संत तुकाराम का जीवन परिचय , दर्शन और शिक्षाएं | Sant Tukaram Biography In Hindi
संत तुकाराम वारकरी संप्रदाय से संबंधित संत और कवि थे। वारकरी सम्प्रदाय पूरे महाराष्ट्र में व्यापक रूप से फैला हुआ हैं। संत तुकाराम को अभ्यंग और कीर्तन के माध्यम से समुदाय-उन्मुख पूजन के लिए जाना जाता है। महाराष्ट्र में भक्ति आंदोलन की नींव डालने का योगदान भी संत तुकाराम को ही दिया जाता हैं।
जीवन परिचय (Sant Tukaram Biography In Hindi) :-
संत तुकाराम के जन्म के समय पर अलग अलग मत हैं , फिर भी साल १५९८ पर अधिकतर विद्वान सहमत है। संत तुकाराम का जन्म देहू नामक गांव में साल 1598 में हुआ था। संत तुकाराम के पिता का नाम बोल्होबा और माता का नाम कनकाई था। कहा जाता है कि संत की पहली पत्नी और लड़के की देश मे पड़े भीषण अकाल में मृत्यु हो गयी थी। उसके बाद इन्होंने जीजाबाई से दूसरी शादी की थी । कहा जाता है कि दूसरी शादी के बाद उनके घर में कलह होने लगी, जिसके बाद वो नरायणी नदी के उत्तर में स्थित मानतीर्थ पर्वत पर जाकर भजन-कीर्तन करने लगे। जिसके बाद लोगों की इनमें गहरी आस्था हो गई।
संत तुकाराम की शिक्षाएं , दर्शन -:
तुकाराम की शिक्षाओं को वेदांत आधारित माना जाता था। संत तुकाराम ने समानता पर बल दिया। सभी मनुष्य परमपिता ईश्वय की संतान हैं, इस कारण समान हैं। संत तुकाराम से महाराष्ट्र धर्म का प्रचार किया , जो कि भक्तो आंदोलन से प्रभावित था। महाराष्ट्र धर्म के सिद्धांत भक्ति आंदोलन से ही प्रभावित थे। संत तुकाराम ने अपने अभ्यंग साहित्य में भक्ति संत नामदेव , ज्ञानेश्वर , संत कबीर और एकनाथ का भी उल्लेख किया है। संत तुकाराम ने “अभंग कविता ” नामक साहित्य की एक मराठी शैली की रचना की । इसमें आध्यात्मिक विषयों के साथ साथ लोक कहानियों को भी सम्मिलित किया गया है।
सामाजिक व्यवस्था पर प्रभाव -:
महाराष्ट्र धर्म ने सामाजिक व्यवस्था पर गहरा प्रभाव छोड़ा था। इसने समानता के सिद्धांत के प्रतिपादन द्वारा वर्णव्यवस्था को लचीला बनाने में सहायता प्रदान की थी। महाराष्ट्र धर्म का उपयोग छत्रपति शिवाजी महाराज ने सभी वर्ग को एकसूत्र में बाँधने के लिए किया था। जातिविहीन समाज के बारे में संत तुकाराम की शिक्षाओं और संदेशो ने सामाजिक आंदोलन का जन्म दिया था। संत तुकाराम के अभ्यंगो ने ब्राह्मणवादी प्रभुत्व के खिलाफ मजबूत हथियार के तौर पर काम किया था।
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