सांसदों के निलंबन के संबंध में नियम | Under what rules can MPs be suspended from Parliament? | MPs suspended from Parliament
MPs suspended from Parliament
समय समय पर राज्यसभा व लोकसभा द्वारा सांसदों द्वारा सदन की कार्यवाही में व्यवधान डालने के कारण उन्हें सदन के नियमों द्वारा निलंबित किया जाता हैं। इस लेख में इसी मुद्दे से सम्बंधित चर्चा की जाएगी जिसमे इंडियन एक्सप्रेस में आये एक लेख से भी कुछ सामग्री ली गयी है ।
सांसदों द्वारा व्यवधान पैदा करने के कारण –
जैसा कि राजनीतिक विश्लेषकों द्वारा सांसदों द्वारा व्यवधान पैदा करने के चार मुख्य कारण बताएं गए हैं –
- महत्त्वपूर्ण मुद्दों को उठाने के लिये सांसदों के पास पर्याप्त समय का न होना।
- राजनीतिक दलों द्वारा जान-बूझकर राजनीतिक या प्रचार कारणों से अशांति पैदा करना।
- संसदीय कार्यवाही में बाधा डालने वाले सांसदों के खिलाफ तत्काल कार्रवाई की विफलता
- सरकार की गैर-जवाबदेही तथा और ट्रेज़री बेंच (मंत्री पक्ष) का प्रतिशोधी रवैया।
प्रक्रिया और आचरण के नियम:
नियम 373:
- अध्यक्ष किसी सदस्य के आचरण में गड़बड़ी पाए जाने पर उसे तुरंत सदन से हटने का निर्देश दे सकता है। जिन सदस्यों को हटने का आदेश दिया गया हैं। उन सदस्यों को तुरंत ऐसा करना होगा और शेष दिन की बैठक के दौरान अनुपस्थित रहेंगे या कहे कि पुरे दिन बैठक में हिस्सा नहीं ले सकते हैं ।
नियम 374:
- जो सदस्य अध्यक्ष के अधिकार की अवहेलना करता है या लगातार और जान-बूझकर सदन के नियमों का उल्लंघन कर कार्य में बाधा डालता है तो अध्यक्ष उस सदस्य का नाम ले सकता है। इस प्रकार नामित सदस्य को शेष सत्र की अनधिक अवधि के लिये सदन से निलंबित कर दिया जाएगा। इस नियम के अधीन निलंबित कोई सदस्य सदन से तुरंत हट जाएगा।
नियम 374A:
- दिसंबर 2001 में नियम 374A को नियम पुस्तिका में शामिल किया गया था। घोर उल्लंघन या गंभीर आरोपों के मामले में यदि अध्यक्ष किसी सदस्य को नामित करते हैं तो वह सदस्य लगातार पाँच बैठकों या सत्र की शेष अवधि के लिये स्वतः निलंबित हो जाएगा।
नियम 255 (राज्यसभा): सामान्य नियमों के नियम 255 के तहत राज्यसभा की प्रक्रिया के सदन का पीठासीन अधिकारी संसद सदस्य के निलंबन का आदेश दे सकता है या बाहर जाने को कह सकते हैं सभापति इस नियम के अनुसार किसी भी सदस्य को जिसका आचरण उसकी राय में सही नहीं या नियम-विस्र्द्ध था को निर्देश दे सकता है।
नियम 256 (राज्यसभा):
- “एक सदस्य का नाम दे सकता है जो अध्यक्ष के अधिकार की अवहेलना करता है या लगातार और जानबूझकर बाधा डालकर परिषद के नियमों का दुरुपयोग करता है”। यह सदस्यों के निलंबन का प्रावधान करती है। ऐसी स्थिति में, सदन सदस्य को सदन की सेवा से निलंबित करने के लिए एक प्रस्ताव को स्वीकार कर सकता है जो शेष सत्र से अधिक नहीं होगा।
क्या इस मामले में न्यायालय हस्तक्षेप कर सकता है :
- संविधान का अनुच्छेद 122 के अनुसार संसदीय कार्यवाही पर अदालत के सामने सवाल नहीं उठाया जा सकता है।
- परन्तु इसके बाद भी अदालतों ने विधायिका के प्रक्रियात्मक कामकाज में हस्तक्षेप किया है, जैसे-
2021 के मानसून सत्र में महाराष्ट्र विधानसभा ने अपने 12 भाजपा विधायकों को एक साल के लिये निलंबित करने का प्रस्ताव पारित किया था। तो जब यह मामला सर्वोच्च न्यायालय के सामने लाया गया था।
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