विद्यार्थियों और उनके अभिभावकों को इन अध्यापक की बात अवश्य सुननी चाहिए। STUDENTS AND THEIR PARENTS MUST LISTEN THE THOUGHTS OF THAT TEACHER
वर्तमान के उपभोक्तावादी एवं भौतिकवादी युग में अनेक ऐसी समस्याएं उपलब्ध है जिनसे विद्यार्थी वर्ग भी प्रभावित हुए बिना नहीं रह पाया है। वर्तमान में नशा एवं अन्य प्रकार की कुरीतियों ने बच्चो को बड़े स्तर पर प्रभावित किया है। ” युवा भारत और शिक्षा “ अर्थात हमारी युवा पीढ़ी किस प्रकार अपने पथ से भटक गयी है, और कैसे अपने भविष्य को एक सही मार्ग दे सकती है उसका विश्लेषण है। इन्ही कुछ विषयो पर “HKT भारत (HINDI KNOWLEDGE TRACK)” टीम ने अल्मोड़ा के विवेकानद इंटर कॉलेज के अध्यापक श्री भूपेश पंत जी से चर्चा की। हमने इन समस्याओं पर उनसे विस्तृत रूप से चर्चा की।
आइये जानते है कि श्री भूपेश पंत जी ” युवा भारत और शिक्षा “ के माध्यम से समाज के लिए महत्वपूर्ण इन विषयो पर युवाओ और विद्यार्थियों को क्या सन्देश देना चाहते हैं।
प्रश्न – वर्तमान समय में विद्यार्थियों के सामने अनेक ऐसे साधन उपलब्ध है जो उन्हें अपने लक्ष्य से भटकने के लिए पर्याप्त है। कैसे वो इन सब चीज़ो से अपना बचाव करे।
उत्तर – इसमें समाज की सभी संस्थाओं की भूमिका अहम हो जाती हैं। इसमें घर का वातावरण, स्कूल का वातावरण, उनके आस पास समाज का वातावरण सबका योगदान होता हैं। शुरूवात में घर में बच्चो को नैतिक मूल्यों की शिक्षा देना अत्यंत आवश्यक है। वही से बच्चे का आधार बनता है, उनके आधार पर ही वो समाज के कार्य को देखता है। अतः घर की शिक्षा जीवन का अत्यंत अहम भाग होता है।
बच्चो को अपनी संगति पर अत्यंत ध्यान देने की जरुरत है। घर वाले भी इसपर ध्यान रखे की उनके बच्चे किस तरह की संगत कर रहे हैं। स्कूल में भी अध्यापको को बच्चो को नैतिक शिक्षा , उनके भविष्य से सम्बंधित लाभ हानि के बारे में बताते रहना चाहिए।
प्रश्न – आमतौर पर ये चर्चा सुनने को मिलती है कि हमारी शिक्षा व्यवस्था में नैतिक शिक्षा का आभाव नज़र आता हैं। आप इस विषय में क्या कहना हैं।
उत्तर – नहीं , ये पूरी तरह से सही नहीं है। नैतिक और शारीरिक शिक्षा को शिक्षा व्यवस्था में शामिल किया गया है। विद्यालय में नैतिक शिक्षा को बच्चो के व्यवहार में लाने का पूर्ण प्रयास किया जाता है। इसमें घर का योगदान भी अहम है। इस पहलू पर स्कूल और घर दोनों को मिलकर काम करने की आवश्यकता है। जब घर एवं विद्यालय दोनों से अच्छे संस्कार मिलेंगे तभी बच्चे के व्यक्तित्व का सम्पूर्ण विकास होगा।
प्रश्न – आज समाज में अनेक अपराधों में वृद्धि हुई हैं जैसे महिलाओ के प्रति अपराध । इस मुद्दे को लेकर आमतौर पर शिक्षा व्यवस्था पर प्रहार किया जाता हैं कि शिक्षा आज एक ज़िम्मेदार नागरिक बनाने में असफल तो नहीं हो रही हैं।
उत्तर – इसमें केवल शिक्षा को दोष देना सही नहीं है। हमारे व्यक्तित्व विकास का कार्य बचपन मे घर से ही शुरू हो जाता है। फिर अनेक सामाजिक संस्थाओं का योगदान हमारे जीवन में होता है जैसे स्कूल, दोस्तों के सूमह, समाज जहाँ हम ज्यादा समय व्यतीत करते है, सिनेमा, मीडिया आदि। ये सब एक बच्चे की मानसिकता को प्रभावित करती है। वर्तमान में तकनीक के माध्यम से हर तरह की सूचनाएं एक क्लिक में सभी के पास उपलब्ध है। जब माता पिता बच्चे को तकनीक का प्रयोग करने दे रहे है तो उससे पहले उन्हें बच्चे को ये जरूर बताना चाहिए कि क्या उनके लिए सही है और क्या गलत। मतलब उसे प्रयोग करने के सही तरीके अवश्य बताए। घर वालो को ये पता होना चाहिए कि बच्चा टीवी में देख क्या रहा हैं। बच्चो को बचपन से ही ये बताना चहिये कि उनके लिए क्या गलत है और क्या सही।
महिलाओ को घर में, समाज में सब जगह सम्मान देना बहुत जरूरी है। जब बच्चा देखेगा की उनके घर में महिलाओ को कितना सम्मान दिया जा रहा है तो बच्चा अन्य महिलाओ को भी अवश्य सम्मान देगा। घर ही पहली पाठशाला होती है।
प्रश्न – वर्तमान में बच्चे अनेक तरह की कुसंगतियों की और बहुत तेजी से आकर्षित हो रहे हैं। जिनमे नशा सबसे बड़ी चुनौती बनकर सामना आया है। इससे बचाव के लिए आप क्या सुचाव देंगे ?
उत्तर – हाँ , यह अत्यंत चिंतनीय विषय है, नशा बहुत तेजी से समाज में बढ़ रहा हैं। आमतौर पर देखा गया है कि नशे के सामान की सप्लाई से लेकर प्रयोग करने वालो में इसमें युवा बहुत ज्यादा सम्मिलित हैं। इसमे समाज, स्कूल, प्रशासन सबको मिलकर काम करना पड़ेगा। बच्चा मूवी आदि से बहुत जल्दी प्रभावित होता है। अतः घर वालों को भी इस चीज़ का ध्यान रखना चाहिए कि ऐसी चीज़ें कम देखें। और बाकी तो इसके खिलाफ सबको मिलकर लड़ने की जरूरत है।
जो ऊपर चर्चा की है वो इस पर भी लागू होती हैं। शुरू से ही इन सब बातों पर ध्यान देने की जरूरत हैं।
अंत में “HKT भारत (HINDI KNOWLEDGE TRACK)” टीम यही कहना चाहेगी कि भारत युवाओं का देश हैं, जो किसी भी देश के लिए एक गर्व की बात होती है। हम भारत को युवा प्रधान देश की संज्ञा देते है। यही युवा कल अपने कंधो पर देश का भविष्य रखेगा। अतः युवाओ से यही आशा करते है कि वो खुद को समाज में व्याप्त कुसंगतियों से दूर करते हुए, अपने व्यक्तित्व का सर्वांगीण विकास करेंगे, जिससे वो देश का भी बहुविकस कर सके। अतः बच्चो के अभिभावकों से भी यही निवेदन हैं कि वो अपने बच्चो की संगतियो का विशेषः ध्यान रखे। अपने भाग दौड़ भरी ज़िंदगी में से कुछ पल अपने बच्चो के लिए अवश्य निकाले।
युवा भारत और शिक्षा । YOUNG INDIA AND EDUCATION
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