प्रधानमंत्री गति शक्ति योजना | PM-GatiShakti Yojna in Hindi | Masterplan of PM-GatiShakti Yojna in Hindi
PM GatiShakti Yojna
हम बचपन से हर गली, चौराहे, सड़क, गांव, शहर में एक सूचना पट्टी या बोर्ड देखते आये है कि ” कार्य प्रगति पर है (Work in Progress) या कष्ट हेतु खेद “ है। हमने यह भी देखा है कि एक सड़क बनने के बाद संबंधित विभाग को याद आता है कि यहाँ पर OFC (ऑप्टिकल फाइबर) लगाना बाकी है या कुछ दिनों बाद गैस पाइपलाइन बिछाने के लिये फिर से सड़क या रास्तो की खुदाई शुरू हो जाती है।
कहीं सड़क और रेल पहुँच जाती है लेकिन इन दोनों को जोड़ने के लिए आवश्यक लास्ट माइल कनेक्टिविटी नहीं पहुँच पाती। इन सभी के पीछे सबसे बड़ा कारण है कि अलग-अलग विभाग अलग-अलग काम करते रहते है। और इन सब का परिणाम प्रोजेक्ट के पूरा होने में देरी, लागत में वृद्धि और आम जनता को परेशानी। PM GatiShakti Yojna UPSC in Hindi
ऐसा भी देखा जाता है कि एक प्रोजेक्ट तो पूरा हो गया लेकिन दूसरे प्रोजेक्ट के साथ समन्वय (कोआर्डिनेशन) के आभाव से जनसामान्य को उसका पूरा लाभ नहीं मिल पाता है।
उदहारण के तौर पर कोई फ़र्टिलाइज़र प्लांट स्थापित किया गया लेकिन उसमे गैस पाइपलाइन की व्यवस्था नहीं की गयी। गैस पाइपलाइन की अनुपलब्धता के कारण वो प्लांट पूरी तरह से उपयोग में नहीं लाया जा सकता, जिससे करोड़ो की लागत से बने उस प्लांट का पूरा लाभ जनसामान्य तक नहीं पहुंच पाया। GatiShakti Yojna
इसी प्रकार सड़क निर्माण का कार्य कई एजेंसी करती है। जैसे प्रमुख राजमार्गों का निर्माण NHAI करती है। इसके बाद आगे की सड़क का निर्माण राज्य PWD (लोक निर्माण विभाग) करती है। दूर-दराज के गांव की सड़के प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के अंतर्गत आती है, और सीमावर्ती क्षेत्रों में सड़के BRO (बॉर्डर रोड आर्गेनाइजेशन) बनाती है।
किसी भी एक विभाग के मध्य समन्वय के आभाव से लोगों तक सड़कों का पूरा लाभ नहीं पहुँच पाता।सरकार एवं जानकारों के मुताबिक़ इंटर डिपार्टमेंटल कोआर्डिनेशन के अभाव से प्रोजेक्ट पूरा होने में बहुत विलंब होता है। सरकार के अलग-अलग विभागों ने अपने सिस्टम को फास्ट ट्रैक करना शुरू कर दिया है। पिछले 7 सालों में तमाम ऐसे प्रोजेक्ट बने हैं, जिसमें सारे विभागों ने समन्वय के साथ काम किया, जिसके बहुत अच्छे परिणाम सामने आए हैं।
जैसे कि रेल मंत्रालय ने कॉमन ड्रॉइंग अप्रूवल सिस्टम का गठन किया, और उसे ऑनलाइन कर दिया। जिससे सारे अप्रूवल्स एक ही पोर्टल पर मिल जाए। भारतीय रेल की इस गति से 6 महीने में मिलने वाले अप्रूवल अब 2 से 3 महीने में ही मिल जाते हैं।
इसी प्रकार पर्यावरणीय मंजूरी के लिए भी तीन अलग-अलग ऑनलाइन सुविधा आरंभ कर दी गई है। जिसके अप्रूवल में पहले करीब 2 साल का समय लगता था, अब यह अवधि घटकर महज कुछ महीनों की हो गई है। Masterplan of PM-GatiShakti Yojna
सड़क परिवहन मंत्रालय ने नए नेशनल हाईवे और एक्सप्रेस वे के राइट ऑफ वे के एक्विजिशन के साथ यूटिलिटी कॉरिडोर का एक्विजिशन करना शुरू कर दिया है। जिससे सड़क के साथ-साथ ऑप्टिकल फाइबर केबल, टेलीफोन, पावर केबल्स को भी साथ में बिछाया जा सके। और उसके लिए अलग से राइट ऑफ वे एक्विजिशन करने की जरूरत ना पड़े।
इन सारे प्रयासों से संयंत्र लगने में बहुत तेजी आ रही है और इनका लाभ जनसामान्य तक जल्द से जल्द पहुंच रहा है।
इसी प्रकार दूरसंचार विभाग ने राज्य सरकारों की मदद से राइट ऑफ वे के एक्विजिशन की प्रक्रिया को सरल बनाया है। जिससे टेलीफोन और ओ.एफ.सी. केबल डालने की प्रक्रिया तेज हो चुकी है। और अब टेलीफोन और इंटरनेट कनेक्टिविटी गांव-गांव तक पहुंचाई जा रही है।
वर्तमान समय है, इन प्रयासों को जमीनी स्तर पर लागू करने का। जब देश आजादी का अमृत महोत्सव मना रहा है, तब समय है इन प्रयासों को गति देने का, शक्ति देने का।
विकास में गति की नई इंटीग्रेटेड और हॉलिस्टिक अप्रोच की शक्ति अर्थात ” प्रधानमंत्री गति शक्ति – नेशनल मास्टर प्लान फॉर मल्टी मॉडल कनेक्टिविटी। ”
इसके अंतर्गत इसरो द्वारा विकसित इंटीग्रेटेड पोर्टल पर 16 मंत्रालय को जोड़ने वाले 200 से ज्यादा लेयर्स काम कर रहे हैं। जिससे सभी विभागों को एक दूसरे के काम की जानकारी मिल सकेगी। प्रधानमंत्री गति शक्ति योजना (PM GatiShakti Yojna) द्वारा रेल, रोड, पोर्ट और सिविल एविएशन सभी एक बड़े प्लान के तहत एक साथ आ जाएंगे। अब पोर्टल के माध्यम से किसी भी विकास एवं निर्माण कार्य में सभी स्टेक होल्डर्स के बीच एक संबंध स्थापित किया जा सकेगा। जिसके अंतर्गत एक व्यवस्था बनाई जाएगी जिसमे सभी ग्रुप एक साथ बैठकर बेहतर प्लानिंग कर सकेंगे। इससे लैंड एक्विजिशन के साथ काम भी एक साथ होगा।
इस वजह से परियोजनाओं की लागत में भी कमी आएगी। केंद्र सरकार से लेकर राज्य सरकार के विभागों तक, लोकल अर्बन बॉडी से लेकर निजी कंपनियों तक सभी में ऐसा तालमेल बनाने का प्रयास होगा जो आज तक कभी नहीं देखा गया।
नेशनल मास्टर प्लान से ना केवल विभाग बल्कि उनकी योजनाएं भी एक छत के नीचे आएंगी। जिससे उनके कार्य करने की गति बढ़ेगी। इसके कार्य करने की प्रक्रिया को एक उदाहरण द्वारा समझा जा सकता है।
जब किसी बंदरगाह की योजना बनती है, तो वह आने वाले अगले 40 से 50 वर्षों को ध्यान में रखकर बनाई जाती है तो इतनी विशाल स्तर की परियोजना अब सिर्फ शिपिंग मंत्रालय तक ही सीमित नहीं होगी बल्कि सड़क और रेल नेटवर्क को भी उच्च क्षमता के अनुरूप बनाया जाएगा। नेशनल मास्टर प्लान से यह भी पता लगाया जा सकता है कि कहां पर सड़क बनी है, और कहां पर नहीं सर को नई सड़कों के निर्माण की आवश्यकता है।
नेशनल मास्टर प्लान में हर मंत्रालय का डाटा निरंतर अपडेट होता रहेगा। यही नहीं नेशनल मास्टर प्लान द्वारा किसी भी सामान को गंतव्य स्थान तक पहुंचाने के लिए सही मार्ग और किराए का चयन किया जा सकता है। एम्प्टी फ्लो डायरेक्शन में ग्राहकों को द्वारा माल ढुलाई में विशेष छूट दी जा सकेगी। मास्टर प्लान से संसाधनों का सर्वोत्तम उपयोग होगा, तभी तो पश्चिम भारत के प्लान से आई खाद उत्तरी क्षेत्रों के खेतों को लहलाएगी और किसानों में खुशहाली लाएगी।
साथ ही नेशनल मास्टर प्लान निवेशकों को बताएगा कि जहां पर वे अपना निवेश करने वाले हैं, वहां सड़क और रेल की उपलब्धता कैसी है। इंडस्ट्रियल एरिया और उसके आसपास का वातावरण कैसा है। इससे व्यवसाय और रोजगार दोनों के अवसर अधिक मात्रा में बढ़ेंगे।
अब देश में गति की परिभाषा केवल यातायात ही नहीं, यहाँ शामिल है गति निर्णय की, गति सरकारी कार्यों की। इस प्लान को गति मिलते ही भारत में ऐसा इंफ्रास्ट्रक्चर आकार लेगा जिससे भारत एक नयी दिशा की ओर कदम बढ़ाएगा।
इसकी वजह से रोड, रेल,बिजली, ऑप्टिकल फाइबर, गैस पाइपलाइन जैसी सुविधाओं से देश का कोई कोना वंचित नहीं रहेगा। इससे देश की प्रगति में बहुत तेजी आएगी।
इंटीग्रेटेड मोबिलिटी द्वारा लोकल उत्पादों की बड़े बाजारों तक पहुंच बनेगी आसान। हमारे उद्योग भी प्रतियोगिता के लिए बेहद ही तैयार रहेंगे और निर्यात सुगम होगा। और देश की अर्थव्यवस्था बहुत अधिक तीव्र गति से आगे बढ़ेगी। कह सकते हैं कि वर्क इन प्रोग्रेस ( Work in Progress) वर्क इन पेस (Work in Pace) के नाम से जाना जाएगा।
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