SHG ( स्वयं सहायता समूह ) – क्या है , लाभ , मुद्दे। SHG ( SELF HELP GROUP )- Defination , Issues ,Importance | SHG Self Help Group UPSC Hindi
SHG Self Help Group UPSC Hindi
” समान सामाजिक, आर्थिक पृष्ठभूमि वाले और सामूहिक रूप से समान उद्देश्य पूरा करने की इच्छा रखने वाले लोगों का समूह है । यह समूह इन्ही लोगों द्वारा स्व-शासित होता है तथा यह सहकर्मी नियंत्रित सूचना समूह होता है।
ये समूह – स्वयं सहायता की धारणा पर विश्वास करते हुए गरीबी , बेरोजगारी जैसी सामाजिक वंचनाओं को दूर करने का प्रयास करता हैं। समूह के सदस्य एक दूसरे के सहयोग द्वारा समस्याओं का समाधान करने का प्रयास करते हैं | SHG Self Help Group UPSC Hindi
SHG ( स्वयं सहायता समूह ) के लाभ | Impotance Of SHG Self Help Group UPSC Hindi
सामाजिक उन्नति का प्रयास –
एसएचजी दहेज, शराब, घेरलू हिंसा आदि जैसी बुराइयों से निपटने के लिए सामूहिक प्रयासों को प्रोत्साहित करते हैं। स्वयं सहायता समूह सामाजिक अखंडता के लिए कार्य करता हैं | SHG UPSC In Hindi
लैंगिक समानता-
एसएचजी महिलाओं को सशक्त बनाते हैं और उनमें नेतृत्व कौशल विकसित करते हैं। सशक्त महिलाएँ सशक्त समाज की धुरी बनती हैं।
महिलाओं को घरेलू और सामुदायिक दोनों स्तरों पर निर्णय लेने की प्रक्रियाओं में भाग लेने के लिए प्रोत्साहन प्राप्त होता हैं। जिससे महिलाये ग्राम सभा और चुनावों में अधिक सक्रिय रूप से भाग लेती हैं। उदाहरण – केरल में कुदुम्बश्री
आर्थिक सशक्तिकरण: SHG ( स्वयं सहायता समूह ) स्थानीय स्तर पर छोटे रोजगार साधनों को स्थापित करते हैं , इससे वंचित वर्गों के लिए आय के साधन मिलते है। जिससे महिलाओं और अन्य वंचित वर्गों का आर्थिक सशक्तिकरण होता हैं।
संसाधन जुटाना: SHG ( स्वयं सहायता समूह ) सामूहिक पहल के माध्यम से अल्प संसाधनों का समुचित उपयोग तो सीखते ही है साथ ही यह संसाधन जुटाने में भी सहायक हैं।
आय का वैकल्पिक स्रोत , प्रछन्न बेरोजगारी दूर करने में सहायक – SHG ( स्वयं सहायता समूह ) के माद्यम से अनेक तरह के सूक्ष्म व्यवसायों को स्थापित करने में सहायता मिलती है जिससे कृषि पर निर्भरता कम करता है। और प्रछन्न बेरोजगारी को दूर करने में सहायता मिलती है।
उदाहरण के लिए, किराना विक्रेता, दर्जी और उपकरण मरम्मत की दुकानें जैसे व्यक्तिगत व्यवसाय।
रोल मॉडल के तौर पर प्रोत्साहन : सफल SHG ( स्वयं सहायता समूह ) विभिन्न सामुदायिक विकासात्मक पहलों के लिए प्रोत्साहन के रूप में कार्य करते हैं। जिससे किसी एक व्यवसाय को स्थापित करने में सहायता और प्रोत्साहन दोनों प्राप्त होता है।
उदाहरण के लिए – लिज्जत पापड़ ने कई घरेलू उद्योगों की स्थापना की।
नेतृत्व: SHG ( स्वयं सहायता समूह ) महिलाओं और वंचित वर्गों में नेतृत्व क्षमता विकसित करने में अत्यंत सहायक सिद्ध होते हैं। उदाहरण के लिए महिला एसएचजी नेताओं को अक्सर पंचायत प्रधान या अन्य प्रतिनिधियों के उम्मीदवार के रूप में चुना जाता है।
दबाव समूह के रूप में – अभिव्यक्ति की आजादी को स्वस्थ लोकतंत्र के लिए आवश्यक समझा जाता हैं। SHG ( स्वयं सहायता समूह ) वंचित वर्गों को नीतिगत मुद्दों पर जैसे कि स्वच्छता और सफाई , शिक्षा , स्वास्थ्य आदि पर आवाज प्रदान करता है , जिससे यह उन्हें नीतिगत निर्णयों को प्रभावित करने में सक्षम बनाता है।
इस प्रकार SHG ( स्वयं सहायता समूह ) दबाव समूह के रूप में सामाजिक न्याय को प्राप्त करने में सहायक होता है।
वित्तीय समावेशन– नाबार्ड द्वारा शुरू किए गए एसएचजी-बैंक लिंकेज कार्यक्रम ने ऋण पहुंच को आसान बना दिया है और पारंपरिक साहूकारों पर निर्भरता कम कर दी है।
भ्रष्ट आचरण की जाँच करते है : SHG ( स्वयं सहायता समूह ) नीतियों में होने वाली असंगतियों पर अपनी आवाज बुलंद करते है। इस प्रकार ये एक प्रहरी के तौर पर और सामाजिक लेखा परीक्षा के माध्यम से भ्रष्टाचार को कम करने का प्रयास करते है।
उपभोग पैटर्न में बदलाव – यह आर्थिक सशक्तिकरण और सामाजिक सशक्तिकरण में सहयोग करते है। जिससे ये अपने सदस्यों को गैर सदस्यों परिवारों की तुलना में शिक्षा, भोजन और स्वास्थ्य पर अधिक खर्च करने में सक्षम बनाया है।
बैंकिंग साक्षरता- SHG ( स्वयं सहायता समूह ) औपचारिक बैंकिंग सेवाओं को उन तक पहुंचाने के लिए एक माध्यम के रूप में कार्य करती है। जिससे उनमे बैंकिंग साक्षरता तो बढ़ती ही है। साथ ही सदस्यों में बचत करने की प्रवृति का भी विकास होता है।
SHG ( स्वयं सहायता समूह ) की चुनौतियाँ | Challenges of SHG Self Help Group UPSC Hindi
सामाजिक-सांस्कृतिक चुनौती- उदाहरण एसएचजी के भीतर वर्ग अंतर, एसएचजी में सजातीय प्रकृति का अभाव, पदानुक्रम का निर्माण आदि।
नीति संबंधी चुनौती: SHG ( स्वयं सहायता समूह ) पर ठोस राष्ट्रीय रणनीति का आभाव है। SHG ( स्वयं सहायता समूह ) के सामने वित्तीय समावेशन की कमी, सदस्यों के प्रशिक्षण की कमी , आदि जैसे मुद्दे है।
संस्थागत चुनौती: नैनो से सूक्ष्म और सूक्ष्म से लघु उद्योगों की गतिशीलता के लिए कोई नीति मौजूद नहीं है।
ई-मार्केट एक्सेस: आज के समय में किसी व्यवसाय की उन्नति इस पर भी निर्भर करती है कि उसमे तकनीकी साधनाओ का कितने उत्तम तरीके से प्रयोग किया जा रहा है। SHG ( स्वयं सहायता समूह ) में तकनीकी सक्षमता का आभाव है जिससे एसएचजी द्वारा उत्पादित वस्तुओं की ई-मार्केटप्लेस तक पहुंच नहीं है। इससे व्यवसाय के बढ़ने की संभावना कम हो जाती हैं।
स्किलिंग, रीस्किलिंग और अपस्किलिंग के मुद्दे: नई प्रौद्योगिकियों का उपयोग करने में दक्षता की कमी , सीमित जागरूकता , आवश्यक कौशल के आभाव जैसे मुद्दे सामने आते हैं।
कृषि गतिविधियाँ: अधिकांश स्वयं सहायता समूह खेती करते हैं। ग्रामीण SHG ( स्वयं सहायता समूह ) को कृषि गतिविधियों में नविन तकनीकों और उपकरणों को अपनाने की आवश्यकता है। जिसमे वित्त का आभाव जैसे मुद्दे उनके सामने आते है।
कच्चे माल से संबंधित मुद्दे: छोटे स्तर पर कार्य करने के कारण अनेक बार SHG ( स्वयं सहायता समूह ) को किफ़ायती कीमतों पर कच्चा माल प्राप्त करने में समस्या उत्पन्न होती है। कम मात्रा में ख़रीदने पर उन्हें छूट, क्रेडिट आदि नहीं मिलता है।
व्यावसायिकता की कमी: सदस्यों का वेतन और रहने की स्थिति भी बेहतर नहीं हो पाती है। इससे उद्यमशीलता पर नकारत्मक प्रभाव पड़ता है।
ख़राब वित्तीय प्रबंधन: अधिक अनुभव के कारण उद्यमों से मिलने वाले लाभ या वित्त को उचित जगह निवेश नहीं किया जाता है। जिससे ऋण जाल जारी रहता है।
क्रेडिट जुटाना: समूहों से पर्याप्त ऋण की अनुपलब्धता के कारण लगभग 48% सदस्यों को स्थानीय साहूकारों या रिश्तेदारों से उधार लेना पड़ता है।
प्रभुत्वशाली समूहों द्वारा शोषण: ताकतवर सदस्य, कुलीन और अशिक्षित सदस्यों का शोषण करके समूह के लाभ का एक बड़ा हिस्सा अर्जित करने का प्रयास करते हैं।
निर्भरता: कई स्वयं सहायता समूह अनेक तरीकों से अन्य बड़े संगठनों पर निर्भर रहते है ।
आगे बढ़ने का रास्ता ( Way To Forward ) / SHG Self Help Group UPSC Hindi
सरकार को इस आंदोलन के लिए एक सहायक वातावरण बनाने की आवश्यकता है। इस उद्देश्य की पूर्ति के लिए सरकार को सुविधाप्रदाता और प्रोत्साहक की भूमिका निभानी चाहिए। उदाहरण के लिए- अनौपचारिक बैंकिंग क्षेत्र को संगठित क्षेत्र से जोड़ने के लिए नाबार्ड का स्वयं सहायता समूह-बैंक लिंकेज कार्यक्रम (एसके कालिया समिति के अनुसार)।
भारत सरकार ने एसएचजी को प्राथमिकता वाले क्षेत्र के रूप में शामिल किया है जिससे ऋण देने में आसानी होती है खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए अनाज बैंक चलाने की अनुमति दी गई। कृषि-पारिस्थितिकी प्रथाओं को बढ़ावा देने के लिए महिला किसान सशक्तीकरण परियोजना
महिला साक्षरता को प्राथमिकता: ग्रामीण महिलाओं का साक्षरता स्तर कम है और इसलिए क्षेत्र में साक्षरता स्तर बढ़ाने के प्रयासों को प्राथमिकता दी जानी चाहिए।
विधायी सशक्तिकरण: सरकार एसएचजी को वैधानिक निकाय बना सकती है और उन्हें महिला विकास कार्यक्रमों के लिए स्थानीय निकायों के साथ काम करने की अनुमति दे सकती है।
निर्यात के लिए समर्थन: सरकार को समूह के सदस्यों के निर्यात को प्रोत्साहित करने के लिए विश्व व्यापार संबंधी मुद्दों के बारे में जागरूकता बढ़ानी चाहिए।
वित्तीय प्रबंधन प्रशिक्षण: वित्त प्रबंधन, खातों को बनाए रखने, उत्पादन और विपणन गतिविधियों आदि से संबंधित प्रशिक्षण कार्यक्रम दिए जाने चाहिए। राष्ट्रीय महिला कोष (आरएमके) गरीब महिलाओं को ऋण सहायता की सुविधा प्रदान करेगा। एसएचजीएस के माध्यम से महिला सशक्तिकरण और आजीविका संवर्धन के लिए प्रियदर्शिनी योजना। .
बैंक कर्मचारियों को लिंग संवेदीकरण प्रशिक्षण प्रदान करें ताकि वे ग्रामीण विशेषकर महिलाओं की जरूरतों के प्रति संवेदनशील हो सकें। उदाहरण- DAY-NRLM) गरीबों के लिए स्थायी सामुदायिक संस्थानों का निर्माण करके ग्रामीण ग्राहकों, गरीबी को कम करना।
•एसएचजी का विस्तार: एसएचजी आंदोलन को शहरी और उप-शहरी क्षेत्रों तक विस्तारित करने की आवश्यकता है। राज्य सरकारों, नाबार्ड और वाणिज्यिक बैंकों को क्षेत्र में मिलकर काम करने की आवश्यकता है।
ई-बाजार स्थान की उपलब्धता: व्यापार का विस्तार करने के लिए ये अत्यंत आवश्यक है।
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