हमारे उपनिषद और शास्त्र अनेक वैज्ञानिक खोजों की जननी है – आर्येन्द्र तोमर | Swami Vivekananda Mission Team – Aryendra Tomar
स्वामी विवेकानंद मिशन टीम भारतीय प्राचीन ग्रंथो और परंपराओं में छिपे हुए वैज्ञानिक दृष्टिकोण को उजागर करने का कार्य कर रही है।
टीम के अध्यक्ष आर्येन्द्र तोमर ( मेवाड़ यूनिवर्सिटी , चितौड़ में विद्यार्थी ) के अनुसार आज वैज्ञानिक भी हमारे उपनिषदों पर शोध कार्य कर रहे हैं। इसी को आगे बढ़ाते हुए आर्येन्द्र तोमर भारतीय परंपराओं से वैज्ञानिक दृष्टिकोण निकालने की कोशिश कर रहे हैं । उनके अनुसार हमारे भारत में माला में 108 मोती का जो संबंध है वह सौर मंडल से है। सूर्य पृथ्वी से 108 सूर्य की दूरी पर है , और चंद्रमा पृथ्वी से 108 चंद्रमा की दूरी पर है । ऐसे ही पृथ्वी सूर्य के व्यास से 108 गुना कम है ।
उनके अनुसार भारतीय प्राचीन मंदिरों के निर्माण में भी वैज्ञानिक दृष्टिकोण काम करता हैं। जैसे कि मंदिर की सीखा का दीवार से जो कोण बनता है; वह 56 डिग्री का बनता है। ऐसे ही कोण मिस्त्र के पिरामिड का भी बनता है तथा मिस्त्र के पिरामिड और भारतीय मंदिरों में तापमान एक स्तर पर जाकर स्थिर रहता है ।
उनके अनुसार बिग बैंक तथा ब्लैक होल के सिद्धांत भी हमारे ग्रंथों में मिलते हैं । भगवत गीता में भी श्री कृष्ण विशाल विराट रूप अध्याय में बिग बैंग और ब्लैक होल के बारे में ही बता रहे हैं । भागवत गीता में दूसरे अध्याय में क्वांटम फिजिक्स को दर्शाया गया है । भगवान श्री कृष्ण भागवत गीता के दूसरे अध्याय में बोल रहे हैं कि जो शरीर है उसका एक पार्टिकल नेचर है जो आपको दिखाई दे रहा है लेकिन उसका एक ऐसा नेचर भी है जो दिखाई नहीं दे रहा। जिसका कोई आकृति नहीं है उसी को हम आत्मा कहते हैं।
व्यक्ति मस्तिष्क को कैसे विकसित करें इसके भी भारतीय संस्कृति में अनेक प्रमाण मिलते हैं।
वर्तमान में अनेक युवा मानसिक बीमारियों से परेशान हैं जैसे कि अवसाद आदि। स्वामी विवेकानंद टीम उसपर भी कार्य कर रही है।
मस्तिष्क को विकसित करने के लिए ध्यान की महत्ता को बताना तथा संगीत व वाइब्रेशन का मस्तिष्क पर प्रभाव को भी समझने का काम टीम कर रागी हैं। उनके अनुसार किसी मंत्र या ॐ नाम के जप से उत्पन्न वाइब्रेशन का मस्तिष्क पर प्रभाव पड़ता है।
कुछ इस तरीके के टॉपिक कवर करते हुए टीम स्कूलों में सेमिनार कर रही है । उनके अनुसार टीम युवाओं को अध्यात्म और विज्ञान से जोड़ने का काम कर रही है क्योंकि बिना अध्यात्म के विज्ञान पर प्रगति करना नामुमकिन है ।
आज यह वैज्ञानिक भी मानते हैं तभी आज वैज्ञानिक भारत के उपनिषद और वेद पर शोध कर रहे हैं । स्वामी विवेकानंद मिशन टीम द्वारा माय स्कूल ( My School ) गंगरार चित्तौड़ में विज्ञान और अध्यात्म पर आधारित एक सेमिनार आयोजित किया गया।
स्कूल के संस्था प्रधान माननीय बलवीर सिंह और स्कूल के प्रधानाचार्य जगदीश जी ने उन्हें स्कूल में सेमिनार करने के लिए आमंत्रित किया था । इस सेमिनार में मुख्य विद्यार्थी का चयन भी किया गया इस सेमिनार में कक्षा 7 के हर्षल मुख्य विद्यार्थी के रूप में चयनित हुए । जिसमें उन्हें Rs -1100 का नगद पुरुस्कार और एक ट्राफी तथा एक सर्टिफिकेट दिया गया । इसी तरह से चयनित अन्य 10 बच्चों को ट्रॉफी और सर्टिफिकेट दिए गए।
जिससे बच्चों में विज्ञान और अध्यात्म के प्रति रुचि बढ़े। स्वामी विवेकानंद मिशन टीम के अध्यक्ष आर्येन्द्र तोमर के अनुसार वह अपने मिशन को राष्ट्रीय ही नहीं अंतराष्ट्रीय स्तर तक ले जाना चाहते हैं क्योंकि वह मानते हैं कि आज जो विज्ञान प्रगति कर रहा है । वह हमारे भारतीय उपनिषद में पहले ही लिखा गया है।
लेकिन हमें अपने आध्यात्मिक पुस्तकों से संदर्भ लेकर उन्हें प्रमाणित करने की आवश्यकता है। वो आगे कहते है कि आज वह समय आ गया है क्योंकि भारत विश्व गुरु बनने का लक्ष्य लेकर आगे बढ़ रहा है और बिना आध्यात्मिक ज्ञान के भारत का विश्व गुरु बनना असंभव है । इसलिए हमें हर युवाओं तक अपने उपनिषदों का ज्ञान वैज्ञानिक दृष्टिकोण से पहुंचना ही पड़ेगा। इसी तरह की पहल के साथ स्वामी विवेकानंद टीम आगे बढ़ रही हैं।
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