कविता :- माँ पर कविता | Poem on Mother in hindi
माता पिता को समर्पित कविता
तेरे बचपन के किस्से सभी को सुनाए हैं।
तू ऐसा था तू वैसा था , तूने कितने उधम मचाए हैं।।तेरी सारी गलतियों पर ममता के पर्दे गिराए हैं।
हा तूने बचपन में कितने उधम मचाए हैं।।तुझे बुरी बलाओ से भी खूब बचाया हैं ।
अपने आँचल को रक्षा की ढाल बनाया हैं।
तुझे नज़र न लगे किसी की काला टीका भी लगाया हैं।।तेरे ही खातिर तो सबकुछ कमाया हैं।
ओर तूने उनके लिए कितना समय निकाला हैं।।बचपन से लेकर अब तक तुझे पाला हैं।
हा तूने उनके लिए कितना समय निकाला हैं।।माता की ममता को बयां हम कर नहीं सकते ।
पिता के प्यार की कल्पना कर नहीं सकते।।करदो समर्पित जीवन उनकी सेवा में ,
जिनको नवाज़ा हैं धरती पर खुद ही खुदा ने।।
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