम के बिना धन ( परिश्रम रहित धनोपार्जन )
2. अंतरात्मा रहित सुख ( विवेक रहित सुख )
3. मानवता रहित विज्ञान
4. चरित्र रहित ज्ञान
5. सिद्धांत रहित राजनीति
6. नैतिकता रहित व्यापार
7. त्याग रहित पूजा या धर्म
1. काम के बिना धन ( परिश्रम रहित धनोपार्जन )
अगर बात करें प्रथम पाप यानी कि परिश्रम रहित धन उपार्जन की तो यदि कोई व्यक्ति बिना परिश्रम किए धन उपार्जन करता है। तो इस स्थिति में साधन अपवित्र हो जाएगा यह साधन की पवित्रता नहीं रहेगी।
जिसको हम वर्तमान स्थिति में देख सकते हैं की यदि धन प्राप्त करने का साधन अपवित्र होगा तो भ्रष्टाचार ,लोभ, लालच जैसे अवगुण समाज में फ़ैल जाएंगे।
2. अंतरात्मा रहित सुख ( विवेक रहित सुख )
विवेक रहित सुख को हम वर्तमान स्थिति के अनुसार समझ सकते हैं। अधिकतर लोग विवेक रहित सुख की ओर भाग रहे हैं अर्थात उनके लिए उपभोक्तावादी संस्कृति के अनुसार भौतिक प्राप्ति ही सुख बन गया है। जिससे वह दैहिक सुख की ओर या कहे कि निम्न स्तरीय सुखों की ओर भाग रहे हैं।
3. मानवता रहित विज्ञान
विज्ञान ने जहां एक मानव जीवन को आसान बनाया है। वही अनेक प्रकार से मानव कल्याण में सहायता की हैं। जैसे चिकित्सा विज्ञान से अनेक रोगो से रक्षा , परिवहन के साधनों का विकास , कृषि में उपयोग होने वाले अनेक तरह के विज्ञान से खाद्य सुरक्षा आदि।
वहीं दूसरी ओर विज्ञान का एक विध्वंस चेहरा भी दिखाई देता है। इंसान ने विज्ञान की सहायता से अनेक खतरनाक हथियारों का निर्माण किया है; जो चंद मिनटों में ही पूरी पृथ्वी का विध्वंस कर सकते हैं इसलिए मानवता रहित विज्ञान को महात्मा गांधी जी ने एक पाप माना है।
4 . चरित्र रहित ज्ञान –
इस बिंदु को यदि वर्तमान स्थिति में समझे तो आप देख सकते हैं कि चरित्रहीन ज्ञान मानवता की बहुत बड़ी हानि कर सकता है। हम देख सकते हैं कि एक ऐसा व्यक्ति जो उच्च ज्ञान से संपन्न है यदि वह आतंकवादी गतिविधियों में संलग्न है; तो वह मानवता की बहुत हानि कर सकता हैं। जैसे ओसामा बिन लादेन अच्छा पढ़ा लिखा और तकनीकी ज्ञान रखता था परंतु वह ज्ञान चरित्र रहित था जो मानवता का विरोधी सिद्ध हुआ।
5 . सिद्धान्त रहित राजनीति
राजनीति समाज और देश की दिशा व दशा निर्धारित करती है परंतु यदि राजनीति सिद्धांत रहित हो तो वह मानव कल्याण नहीं बल्कि अहित कर सकती हैं क्योंकि सिद्धांत रहित राजनीति अवसरवाद को जन्म देती है।
सिद्धांत रहित राजनीति का एकमात्र लक्ष्य होता है कि किसी भी प्रकार से सत्ता प्राप्त की जाए। जिसमें साधन भी अपवित्र हो सकते हैं।
6 . नैतिकता रहित व्यापार
नैतिकता रहित व्यापार को हम वर्तमान में देख सकते हैं कि मुनाफे के चक्कर में लोग मिलावट करते हैं। जिससे मनुष्य के स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है और विश्वास को कम करता है। जो अर्थव्यवस्था को भी नकारात्मक रूप में प्रभावित करने का काम करता है।
7 . त्याग राहत धर्म / पूजा
प्राचीन काल में त्याग को सर्वोपरि रखा जाता था चाहे वह धर्म से संबंधित हो या ज्ञान प्राप्ति से संबंधित हो। इसी विषय में महात्मा गांधी ने कहा था कि त्याग रहित पूजा या धर्म हानिकारक है। क्योंकि ऐसा करने से धर्म मे अंधविश्वास और आडंबरों का ही वास होता है।
Mahatma Gandhi 7 Paap konse bataye
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