WILL POWER IN HINDI -RESEARCHED BASED PRACTICAL TIPS / WILL POWER kaise badhaye
WILL POWER kaise badhaye
आज के प्रतिस्पर्धा के दौर में जहाँ एक तरफ़ रोजगार के अवसर कम हैं , वही भारत में युवाओं की संख्या भी अधिक हैं। ऐसे में युवाओ पर अत्यधिक दबाव है। इस दबाव को संभालते हुए अपने लक्ष्य को प्राप्त करना अत्यंत कठिन काम होता हैं। ऐसे में लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए आत्म अनुशासन, दृढ़ इच्छा शक्ति, आत्मविश्वास अनेक ऐसे कारक हैं जिन्हें बनाएं रखना अत्यंत जरूरी हैं।
इस लेख में इच्छा शक्ति (Will Power) के विषय में चर्चा की गई हैं। यहाँ इच्छाशक्ति (WILL POWER) से संबंधित सवालों के जवाब देने का प्रयास किया गया हैं जैसे कि इच्छा शक्ति क्या होती है ? (What is Will Power in hindi / Will Power kya hai) इच्छा शक्ति कैसे बढ़ाएं ? (How to improve will power / will power kaise badhaye), इच्छा शक्ति कैसे काम करती है ? (Will power kaise kaam karti hai) आदि अनेक सवालों के जवाब मिलेंगे।
इच्छाशक्ति क्या है ? ( What is Will Power in hindi / Will Power kya hai )
इच्छा शक्ति हमारी वह काबिलियत या शक्ति है जो हमारा ध्यान अल्पकालिक आनंद से हटाकर या नजरअंदाज करके जीवन के दीर्घकालिक और बड़े लक्ष्य पर केंद्रित कराती हैं।
इच्छा शक्ति हमें इस प्रकार से भी सहायता करती है कि हम बेकार के विचारों , आवेगो, इच्छाओं को नियंत्रित कर सके। इच्छाशक्ति के बल पर ही हम अपने व्यवहार को नियंत्रित कर सकते हैं और उसे सही दिशा प्रदान कर सकते हैं।
इच्छाशक्ति ( WILL POWER kaise badhaye ) कैसे काम करती हैं-
यह जानने के लिए कि हमारी इच्छा शक्ति किस प्रकार कार्य करती है ? इससे पहले हमें यह समझना होगा कि हमारा मस्तिष्क हमारे निर्णय निर्माण में कैसे कार्य करता है ? जिससे हम इच्छाशक्ति की कार्यविधि को अच्छे से समझ सकेंगे । इसके लिए हम मस्तिष्क के एक भाग PRE FRONTAL CORTEX (प्रीफ्रंटल कॉर्टेक्स) के बारे में जानेंगे।
PRE FRONTAL CORTEX (प्रीफ्रंटल कॉर्टेक्स) –
मस्तिष्क का यह हिस्सा आंखों और माथे के बिल्कुल पीछे होता है PRE FRONTAL CORTEX प्रीफ्रंटल कॉर्टेक्स अमूर्त सोचने (ABSTRACT THINKING) एस्पेक्ट रेशनल थिंकिंग और भाषाई कौशल के लिए तथा कॉन्प्लेक्स डिसीजन मेकिंग के लिए जिम्मेदार होता हैं।
PRE FRONTAL CORTEX प्रीफ्रंटल कॉर्टेक्स ही वह हिस्सा है जो हमसे उबाऊ, कठिन, डर लगने वाले, सबसे जरूरी काम कराने में हमारी सहायता करता हैं। PRE FRONTAL CORTEX प्रीफ्रंटल कॉर्टेक्स के द्वारा ही हम दिन प्रतिदिन अपने अनेक निर्णय ले पाते हैं। यह उन सभी निर्णयों के लिए जिम्मेदार होता है। जिसमे संयम जैसी आवश्यकता होती हैं। जैसे कि हम यह निर्णय लेते हैं कि हमें मिठाई खानी चाहिए या उसकी जगह फल खाने चाहिए।
मनोवैज्ञानिक Kelly Mc Gonigal ने अपनी पुस्तक The Will Power Instinct मे लिखा है की इच्छाशक्ति ( WILL POWER) के लिए PRE FRONTAL CORTEX प्रीफ्रंटल कॉर्टेक्स तीन प्रकार से कार्य करता है –
BOOK LINK : The Will Power Instinct
१. Ventromedial Prefrontal cortex –
यह हिस्सा अनेक विकल्पों में से किसी एक के चयन करने में सहायक होता है। यह आवश्यक नहीं है कि वह चयन सही हो। इस हिस्से के द्वारा किया गया चयन गलत भी हो सकता है।
२. Orbiting Prefrontal cortex –
यह भाग हमारी इस प्रकार मदद करता है मान लो इससे पहले भाग में हमने जो भी विकल्प चुना है। अगर वह विकल्प सही नहीं है। तो यह हमें उस कार्य को करने से रोकता है।
३. DORSOLATERAL Prefrontal cortex –
प्रत्येक मनुष्य के जीवन में लक्ष्य भी कई प्रकार के हो सकते हैं। जैसे कि अल्पकालीन लक्ष्य और दीर्घकालीन लक्ष्य फ्रंटल कोटैक्स का यह हिस्सा जब भी हम कोई निर्णय लेते हैं तो निर्णय लेते समय दीर्घकालीन लक्ष्यों को याद दिलाता है।
हमारी इच्छा शक्ति PRE FRONTAL CORTEX प्रीफ्रंटल कॉर्टेक्स तीन हिस्सों पर ही निर्भर करती है। हमारे यह तीन हिस्से जितने अधिक तेज होंगे या एक्टिव होंगे हमारी विल पावर भी उतनी ही अधिक अच्छी होती हैं।
इच्छाशक्ति कैसे बढ़ा सकते है / WILL POWER kaise badhaye / HOW TO IMPROVE WILL POWER
अब सवाल यह उठता है कि क्या PRE FRONTAL CORTEX प्रीफ्रंटल कॉर्टेक्स को मजबूत किया जा सकता है ?
क्या PRE FRONTAL CORTEX प्रीफ्रंटल कॉर्टेक्स पूर्णतः जन्मजात होता है ?
इस सवाल के जवाब में भी अनेक रिसर्च हुए हैं। जिनमें यह बात सामने निकल कर आई है कि 25 साल तक हमारा मस्तिष्क सबसे अधिक ज्यादा विकसित होता हैं। परंतु ऐसा नहीं है कि अब हम 25 साल के बाद क्या PRE FRONTAL CORTEX प्रीफ्रंटल कॉर्टेक्स को मजबूत नहीं कर सकते हैं।
हां क्या PRE FRONTAL CORTEX प्रीफ्रंटल कॉर्टेक्स को मजबूत कर सकते हैं। उसके लिए हम अनेक प्रकार की रिसर्च आधारित तरीके यहां पर बताएंगे।
अतः हम निम्न तरीको से इच्छाशक्ति को बढ़ा सकते है ( WILL POWER kaise badhaye ) –
१. ध्यान ( MEDITATION ) :
STANFORD की एक स्टडी के अनुसार 3 घंटे के ध्यान ( MEDITATION ) से लोगों के आत्मसंयम (self-control) में अंतर पाया गया था। इससे साफ तौर पर कहे तो हम ध्यान से भी अपने मस्तिष्क को मजबूत कर सकते हैं । नेशनल अकैडमी साइंस( NATIONAL ACADEMY SCIENCE ) में पब्लिश एक स्टडी के अनुसार 11 घंटे के मेडिटेशन से अपनी PRE FRONTAL CORTEX प्रीफ्रंटल कॉर्टेक्स की वायरिंग और बनावट में अंतर देखे जा सकते हैं। इससे संबंधित स्टडी गूगल पर जाकर भी पढ़ सकते हैं।
ध्यान से PRE FRONTAL CORTEX प्रीफ्रंटल कॉर्टेक्स में रक्त का प्रवाह बढ़ जाता है। जिससे हर दिन 10 से 15 मिनट ध्यान करने से इन भागों के न्यूरोल कनेक्शन मजबूत होते हैं । ध्यान करने के लिए हम रोज 10 से 15 मिनट शांत अवस्था में बैठकर अपनी सांसो पर ध्यान देकर विचारों शुन्य अवस्था में जाने का प्रयास कर सकते हैं । अगर मस्तिष्क में विचार शुन्य ना हो तब भी हम 10 से 15 मिनट बैठ कर सांसो पर ध्यान देने का अभ्यास कर सकते हैं।
मैडिटेशन / ध्यान क्या हैं , कैसे करें , इसके फायदे | MEDITATION KAISE KARE , BENEFITS IN HINDI
2 . प्रतिदिन के और हफ्ते के प्लान बनाये :
सफल व्यक्ति होते हैं उनमें एक सामान्य आदत यह होती है कि वह सुबह उठकर प्रतिदिन अपने लक्ष्य तय करते हैं । तथा उन्हें यह भी स्पष्ट होता है कि उन्हें इस हफ़्ते किस तरह के कार्य करने हैं । कार्य विधि से भी हमारी इच्छा शक्ति प्रबल होती है। अतः सुबह उठकर अनावश्यक कार्यों में समय व्यतीत किये बिना हमें प्रतिदिन के लक्ष्य बनाने चाहिए।
हमें अपने प्लान इस प्रकार बनाने चाहिए कि जो दिन के सबसे आवश्यक और सबसे कठिन कार्य हैं। उन्हें सबसे पहले कर सकें क्योंकि नहीं तो हमारा मस्तिष्क कठिन और मुश्किल कार्यों को टालने का कार्य करता है। जिससे भी हमारी इच्छा शक्ति कमजोर होती है। अतः जो सबसे आवश्यक या जरूरी और कठिन कार्य उन्हें दिन में सबसे पहले खत्म करना चाहिए।
3. सफ़ल व्यक्ति अपनी इच्छा शक्ति का बहुत कम उपयोग करते हैं :
बहुत से व्यक्ति यह पढ़ कर आश्चर्यचकित होंगे कि सफल व्यक्ति अपनी इच्छाशक्ति का बहुत कम उपयोग करते हैं। इसके लिए हम कनाडा के Mc GILL UNVERSITY में हुई एक स्टडी के बारे में बताएंगे। जिसमें 205 स्टूडेंट्स पर 6 महीने के लिए एक स्टडी की गई। इसमें देखा गया कि जो विद्यार्थी ज्यादा self-control का या आत्म संयम का प्रयोग कर रहे थे । वह अंत तक थके और परेशान भी नज़र आते थे तथा अंत में उनके नंबर और परिणाम भी सामान्य व्यक्तियों की तरह ही थे । वही जिन विद्यार्थियों ने अपनी इच्छा शक्ति का कम इस्तेमाल किया था। उनके परिणाम भी बेहतर थे।
हमें यह समझना होगा कि कम इच्छाशक्ति के प्रयोग करने से तात्पर्य क्या है ?
हम एक उदाहरण से समझ सकते हैं। मान लो कि किसी को शुगर (डायबिटीज) है। और डॉक्टर ने मीठा खाने से मना किया है। परन्तु पहले से ही मीठा खाने की बहुत ज्यादा आदत है या मीठे के बहुत शौकीन हैं। तब यह आदत छोड़ना इतना आसान नहीं होगा। इसके लिए आपको समझदारी से कार्य करना होगा या कहे कि स्मार्ट वर्क करना होगा।
इसमें आप अपनी क्षमता का प्रयोग इस प्रकार कर सकते हैं कि या तो कभी मीठे के पास जाएं ही नहीं और यह भी ध्यान रखें कि कोई मीठे से संबंधित वस्तु आपके घर में ना लाई जाए। इससे यह होगा कि आपको खुद को मीठा खाने से रोकने के लिए अपनी इच्छा शक्ति का प्रयोग नहीं करना पड़ेगा । परंतु यदि आपके आसपास मीठा मौजूद है और आप बाजार से मिठाई लाकर अपनी फ्रिज में रखते हैं । तो आपको मिठाई खाने से खुद को रोकने के लिए अपनी इच्छा शक्ति का बहुत ज्यादा प्रयोग करना पड़ेगा। जिससे आप थके हुए हैं महसूस करेंगे।
दूसरे उदहारण से समझे तो अगर हम वजन कम करना चाहते हैं। हमने ये लक्ष्य बनाया हैं कि आज से तला हुआ या तेल का सामान कम खाना हैं। परन्तु घर में आलू के पराठे बनते हैं। और आप को उसका अत्यंत ज्यादा पसंद हैं तो तब खुद को रोकने के लिए इच्छा शक्ति का प्रयोग करना पड़ेगा .
इससे अच्छा ये होगा कि आलू के पराठे बने ही नहीं ।
४. Reasoning Power से ऐसे हालात उत्पन्न न होने दे जिससे इच्छा शक्ति का ज्यादा प्रयोग करना पड़े :
अतः जैसा हमने ऊपर देखा कि हम स्मार्ट वर्क करके भी अपनी इच्छाशक्ति का ज्यादा प्रयोग करने से बच सकते हैं और हमें थकान भी महसूस नहीं होगी क्योंकि हम पहले ही अपनी प्लान इस प्रकार बनाते हैं। जिसमें रिजनिंग का प्रयोग करके ऐसी स्थिति से खुद को बचा लेते हैं। जिसमें इच्छाशक्ति का ज्यादा प्रयोग करना पड़ता हैं।
5 . कार्य करना आदत बनाएं मजबूरी नहीं :
देखा गया है कि जो व्यक्ति अपने कार्य में सफल होते हैं । उनके बारे में कहा जाता है कि उन व्यक्तियों की इच्छा शक्ति बहुत प्रबल होती है। उन सभी व्यक्ति में एक सामान्य बात यह देखी गई है कि व्यक्ति को हेल्दी खाना, व्यायाम करना और पढ़ना बहुत पसंद होता है ।
या कहे कि वह अपना कार्य मौज मस्ती में करते हैं। अतः हमें भी यह ध्यान रखना होगा कि अगर हम भी जीवन में कुछ करना चाहते हैं। अपनी शक्ति को मजबूत करना चाहते हैं तो जो हम कार्य करते हैं वह मजबूरी के तौर पर ना करके एक मौज मस्ती में वह कार्य करना चाहिए। या कहे कि हमें उस कार्य की आदत होनी चाहिए ।
मान लो कोई व्यक्ति प्रतिदिन दौड़ने या व्यायाम करने का प्लान बनाता है और वह व्यक्ति उसको अपनी दिनचर्या में सम्मिलित कर लेता है कि यदि मैं रोज दौडूंगा तो मैं स्वस्थ रहूंगा और प्रतिदिन शक्ति का एहसास करूंगा और अच्छा दिखूंगा । तो वह यह कार्य बिना किसी रूकावट के दिन प्रतिदिन पूरी इच्छाशक्ति और मनोबल से करता रहेगा ।
परंतु यदि कोई व्यक्ति प्रतिदिन यह कार्य जबरदस्ती करना चाहते हैं। तो वह ज्यादा दिन तक इस कार्य को नहीं करना कर पाया क्योंकि उसके पास इसके लिए एक पर्याप्त कारण नहीं है ।
6. कार्य करने का पर्याप्त और उत्तम कारण ढूँढे :
जो भी कार्य करते हैं उसको लंबे समय तक एक ऊर्जा के साथ करने के लिए यह आवश्यक है कि आप यह जाने कि आपको वह काम क्यों करना हैं । उसके लिए आपके पास एक पर्याप्त कारण और एक उत्तम कारण होना चाहिए । तभी आप उस कार्य को प्रबल इच्छा शक्ति आत्मानुशासन एक उच्च मनोबल के साथ कर पाएंगे।
स्वतंत्रता सेनानी चंद्रशेखर आजाद की कहानी –
अंग्रेज कभी मुझे जिंदा नही पकड़ सकेंगे ।
ये कथन थे भारत के महान स्वतंत्रता सेनानी क्रांतिकारी चंद्र शेखर आजाद के। आप सब चंद्रशेखर आजद से तो परिचय होंगे ही वैसे तो ये प्रश्न करना ही आने आप में एक अनुचित व्यवहार हैं। चंद्रशेखर आजाद और भगत सिंह ऐसे स्वतंत्रता सेनानी हैं जिन्हें देश का अधिकतर युवा अपना आदर्श मानता हैं।
आज जब देश में युवा जनसंख्या सबसे अधिक हैं तो एक ओर तो ये देश के लिए सौभग्य की बात हैं वही दूसरी ओर युवाओं में बढ़ती नशे आदि की लत भी देश के लिए एक चिंता का विषय बनता जा रहा हैं।
इतिहास की ओर देखे तो चंद्रशेखर आजाद ने जो वो कथन कहा ही नही था बल्कि अंतिम सांस तक उसे जिया भी । कभी अंग्रेज उन्हें जिंदा नहीं पकड़ पाए बहुत बार तो अंग्रेज उनके बहुत करीब थे पर अपने साहस अपनी दृढ़ इच्छाशक्ति अपनी कुशाग्रता से वो उन्होंने हर बार अंग्रेजो को लोहे के चने चबाने को मजबूर कर दिया।
एक ओर वो युवा थे और दूसरे ओर आज के युवा है को चंद मिनटों में नशे की के प्रभाव में आकर कुछ ही सेकंड में इसका इल्ज़ाम दुसरो पर डाल देते है कि मुझे तो उसने कराया ।
आज विचार करने की यही बात है कि क्या वास्तव में ऐसे युवा चंद्रशेखर आजाद को अपना आदर्श मानने का हक रखते हैं।
क्यों आज युवाओ में इतनी दृढ़ इच्छा शक्ति नही है कि वो भी खुले शब्दो मे कह सके कि किसी नशे या अन्य अनैतिक व्यवहार में इतनी हिम्मत नही कि मेरे पास भी आ सकें। जो युवा ऐसा कर सकता हैं , सही मायने में वही चंद्रशेखर आजाद को अपना आदर्श कहने की प्रासंगिकता रखता हैं।
इस विषय पर आज गंभीरता से विचार करने की आवश्यकता है कि चंद्रशेखर आजाद , भगत सिंह जैसे युवा भी इसी देश के युवा थे । आज भी उस मिट्ठी का पवित्रता के साथ सम्मान किया जाता हैं जिस मिट्टी से आजाद ओर भगत सिंह जैसे युवा अपना तिलक करते थे।
अगर सब चीज़ समान है तो अंतर केवल एक दिखाई पड़ता है वो है लक्ष्य की महत्ता का या कहे कि लक्ष्य की पवित्रता का। आजाद भगत सिंह जैसे युवाओं के जीवन का लक्ष्य ही इतना पवित्र था , इतना बड़ा था कि उस से भटकने की इजाज़त खुद उनका लक्ष्य ही नही देता था।
ये तो निश्चित तौर पर कह सकते है कि आज के युवाओं के पास एक बड़े पवित्र लक्ष्य की कमी साफ तौर पर दिखाई देती हैं। परन्तु ये नही कह सकते कि सभी के लिए यही एक कारण हैं और अगर कारण समान नही तो निवारण भी समान नही हो सकते हैं।
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