National Policy for the Empowerment of Women 2001 UPSC in Hindi
परिचय ( National Policy for the Empowerment of Women 2001 )
जेंडर समानता का सिद्धांत भारतीय संविधान की प्रस्तावना, मौलिक अधिकारों, मौलिक कर्तव्यों और नीति निर्देशक सिद्धांतों में प्रतिपादित है। संविधान महिलाओं को न केवल समानता का दर्जा प्रदान करता है अपितु राज्य को महिलाओं के पक्ष में सकारात्मक भेदभाव के उपाय करने की शक्ति भी प्रदान करता है।
लोकतांत्रिक शासन व्यवस्था के ढांचे के अंतर्गत हमारे कानूनों, विकास संबंधी नीतियों, योजनाओं और कार्यक्रमों में विभिन्न क्षेत्रों में महिलाओं की उन्नति को उद्देश्य बनाया गया है।
पांचवी पंचवर्षीय योजना (1974-78) से महिलाओं से जुड़े मुद्दों के प्रति कल्याण की बजाय विकास का दृष्ठिकोण अपनाया जा रहा है। हाल के वर्षों में, महिलाओं की स्थिति को अभिनिश्चित करने में महिला सशक्तीकरण को प्रमुख मुद्दे के रूप में माना गया है।
महिलाओं के अधिकारों एवं कानूनी हकों की रक्षा के लिए वर्ष 1990 में संसद के एक अधिनियम द्वारा राष्ट्रीय महिला आयोग की स्थापना की गई।
भारतीय संविधान में 73वें और 74वें संशेाधनों (1993) के माध्यम से महिलाओं के लिए पंचायतों और नगरपालिकाओं के स्थानीय निकायों में सीटों में आरक्षण का प्रावधान किया गया है जो स्थानीय स्तरों पर निर्णय लेने की प्रक्रिया में उनकी भागीदारी के लिए एक मजबूत आधार प्रदान करता है।
लक्ष्य और उद्देश्य ( National Policy for the Empowerment of Women 2001 )
इस नीति का लक्ष्य महिलाओं की उन्नति, विकास और सशक्तीकरण करना है।
विशेष रूप से, इस नीति के उद्देश्यों में निम्नलिखित शामिल हैं:
- (i) सकारात्मक आर्थिक एवं सामाजिक नीतियों के माध्यम से महिलाओं के पूर्ण विकास के लिए वातावरण बनाना ताकि वे अपनी पूरी क्षमता को साकार करने में समर्थ हो सकें |
- (ii) राजनीतिक, आर्थिक, सामजिक, सामाजिक, सांस्कृतिक और सिविल – सभी क्षेत्रों में पुरूषों के साथ साम्यता के आधार पर महिलाओं द्वारा सभी मानवाधिकारों और मौलिक स्वतंत्रता की विधित: और वस्तुत: प्राप्ति |
- (iii) राष्ट्र के सामाजिक, राजनीतिक और आर्थिक जीवन में भागीदारी करने और निर्णय लेने में महिलाओं की समान पहुंच |
- (iv) स्वास्थ्य देखभाल, सभी स्तरों पर गुणवत्तापूर्ण शिक्षा, करियर और व्यावसायिक मार्गदर्शन, रोजगार, बराबर पारिश्रमिक, व्यावसायिक स्वास्थ्य तथा सुरक्षा, सामाजिक सुरक्षा और सरकारी कार्यालय आदि में महिलाओं की समान पहुंच |
- (v) महलाओं के प्रति सभी प्रकार के भेदभाव की समाप्ति के लिए विधिक प्रणालियों का सुदृढ़ीकरण |
- (vi) महिलाओं और पुरूषों दोनों की सक्रिय भादीदारी और संलिप्तता के माध्यम से सामाजिक सेाच ओर सामुदायिक प्रथाओं में परिवर्तन लाना |
- (vii) विकास की प्रक्रिया में जेंडर परिप्रेक्ष्य को शामिल करना |
- (viii) महिलाओं और बालिका के प्रति भेदभाव और सभी प्रकार की हिंसा को समाप्त करना, और
- (ix) सभ्य समाज, विशेष रूप से महिला संगठनों के साथ साझेदारी का निर्माण करना और उसे सुदृढ़ बनाना।
Source – महिला एवं बाल विकास मंत्रालय वेबसाइट
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