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स्वच्छ भारत अभियान पर निबंध | स्वच्छ भारत स्वस्थ भारत | SWACHH BHARAT ABHIYAN ESSAY IN HINDI |

 

 

SWACHH BHARAT ABHIYAN

आमतौर पर बड़े बुजुर्ग किसी बात पर कहते मिल जाते हैं कि जब गाय – भैस भी बैठती है तो वो भी एक बार अपनी पूंछ से साफ़ करके बैठती है।  परन्तु क्या हम इंसान स्वच्छता को लेकर इतने सजग हैं।  शायद नहीं अगर ऐसा  होता तो  हमारे आस पास , घर – पड़ोस , गली -मोहल्ले में मौजूद गंदगी को लेकर आजादी के 70 साल बाद भी , देश के प्रधानमंत्री को सार्वजनिक मंच से स्वच्छ्ता के लिए आवाहन नहीं पड़ता।

कितने शर्म की बात हैं कि जो काम हमारी दिन प्रतिदिन की जीवन में शामिल होना चाहिए , उसी स्वच्छता को लेकर सरकार को करोड़ों रूपये खर्च करने पड़ रहे हैं।  सरकार ने स्वच्छता हेतु स्वच्छ भारत अभियान चलाया हुआ हैं।   माननीय श्री नरेन्द्र मोदी जी ने गांधी जयंती के अवसर पर 02 अक्टूबर 2014, को इस अभियान का आगाज़ किया था।

महात्मा गाँधी जी आज से १०० साल पहले ही स्वच्छता के मुद्दे को अपने अन्य मुद्दों के  साथ प्राथमिकता में रखते थे।  महात्मा गाँधी जी लोगो को स्वच्छता के लिए प्रोत्साहित करते थे। 

स्कूल में पढ़ाया गया कि गंदगी न करो और बच्चा घर आकर उसी पाठ को रट रहा हो और रटते रटते पास ही मूंगफली के छिलकों का ढेर लगाता भी चला जाता हो। इस प्रकार के ज्ञान का प्रयोग परीक्षा पास करने में हो तो  सकता हैं परंतु जीवन रूपी परीक्षा में इस ज्ञान का कोई महत्व नही हैं।

क्योकि ये परीक्षा रूपी साध्य को पार पाने का एक मात्र साधन बन कर रह जाता है।  हमे इस ज्ञान को जीवन रूपी परीक्षा  में उपयोगी बनाने के लिए स्वच्छता के किर्यकलाप को अपनी दिनचर्या में शामिल करना ही होगा। 

स्वच्छ भारत अभियान का लक्ष्य / SWACHH BHARAT ABHIYAN ESSAY

 

स्वच्छ भारत के माध्यम से विशेषकर ग्रामीण अँचल के लोगो के अंदर जागरूकता पैदा करना है कि वो शौचालयों का प्रयोग करें, खुले में न जाये। इससे तमाम बीमारियाँ भी फैलती है। जोकि किसी के लिए अच्छा नहीं है। स्वच्छ भारत अभियान का लक्ष्य भारत को गंदगी मुक्त  करना हैं। जितना हो सकता हैं अपने आस पास गंदगी नहीं होने देंगे इसका संकल्प हमे करना  चाहिए।   

स्वच्छ भारत अभियान (SWACHH BHARAT ABHIYAN ) में सहयोग देने बड़ी-बड़ी हस्तियों ने हिस्सा लिया। इस मिशन का प्रचार-प्रसार का जिम्मा ग्यारह लोगों को दिया गया, जो कि निम्न हैं: –

  • सचिन तेंदुलकर
  • बाबा रामदेव
  • सलमान खान
  • अनिल अंबानी
  • प्रियंका चोपड़ा
  • शशि थरुर
  • मृदुला सिन्हा
  • कमल हसन
  • विराट कोहली
  • महेन्द्र सिंह धोनी
  • ‘तारक मेहता का उल्टा चश्मा’ सीरियल की पूरी टीम

 

स्वच्छता का स्वस्थ्य से सीधा सम्बन्ध होता हैं (SWACHH BHARAT ABHIYAN)  

ये देखने मे तो छोटी सी मामूली सी बात लगती है परंतु अगर थोड़ी सी भी गहराई से सोचा जाए तो हमें अपने पर शर्म आनी लाज़मी हैं क्योंकि कैसे हम प्रतिदिन की अपनी छोटी छोटी अंदेखियो , झूठे अभिमान , गैर जिम्मेदाराना हरकतों से इस प्रकृति का तो नुकसान कर ही रहे हैं बल्कि अपने स्वास्थ्य के साथ भी खिलवाड़ कर रहे हैं।

हमे ये अच्छे से मालूम है कि अनेक घातक बीमारिया गंदगी की वजह से ही होती हैं।  इन बीमारियों की वजह से अनेक लोगो अपनी जान भी गवा देते  हैं। 

 स्वच्छता योजनाओं का तो सरकार पर बोझ बढ़ता ही जा रहा हैं और साथ ही साथ अस्वच्छता के कारण होने वाली घातक बीमारियों के कारण स्वास्थ्य योजनाओं पर भी प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष तौर पर खर्चा  बढ़ता जाता हैं। हम अपने आस पास गंदगी को समाप्त करके अनेक बीमारियों से छुटकारा ले सकते हैं। 

अतः ये संकल्प ले कि हमारे आस पास कही भी गंदगी न होने पाए।  हमारी मानसिकता हैं कि हम अपने घरो  से कूड़ा निकाल कर गलियों और सडको पर फेंक देते हैं।  जिससे वो बाद में एक भयानक खतरे को जन्म देता हैं।  उसी कूड़े से सीवर जाम हो जाते है।  जिससे बरसात के समय शहरों में पानी भर जाता हैं और गंदगी के कारण अनेक बीमारियों का घर बन जाता  हैं। 

गाँधी जी स्वच्छता को  देते थे प्राथमिकता 

 

गांव की स्वच्छ्ता के संदर्भ में गांधी जी ने 1916 में कहा था कि–

‘ गांव की स्वच्छ्ता के सवाल को बहुत पहले हल कर लिया जाना चाहिये था।’

परंतु क्या हम आज भी इस सवाल को हल कर पाए है , हल करने की बात तो दूर हम इस विषय पर गहन चिंतन भी नही करना चाहते हैं। आज 2020 में गांधी जी के सार्वजनिक भाषण के लगभग 100 सालों बाद भी गांव तो क्या देश के प्रत्येक भाग में गंदगी के ढ़ेर ही दिखाई देते हैं । गांधी जी ने स्कूल और उच्च शिक्षा में स्वच्छता को शामिल करने की आवश्यकता पर जोर दिया था। उनके विचार में ये कार्य उस दौर में  शीघ्रातिशीघ्र होना चाहिए था । 

गांधी जी ने रेलवे के तीसरे श्रेणी के डिब्बे में देशभर में व्यापक भ्रमण किया था । वे इस श्रेणी के डिब्बो में मौजूद गन्दगी से अचंभित और अत्यंत भयभीत थे। इस विषय मे उन्होंने अपने एक पत्र में लिखा था कि

इस तरह की संकट की स्थिति में तो यात्री परिवहन को बंद कर देना चाहिए। जिस तरह की गंदगी और स्थिति इन डिब्बो में हैं उसे जारी नही रहने दिया जा सकता क्योंकि वह हमारे स्वास्थ्य और नैतिकता को प्रभावित करती हैं।

आज परिवहन , स्वास्थ्य केंद्रों के बाहर , स्कूल कॉलेज के बाहर, या अन्य सार्वजनिक केंद्रों के आस पास आमतौर पर गंदगी के ढेर दिखाई दे ही जाते है ।

परंतु इन सबके लिए केवल सरकार को दोष देना उचित  नही है बल्कि केवल सरकार को दोष देना खुद के कर्तव्यों से भागने जैसा ही हैं ।  परन्तु सोचने वाली  बायत ये हैं कि गाँधी जी आज से लगभग १०० साल पहले इस विषय में इतने चिंतित थे।  उसके बाद भी हम आज तक इस समस्या का समाधान नहीं कर पाए है। 

कैसे सफल होगा स्वच्छ भारत अभियान (SWACHH BHARAT ABHIYAN)

किसी भी अभियान को सफ़ल होने के लिए ये आवश्यक हैं कि उसके लिए एक योजना हो,  योजना को कार्यान्वित करने के लिए जनता को मिलकर काम करना होता है, आम जन के बीच मुद्दे को लेकर पर्याप्त जागरूकता होनी चाहिए।  जन -सहभागिता किसी भी अभियान में सफलता प्राप्त करने के लिए जरूरी हैं। 

हमे निम्न बाते करनी चाहिए – 

 

स्वच्छता को लेकर जन चेतना का विकास – 

स्वच्छता जनता से जुड़ा एक ऐसा मुद्दा है , जिसे  बलपूर्वक पूर्ण रूप से मनवाना संभव ही नहीं हैं। ये एक  व्यक्ति की जिम्मेदारी से शुरू होकर समाज  तक जाता हैं।  अगर कोई व्यक्ति अपने घर में गंदगी रखता है तो उसे बलपूर्वक कैसे सही किया जा सकता है। 

अतः ये एक ऐसा मुद्दा  हैं जिसके लिए जन चेतना का विकास करना अत्यंत आवश्यक हैं।  इसके लिए अनेक स्तर पर ध्यान देना बहुत जरुरी हैं। 

 

१. स्कूल में सप्ताह में  एक दिन बच्चो से सफाई कराना जरुरी – 


हम व्यक्तिगत तौर पर सोच सकते है कि जब हम स्कूल जाते थे तो छोटे से छोटे सफाई करने के विषय मे भी चाहे वो हमारी कक्षा ही क्यों न हो , सफाई कर्मचारी का इंतज़ार करते रहते थे। अगर किसी दिन वो न आये तो हम उसी स्थिति में वहाँ समय व्यतीत करने को तैयार हो जाते थे; परंतु इतना कष्ट ख़ुद को नही देना सोचते थे कि ये काम आज हम ही कर ले आखिर यहाँ पढ़ना तो हमको ही है।

आमतौर पर अधिक्तर मामलों में ऐसा ही होता है। हमे सबसे पहले स्वच्छता को अपनी आदत बनाना होगा  . ये तभी संभव है जब ये स्कूल स्तर से ही शुरू करें।  अतः स्कूल में बच्चो से सफाई कराना  बहुत जरुरी हैं। हमारा समाज में सफाई कार्य को लेकर एक बहुत गहरी ग़लत धारणा बनी हुई है कि ये काम एक विशेष व्यक्ति का हैं।

तो मैं क्यों करू ? हमे समझना होगा कि ये कार्य सबका है।  खुद को ,  अपने पर्यावरण को साफ़ रखना प्रत्येक व्यक्ति का दायित्व हैं। 

गांधी जी ने 1920 में गुजरात में विद्यापीठ की स्थापना की जिसमे आश्रम की जीवन पद्धति को अपनाया गया था और वहाँ शिक्षकों , छात्रों और स्वयं सेवकों और कार्यकर्ताओं को प्रारंभ से स्वच्छता के कार्यो में लगाया जाता था।

 

२. स्वच्छता को आदत बनाना  होगा –

 

स्वच्छता को आदत बनाना अत्यंत जरुरी है। इसका प्रयास घर  और स्कूल स्तर से होना बहुत जरुरी हैं। हमे बच्चो बताना चाहिए कि सफाई प्रत्येक  नागरिक का एक अहम् काम हैं।  अगर हम ऐसा नहीं करेंगे तो कही भी सड़क पर , दीवार पर लाल निशान ऐसे ही मिलते रहेंगे। 

 

३. शिक्षा का भाग बनाएं – 


मुझे अच्छे से याद  है कि कभी हमे विस्तार से किसी अध्यापक ने इस विषय मे कुछ बताया या समझाया हो । हा,  अगर कभी किसी विषय मे इस बारे में कोई पाठ आया हो तो बताया होगा वो भी बस परीक्षा में पास होने के उद्देश्य से। और इस कारण हम सभी स्कूल की परीक्षा तो पास कर गए परन्तु जीवन की परीक्षा में  बार  बार फ़ैल होते जा रहे है|

स्वच्छता के मुद्दे को गंभीरता से पढ़ाया जाना  चाहिए। जिसमे प्रैक्टिकल को भी शामिल किया  जाना  चाहिए।  और बच्चे  की प्रत्येक  दिन की गतिविधि  के अनुसार ही उसको नंबर देने चाहिए कि जहाँ वो बैठता हैं वह सफाई का स्तर क्या हैं , उसकी दिनचर्या क्या है। 

आज इसी तरह के कार्यक्रम की अति आवश्यकता हैं । विद्यार्थियों को शुरू से ही स्वच्छता के कार्यो में  लगाया  जाना चाहिए और उनके साथ अध्यापकों को भी किसी न किसी स्तर पर अपना योगदान देना आवश्यक किया जाना चाहिए, क्योकि एक छोटा बच्चा  अपने पिता के अतिरिक्त अपने अध्यापक को भी अपना प्रेरणा स्रोत मानता है। 

देश में जागरूकता का स्तर अत्यंत निम्न है। अतः यह आवश्यक नहीं कि प्रत्येक बच्चे को घर में  ऐसी  शिक्षा मिल ही पाए परन्तु प्रत्येक बच्चे को स्कूल  में इस विषय में जागरूक और समझदार बनाया  जा सकता है।

 

४. स्वच्छ भारत अभियान करने के लिए स्वच्छ मानसिकता भी जरुरी –

 

कभी इस विषय में  ज्यादा मार्गदर्शन न  मिल पाने की वजह से और कुछ  सामाजिक कुरीतियों  की वजह से नकारात्मक मानसिकता को लिए घूम रहे है  ,आज ये मानसिकता घर कर गयी है कि  स्वच्छता सम्बन्धी  कार्य किसी व्यक्ति विशेष से सम्बंधित है ।

और आज का युवा आधुनिक विचारो को ग्रहण करने के स्थान पर , किसी विशेष कंपनी के कपडे पहनने ,महंगा इत्र लगाने को ही आधुनिकता का प्रतीक समझता हैं।  SWACHH BHARAT ABHIYAN

आज हमें अपनी मानसिकता में बदलाव की अत्यंत आवश्यकता हैं। हमारे महापुरुषों ने अनेक प्रयासों से इस देश को आजाद कराया हैं। आज हमे  अपनी मानसिकता में भी बदलाव के लिए प्रयास करना होगा  ।

हमारे अनुसार हमने ख़ुद को बता रखा है कि सफाई करना एक छोटा काम है और ये सबको नही करना चाहिए बल्कि ये एक व्यक्ति विशेष का काम हैं।

इस विषय में गाँधी जी की जीवनी “सत्य  के मेरे प्रयोग” में एक पंक्ति उत्तम प्रतीत होती है —   

“तुम ‘सभ्य’ लोग सब डरपोक हो । महापुरुष किसी की पोशाक नहीं देखते । वे तो उसका दिल  परखते हैं ।”


और आज ऐसी नकारात्मक और गैर जिम्मेदाराना  मानसिकता के कारण  हम गंदगी के ढेर को कम करने के बजाए ,उसमे अपनी तरफ से कुछ न कुछ योगदान, ये सोच कर अवश्य दे देते है कि हमारी इतनी से गंदगी अगर यहाँ पड़ ही जायेगी तो क्या ही फर्क पड़ता है, जब पहले से इतनी ज्यादा है ही|


परंतु हम भूल जाते है कि बून्द बून्द से अगर घड़ा भर सकता है तो , छोटे छोटे कचरे से कचरे का पहाड़ भी बन सकता हैं।

अतः  हमे सोचना होगा कि जब ये गंदगी स्वास्थ्य संबंधी ख़तरा उत्पन्न करेंगी तो इसका शिकार केवल कोई व्यक्ति विशेष न होकर बल्कि हर वो व्यक्ति होगा जो इसके संपर्क में आएगा चाहे वो कही का जमींदार हो या कोई मजदूर ।

आज जहाँ कोरोना (covid 19) महामारी ने सभी प्रकार की क्रियाओं में विराम लगा दिया हैं तो आज प्रकृति पहले से ज्यादा स्वच्छ हो गयी हैं। सार्वजनिक स्थानों पर झील , तालाब, नदिया पहले से अधिक साफ नजर आ रहे हैं।

लाखों रुपया पानी की तरह बर्बाद करने के बाद भी जो काम हमारी स्वच्छ्ता इकाईयों के द्वारा सम्पन नही हो पा रहा था वो काम आज हमारी गतिविधियों पर दबाव पूर्ण विराम ने कर दिखाया हैं।

इससे स्पष्ट है कि अगर हम अपनी क्रियाओं को सजग होकर करे और प्रत्येक कार्य से पहले ये सोचे कि इसके क्या नकारात्मक परिणाम हमारी प्रकृति पर हो सकते है, तो हम अवश्य ही खुद को एक सभ्य इंसान की श्रेणी में रखने लायक बन पाएंगे।

अतः आज स्वच्छ्ता अभियान को प्रत्येक नागरिक को एक संकल्प के तौर पर लेने की आवश्यकता हैं।

 

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