सुशासन क्या होता है / What is Good Governance UPSC Notes in Hindi |
सुशासन (Good Governance UPSC Notes in Hindi ) से तात्पर्य एक ऐसे वातावरण से है – जिसमें सभी नागरिक, चाहे वह किसी भी वर्ग , जाति या समुदाय से आते हो , चाहे वह किसी लिंग के ही क्यों न हो, सभी अपनी पूर्ण क्षमता का विकास कर सकें ।
भारत में सुशासन ( Good Governance) की संकल्पना प्राचीन भारत से ही दृष्टिगोचर होती है । आचार्य चाणक्य ने अपनी पुस्तक अर्थशास्त्र में सुशासन के विषय में राजा के गुणों का वर्णन किया है ।
उनके अनुसार –
“अपनी प्रजा की खुशी में उसकी खुशी होती है , उनके कल्याण में अपना कल्याण समझता है। जिससे उसे खुद को खुशी मिलती है , उसे वह अच्छा नहीं समझता।
किंतु जिस किसी भी बात से प्रजा को खुशी होती है , उसे वे उत्तम समझता है। “
आचार्य चाणक्य के ये कथन सुशासन ( Good Governance) की संकल्पना को परिभाषित करते हैं। ऐसा शासन जहाँ जनता के कल्याण या सुख को ऊपर रखा जाता हैं।
महात्मा गांधी की “सु-राज” की संकल्पना भी सुशासन की संकल्पना ( Good Governance) ही है।
सुशासन को अच्छे से समझने के लिए सुशासन के मूलभूत तत्व को समझना अत्यंत आवश्यक है।
सुशासन ( Good Governance UPSC Notes in Hindi ) के आठ मूलभूत तत्व माने जाते हैं :
1. जवाबदेही
2. पारदर्शिता
3. प्रतिक्रियाशीलता
4. न्यायसम्मत और समावेशी
5.प्रभावी और कुशल
6. कानून के शासन का पालन / विधि का शासन
7. भागीदारी पूर्ण / सहभागी
8. सर्वसम्मति उन्मुख
सुशासन ( Good Governance) चार सिद्धांतो पर आधारित –
१. लोकाचार – नागरिको के प्रति सेवा भाव
२. नैतिकता – शासन में ईमानदारी , सत्यनिष्ठा , पारदर्शिता जैसे मूल्य
३ साम्यता – सभी नागरिको के साथ सामान व्यवहार करना तथा कमजोर समूहों के प्रति सहानुभूति रखना।
४ कार्यकुशलता – सुचना और संचार तकनीकी के माध्यम से प्रभावी तरीके से सेवा प्रदान करना।
भारत में सुशासन ( Good Governance) के समक्ष अनेक चुनौतियां मौजूद है। जैसे कि –
1. राजनीति का अपराधीकरण:
राजनीति का अपराधीकरण एक मुख्य समस्या हैं ,जिसके कारण सुशासन की संकल्पना को जमीनी स्तर पर लाने में समस्या उत्पन्न होती है । एक रिपोर्ट के अनुसार 2019 लोकसभा चुनाव में बने सांसदों में लगभग 43% पर आपराधिक मुकदमे चल रहे है।
2. भ्रष्टाचार:
ये एक ऐसी समस्या है जो शासन प्रशासन के प्रत्येक स्तर पर अपनी जड़ जमा चुकी हैं। भ्रष्टाचार के कारण अनेक कल्याणकारी योजनाएं अपने वास्तविक स्वरूप में जनता तक नहीं पहुंच पाती हैं तथा जिस कारण जनकल्याणकारी हित में बाधा उत्पन्न होती हैं। भ्रष्टाचार के कारण ही कहीं ना कहीं जनभागीदारी में भी बाधा उत्पन्न होती है।
3. लैंगिक समानता:
सुशासन में सभी वर्गों के कल्याण की संकल्पना की गई है। जिसमें लैंगिग असमानता को समाप्त करते हुए पुरुष और महिला सभी के कल्याण की बात की गई है। परंतु भारत में 21वीं सदी में भी अनेक क्षेत्रों में लैंगिग असमानता बड़े स्तर पर व्याप्त है। जिस कारण सुशासन की संकल्पना को असली चेहरा सुनिश्चित करने के लिए बाधा उत्पन्न होती है।
4. न्याय में देरी:
भारत में न्यायपालिका पर अत्यधिक भार मौजूद है और कहीं ना कहीं न्यायपालिका में भ्रष्टाचार और अन्य बाहरी हस्तक्षेप के कारण न्याय में देरी होती है। जिस कारण सुशासन को सुनिश्चित करने में एक बहुत बड़ी बाधा उत्पन्न हो रही है। यह कहा भी जाता है कि न्याय में देरी अन्याय के समान ही है। अगर न्याय देर से किया जाए तो उस न्याय की कोई महत्व नहीं रहती है। तब तक एक निर्दोष व्यक्ति अनेक कष्टों को सहन कर चुका होता है।
5. हिंसा की बढ़ती घटनाएं:
विकास की पहली सीढ़ी के रूप में शांति और सामाजिक व्यवस्था को देखा जाता है। जिस क्षेत्र में या राज्य में या देश में हिंसक घटनाएं समय-समय पर होती रहती है। वह देश विकास में पिछड़ जाता है। जिससे सुशासन को जमीनी स्तर पर सुदृढ़ करने में बाधा उत्पन्न होती है।
6 . जागरूकता का अभाव:
जागरूकता के अभाव के कारण आम जनता अपने हितों को नहीं समझ पाती है। और जान कल्याण के लिए उपयुक्त माध्यमों से बहुत दूर हो जाती है। जागरूकता का अभाव भी जनकल्याणकारी योजनाओं के सफलता में बाधा उत्पन्न करता है।
7. जवाबदेही का भाव:
शासन प्रशासन में जवाबदेहिता के अभाव के कारण भी सुशासन को सुनिश्चित करने में एक बहुत बड़ी समस्या उत्पन्न हो रही है। यह आवश्यक है कि प्रशासन में मौजूद कर्मचारियों की जवाबदेही को सुनिश्चित किया जाए । जिससे वह जनकल्याणकारी कार्यों को कर्तव्य पूर्वक निभाने में अपना योगदान दे सकें।
भारत में सुशासन स्थापित करने हेतु अनेक पहल या कार्य किए गए हैं जो इस प्रकार हैं:
- सूचना का अधिकार
- ई गवर्नेंस
- कानूनी सुधार
- इज ऑफ डूइंग बिजनेस
- विकेंद्रीकरण
- पुलिस सुधार
- कानून का शासन
- शिकायत निवारण तंत्र
- प्रक्रिया का सरलीकरण करना
प्रधानमंत्री की संकल्पना “सबका साथ सबका विकास सबका विश्वास” सुशासन पर ही आधारित है। हमारे देश ने समय के साथ साथ अनेक ऐसे कार्य या पहले की है । जिनसे सुशासन को प्राप्त किया जा सके।
सुशासन को प्राप्त करने के लिए जनता की भागीदारी अत्यंत आवश्यक है। अतः यह आवश्यक है कि जनता को अपनी जागरूकता का स्तर बढ़ाकर प्रशासन शासन व्यवस्था में बढ़-चढ़कर भागीदारी सुनिश्चित करनी चाहिए। ग्रामीण जनता के पास पंचायती राज अधिनियम के माध्यम से स्थानीय स्वशासन का अधिकार प्राप्त है। स्थानीय स्वशासन की संकल्पना को पूर्णरूपेण दिशा देने के लिए यह आवश्यक है कि स्थानीय नागरिक जागरूकता के साथ स्थानीय शासन में भागीदारी सुनिश्चित करें।
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